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गोपालकृष्ण गांधी ने उपराष्ट्रपति पद के लिए किया नामांकन

नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी नेमंगलवारको कांग्रेस, जदयू और विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया. विपक्ष की 18 पार्टियों ने गांधी को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित किया है. पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल ने संसद परिसर में […]

नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी नेमंगलवारको कांग्रेस, जदयू और विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया. विपक्ष की 18 पार्टियों ने गांधी को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित किया है. पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल ने संसद परिसर में अपना पर्चा भरा.

इस मौके पर कांग्रेस का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया. कांग्रेस के अलावा विपक्षी पार्टियों के अन्य नेता जदयू के शरद यादव, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा, राकांपा के तारिक अनवर और प्रफुल्ल पटेल तथा नेशनल कांफ्रेंस के फारुक अब्दुल्ला और द्रमुक की कनिमोई मौजूद थीं. उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव पांच अगस्त को होगा. गांधी राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार वेंकैया नायडू के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.

नामांकन दाखिल करने के बाद गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा कि वह किसी राजनैतिक दल के नहीं बल्कि, भारत के नागरिकों के प्रतिनिधि हैं तथा वह भारतीय राजनीति से आम आदमी के उठते भरोसे को दूर करने का प्रयास करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वह मृत्युदंड के खिलाफ महात्मा गांधी और बीआर अांबेडकर के विचारों से प्रभावित हैं जिसकी वजह से ही उन्होंने आतंकवादी याकूब मेमन तथा पाकिस्तान में मृत्युदंड पाये भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को क्षमादान दिये जाने की वकालत की.

गांधी ने नामांकन के बाद संसद भवन स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को जा कर नमन किया. इसके बाद उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘मैं एक सामान्य नागरिक हूं और इस चुनाव में नागरिकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक निर्दलीय एवं स्वतंत्र नागरिक की तरह खड़ा हुआ हूं.’ उन्होंने 18 विपक्षी दलों द्वारा उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किये जाने के लिए इन दलों का आभार भी जताया.

उन्होंने कहा कि वह जनता और राजनीति के बीच बढ़ती खाई को लेकर काफी चिंतित हैं. वह चाहते हैं कि इस खाई को दूर किया जाये. उन्होंने कहा कि उनकी तीन प्राथमिकताएं हैं. पहली-लोगों के मन में यह भरोसा दिलाना कि राजनीति उनके लिए ही है तथा राजनीति से उनके ध्वस्त हो रहे भरोसे को कायम करना. दूसरा-विभाजनकारी ताकतों से मुकाबला ताकि भविष्य बेहतर बन सके. तीसरा-देश की करीब करीब आधी जनसंख्या युवा होने के बावजूद बेरोजगार और मायूस है. इस वर्ग की समस्याओं की ओर ध्यान दिया जाना.

यह पूछे जाने पर कि शिवसेना ने गांधी की उम्मीदवारी का इस आधार पर विरोध किया है कि उन्होंने आतंकवादी याकूब मेमन को क्षमादान देने के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा था, गांधी ने कहा कि मृत्युदंड के मामले में वह महात्मा गांधी एवं बीआर अांबेडकर के विचारों से प्रभावित हैं जिन्होंने सदैव फांसी का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि इस मामले में याकूब के लिए उन्होंने एक स्वतंत्र नागरिक के तौर पर पत्र लिखा था क्योंकि वह मृत्युदंड को गलत मानते हैं.

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