किसानों को आैने-पौने दामों में बेचनी पड़ रही है फसल, रोजाना 15-20 अन्नदाता गंवा रहे अपनी जान

नयी दिल्लीः सरकार की आेर से जीरो इंपोर्ट ड्यूटी किये जाने की किसानों को आैने-पौने दाम पर अपनी फसलों को बेचना पड़ रहा है. फसलों की उचित कीमत नहीं मिलने की वजह से उन्हें अपनी जरूरतों को पूरा करना भारी पड़ रहा है. मजबूरन देश के अन्नदाता को अपनी जान गंवानी पड़ रही है. राज्यसभा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 19, 2017 2:45 PM

नयी दिल्लीः सरकार की आेर से जीरो इंपोर्ट ड्यूटी किये जाने की किसानों को आैने-पौने दाम पर अपनी फसलों को बेचना पड़ रहा है. फसलों की उचित कीमत नहीं मिलने की वजह से उन्हें अपनी जरूरतों को पूरा करना भारी पड़ रहा है. मजबूरन देश के अन्नदाता को अपनी जान गंवानी पड़ रही है. राज्यसभा में बुधवार को विपक्षी सदस्यों ने देश में अन्न संकट के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाते हुए कहा कि शून्य आयात शुल्क (जीरो ड्यूटी इम्पोर्ट) की वजह से किसानों को अपनी फसल औने-पौने दामों में बेचनी पड़ रही है और देश का अन्नदाता आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहा है.

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उच्च सदन की बैठक शुरू होने के तत्काल बाद ही सदस्यों ने किसानों का मुद्दा उठाया. इस मुद्दे पर कार्यवाही स्थगित कर चर्चा करने के लिए कई सदस्यों ने नियम 267 के तहत नोटिस दिये थे. उप सभापति पीजे कुरियन ने बताया कि इस मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा करने के लिए उन्हें कांग्रेस के आनंद शर्मा, प्रमोद तिवारी, जदयू के शरद यादव, सपा के राम गोपाल यादव और नरेश अग्रवाल के नोटिस मिले हैं. कुरियन ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मंजूरी दी जा चुकी है और जब बहस होगी, तब सदस्य अपनी बात रख सकते हैं.

इससे पहले यह मुद्दा उठाते हुए जदयू के शरद यादव ने कहा कि हर दिन कम से कम 15 से 20 किसान आत्महत्या कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसानों ने विषम हालात में भी दालों का उत्पादन 33 फीसदी बढ़ाया, लेकिन सरकार ने आयात शुल्क शून्य कर दिया. इससे सस्ती दालों की खेप देश में आने लगी. इसकी वजह से किसान अपने उत्पाद को औने-पौने दामों में बेचने पर मजबूर हो गयी.

कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कहा कि किसानों को उनके उत्पाद के उचित मूल्य के बजाय गोलियां मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए देश भर से किसानों के प्रतिनिधि राजधानी दिल्ली आ कर जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं. अन्य दलों के सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखनी चाही लेकिन उप सभापति ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए जब मंजूरी दी जा चुकी है, तब सदस्यों को बहस के दौरान ही अपने अपने मुद्दे उठाने चाहिए.

इससे पहले बैठक शुरु होने पर सपा के नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हो चुकी हैं और सांसदों के वेतन भत्तों के लिए योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गठित समिति भी अपनी सिफारिशें दे चुकी है. इसके बावजूद सांसदों के वेतन भत्तों में कोई वृद्धि नहीं की गयी. उन्होंने शिकायत की कि विधायकों और सचिवों तक का वेतन सांसदों से अधिक है और मीडिया में इस तरह का प्रचार किया जाता है मानों सांसद विलासितापूर्ण जीवन जी रहे हैं.

कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि यह मुद्दा सभी सांसदों से जुड़ा है और संसद नियमों से चलता है. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुस्तान में सांसदों को बहुत अपमानित और प्रताड़ित कर कहा जाता है कि ये लोग अपना वेतन खुद ही बढ़ा लेते हैं. उन्होंने मांग की कि सांसदों का वेतन वरिष्ठ नौकर शाह से एक रुपया अधिक होना चाहिए.

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