आज होगा फैसला कौन रहेगा राष्ट्रपति भवन में जानिये इस भवन की क्या है खासियत

नयी दिल्ली :आज यह तय हो जायेगा कि देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा. देश के प्रथम नागरिक के तौर पर राष्ट्रपति भवन में रहने का अधिकार किसको मिलेगा. राष्ट्रपति चुनाव में मिली हार या जीत के बाद आपके लिए यह जानना जरूरी है कि राष्ट्रपति भवन जहां देश के प्रथम नागरिक का निवास्थान है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2017 12:00 PM

नयी दिल्ली :आज यह तय हो जायेगा कि देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा. देश के प्रथम नागरिक के तौर पर राष्ट्रपति भवन में रहने का अधिकार किसको मिलेगा. राष्ट्रपति चुनाव में मिली हार या जीत के बाद आपके लिए यह जानना जरूरी है कि राष्ट्रपति भवन जहां देश के प्रथम नागरिक का निवास्थान है वहां क्या- क्या सुविधाएं हैं. कितने कमरे हैं. इस खबर में पढ़िये राष्ट्रपति भवन के निर्माण से लेकर मिलने वाली सुविधाओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट

अपनी स्थापना के 85 साल पूरे कर चुके राष्ट्रपति भवन को विरासत स्थल का दर्जा मिलने के बाद पहली बार ‘‘हेरिटेज कंजर्वेशन प्लान (विरासत संरक्षण योजना)” के तहत यहां काम शुरू किया गया है. विरासत स्थलों के संरक्षण से जुड़ी अग्रणी संस्था इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटेक) की निगरानी में केंद्रीय लोकनिर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) संरक्षण योजना को मूर्त रुप देगा.

कितने एकड़ में फैला है और कितने कमरे हैं

साल 1921 में राष्ट्रपति भवन के निर्माण का काम शुरू हुआ था और 1929 को भवन बनकर तैयार हो गया. राष्ट्रपति भवन 330 एकड़ में फैला है. इसके निर्माण में 14 मिलियन का खर्च आया 700 मिलियन इंटें और 3 मिलियन घन फीट पत्थरों का इस्तेमाल हुआ. इस इमारत के निर्माण में 17 साल का लम्बा समय लगा, जिससे इसकी लागत बढ़कर 877,136 पौंड (उस समय 12.8 मिलियन) हो गयी. इस इमारत के अलावा, मुगल गार्डन तथा कर्मचारियों के आवास पर आया वास्तविक खर्च 14 मिलियन था.

यह एक रोचक तथ्य है कि जिस भवन को पूरा करने की समय-सीमा चार वर्ष थी, उसे बनने में 17 वर्ष लगे और इसके निर्मित होने के अट्ठारहवें वर्ष भारत आजाद हो गया. इस विशाल भवन की चार मंजिलें हैं और इसमें 340 कमरे हैं. 200000 वर्गफीट के निर्मित स्थल वाले इस भवन के निर्माण में 700 मिलियन ईंटों तथा तीन मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर का प्रयोग किया गया था. इस इमारत के निर्माण में इस्पात का अत्यल्प प्रयोग हुआ है.

राष्ट्रपति भवन का सबसे प्रमुख तथा विशिष्ट पहलू इसका गुम्बद है जो कि इसके ढांचे के ऊपर प्रमुखता से स्थापित है. यह काफी दूर से दिखाई देता है और दिल्ली के बीचों-बीच स्थित एक वृत्ताकार आधार पर टिकी हुई चित्ताकर्षक गोलाकार छत है. हालांकि लुट्येन्स ने जाहिरी तौर पर इस गुंबद का डिजायन रोम के पैंथियन से लेने की बात स्वीकार की है परंतु जानकार विश्लेषकों का यह दृढ़ मत है कि इस गुंबद का ढांचा सांची के महान स्तूप की बनावट पर तैयार किया गया था.
यह भवन रायसीना हिल पर बनाया गया है. इसे बनाने के लिए दो गांवों को विस्थापित करना पड़ा था. राष्ट्रपति भवन में एक गार्डन भी है जिसका नाम मुगल गार्डन है. यह गार्डन हर साल एक महीने के लिए आम लोगों के लिए खोला जाता है

कब से बदला गया इसका नाम

26 जनवरी, 1950 को जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति बने और उन्होंने इस भवन में निवास करना शुरू किया, उसी दिन से इस भवन का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन कर दिया गया.

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