नयी दिल्ली : भाजपा के शीर्ष नेताओं में शुमार वेंकैया नायडू का नाम कल उपराष्ट्रपति के लिए भाजपा ने तय किया. वे भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं और उपराष्ट्रपति पद के लिए इलेक्टोरल कॉलेज के वोट व समीकरण को देखते हुए यह तय है कि वे चुनाव में विजयी होंगे और देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचेंगे. एनडीए के पास 406 वोट हैं, जबकि जीतने के लिए 393 वोटों की ही जरूरत है. लेकिन, उपराष्ट्रपति बनने की खुशी के इस मौके पर भी वेंकैया नायडू की आंखें नम हैं.
जब आज वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी व सुषमा स्वराज जैसे पार्टी के बड़े नेताओं के साथ नामांकन करने गये तब भी उनकी आंखें हल्की नम थीं और वे बेहद भावुक नजर आ रहे थे. जब वे प्रेस कान्फ्रेंस करने मीडिया के बीच आये तब भी उनकी आंखें हल्की नम व चेहरे भावुक थे. उन्होंने कहा भी कि वे अब भाजपा के नहीं रहे और जब वे बहुत छोटे थे तभी उनकी मां गुजर गयीं थीं और ऐसे में पार्टी ने ही उन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया.
वेंकैया नायडू :चुनाव प्रबंधन के माहिर
वेंकैया नायडू संगठन के आदमी रहे हैं. वाजपेयी-आडवाणी-जोशी के बाद के सालों में पार्टी के चार प्रमुख नेता उभरे उनमें एक वेंकैया नायडू हैं. तीन अन्य नेता राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज व अरुण जेटली हैं. प्रमोद महाजन का इस समय तक देहांत हो चुका था और संभावनाओं वाले नरेंद्र मोदी गुजरात तक सीमित थे. वेंकैया नायडू और अरुण जेटली वाजपेयी युग के बाद दो ऐसे नेता थे, जिन्हें अहम चुनावी राज्यों की जिम्मेवारी दी जाती थी. राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे अहम राज्य उस दौर में वेंकैया देखा करते थे, जबकि जेटली उत्तरप्रदेश व बिहार जैसे राज्य के प्रभार में होते थे. वेंकैया भाजपा में सबसे बड़े दक्षिण भारतीय चेहरे रहे हैं और उन्होंने पार्टी की कई राज्यों में जीत दिलाई. वे वाजपेयी युग में दो बार भाजपा के अध्यक्ष भी रहे. जेपी आंदोलन की उपज और किसान के बेटे वेंकैया ने आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सांगठनिक कौशल का पाठ पढ़ा, जो ताउम्र उनके काम आया और अपना जनाधार नहीं होने के बाद भी महज संगठन कौशलकेबल पर वे तेजी से संगठन की सीढ़ियां चढ़ते गये और भाजपा के शिखर नेताओं में शामिल हो गये. दरअसल, उनका भावुक होना पार्टी रूप से मां से बिछड़ने के कारण ही है.
वेंकैया नायडू में है जबरदस्त हास्यबोध
वेंकैयानायडू में जबरदस्त हास्यबोध है. वे किसीभी बात कीतुकबंदीकरने में माहिर हैं.माहौल कितना भी भारी हो वे उसे हल्का बनाना जानते हैं. उपराष्ट्रपति पद के लिएउम्मीदवार बनाये जाने के बाद उनकेएकहीतुकबंदी की चर्चा हो रही है,जब उन्होंने कहा था कि वे उषापति बन कर खुश हैं, उपराष्ट्रपतिनहींबनना चाहते. दरअसल, उषा उनकीपत्नी का नाम है. हालांकिवे हरबातमें तुकबंदीकरने व हास्य का पुट डालने में माहिरहैं.वे प्रेसकान्फ्रेंस के दौरान भी पत्रकारों के बीच विपक्ष परप्रहारकरने के लिएतरह-तरहकी तुकबंदीकरते रहे हैं और संसद में उनका यहगुण दिखता रहाहै. वे अपने संगठन के नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ सांगठनिक मुद्दे पर चर्चा करने के दौरान भी माहौल को सहज बनाने के लिएअपनेइस कौशल का प्रयोग करते थे.