कुछ दिनों पहले कैनेडियन कलाकार ब्रेंडा मैकमोरो द्वारा पश्चिमी अंदाज में गाया गया हनुमान चालीसा काफी वायरल हुआ था. तुलसीदास जी द्वारा रचित प्रभु श्रीराम के महान भक्त हनुमान के गुणों और कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन करती इस अवधी रचना पर कीर्तन आर्टिस्ट ब्रेंडा की टीम पश्चिमी वाद्य यंत्रों के साथ फुल एनर्जेटिक मूड में गातीऔर थिरकती नजर आयी.
VIDEO : हनुमान चालीसा का यह पश्चिमी अंदाज अगर तुलसीदास देख-सुन लेते तो…?
इस वीडियो को अगर आपने गौर से देखा होगा तो आपको गिटार थामी ब्रेंडा के पीछे दीवार से लगी एक शेल्फ पर एक बूढ़े महात्मा की छोटी सी तस्वीर भी नजर आयी होगी. दरअसल, यह तस्वीर है उत्तराखंड राज्य के नैनीताल स्थित कैंचीके हनुमान भक्त नीम करोली बाबा की.
अब आप पूछेंगे कि कनाडा की ब्रेंडा मैकमोरो और नैनीताल स्थित कैंची के नीम करोली बाबा के बीच क्या कनेक्शन है भला? इसका जवाब हम आपको बताते हैं. दरअसल, 1960-70 के दशक में करोली बाबा के भक्तों में कई अमेरिकी शामिल थे, जिन्होंने बाद में दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बनायी. इनमें राम दास, कृष्ण दास, भगवान दास और जय उत्तल जैसे नाम शामिल हैं. इनमें माइकल रिग्स,जो अब भगवान दास के नाम से जाने जाते हैं, एक गायक, शिक्षक और पश्चिम के योगी हैं. तो वहीं, जैफ्री कागल जो अब कृष्ण दास के नाम से जाने जाते हैं, हिंदू भक्ति संगीत के प्रसिद्ध गायक हैं और डगलस उत्तल या जय उत्तल ग्रैमी नॉमिनेटेड प्रसिद्ध अमेरिकी संगीतकार हैं. वहीं, रिचर्ड अल्पर्ट जो अब राम दास के नाम से जाने जाते हैं, एक जाने-माने अमेरिकी आध्यत्मिक गुरु हैं और उन्होंने सेवा फाउंडेशन और हनुमान फाउंडेशन जैसे चैरिटेबल ट्रस्टों की स्थापना की है. बताते चलें कि ब्रेंडा मैकमोरो इन्हीं राम दास की शिष्या हैं.
यहां यह जानना गौरतलब है कि नीम करौली बाबा हनुमानजी के बहुत बड़े भक्त थे. उन्हें अपने जीवन में लगभग 108 हनुमान मंदिर बनवाये. वर्तमान में उनके हिंदुस्तान समेत अमेरिका के टेक्सास में भी मंदिर हैं. नीम करोली बाबा के भक्तों का मानना है कि वे हनुमानजी के अवतार थे. बाबा को वर्ष 1960 के दशक में अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली. उस समय उनके अमेरिकी भक्त बाबा राम दास ने एक किताब लिखी, जिसमें उनका उल्लेख किया गया था. इसके बाद से पश्चिमी देशों से लोग उनके दर्शन तथा आर्शीवाद लेने के लिए आने लगे.
कम ही लोग जानते होंगे कि आईफोन से स्मार्टफोन की दुनिया में क्रांति लानेवाले एेपल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का भी हनुमान जी के भक्त नीम करोली बाबा से गहरा नाता रहा है. दरअसल, 18 साल की उम्र में दार्शनिक खोज के लिए जॉब्स भारत आये थे. वह 1974-76 के बीच भारत में रहे. इस दरम्यान जीवन का ज्ञान लेने के लिए वह नैनीताल स्थित नीम करोली बाबा के कैंची आश्रम पहुंचे. अपने चमत्कारों के लिए विश्व-विख्यात बाबा के विचारों से वह प्रभावित थे. हालांकि जॉब्स के पहुंचने से पहले ही नीम करोली बाबा अपनी देह त्याग चुके थे. लेकिन वहां उन्हें ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफअ योगी’ नामक किताब पढ़ने को मिली. यह किताब उन्होंने कई बार पढ़ी. इसी किताब के बारे में स्टीव जॉब्स ने बताया था कि इसने उनके सोचने का नजरिया और विचारों को बदल दिया.
इसके बाद जॉब्स बौद्ध धर्म के सिद्धांतों से काफी प्रभावित हुए. उन्होंने अपना सिर मुंडवा लिया और भारतीय संन्यासियों जैसे वस्त्र धारण कर लिये. इस यात्रा पर जॉब्स के साथ उनके एक दोस्त डैन कोटाके भी आये थे, जो बाद में एेपल के पहले कर्मचारी बने. भारत से लौटने के कुछ ही दिनों बाद 1976 में जॉब्स ने अपने एक और साथी स्टीव वोजनियाक के साथ मिलकर एेपल की नींव डाली.
आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग भी खुद को नीम करोली बाबा का अनुयायी मानते हैं. दो साल पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक मुलाकात के दौरान उन्होंने इस बात का जिक्र किया था. तब उन्होंने यह बताया था कि कैसे 10 साल पहले जब फेसबुक वित्तीय संकट से गुजर रहा था और इसके बिकने की नौबत आ गयी थी, तो उनके गुरु एेपल के स्टीव जॉब्स ने उन्हें नीम करोली बाबा के आश्रम जाने की सलाह दी थी. जुकरबर्ग ने जॉब्स की सलाह मानते हुए भारत आये और नीम करोली बाबा के आश्रम में उन्होंने लगभग महीनेभर का समय बिताया था. इस यात्रा के बाद ही उनके मन में फेसबुक को अरबों डॉलर की कंपनी में बदलने का भरोसा पैदा हुआ था. इसके बाद जुकरबर्ग ने कहा कि भारत में बहुत आशावाद है, आप आशा लिये मंदिर जाते हैं और देखिए आप कहां से कहां पहुंच जाते हैं.
नीम करोली बाबा के अनुयायियों में हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स भी शामिल रहीं हैं. यही नहीं, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का भी हनुमान जी के साथ कनेक्शन है. उन्होंने अपने कई इंटरव्यूज में यह बात स्वीकार की है कि वह हनुमान जी की एक छोटी सी मूर्ति हमेशा अपने साथ रखते हैं. ओबामा कहते हैं कि हनुमान जी की वह मूर्ति उनके लिए लकी चार्म है. हनुमान जी के प्रति ओबामा की श्रद्धा बचपन से रही है. जिंदगी की मुश्किलों में जबउन्हें हौसला चाहिए होता है, तब वह हनुमानजी को याद करते हैं.
लंबे समय से कई पश्चिमी देश हमारे देश के बारे ऐसी धारणा रखते आये हैं कि यह सभ्यता के मामले में उनसे काफी पिछड़ा हुआ है और वे हमसे मीलों आगे हैं. यही नहीं, इन देशों में भारत को जादू-टोने और सपेरों का देश बताया जाता रहा है और यहां के लोगों की धार्मिक आस्था को अंधविश्वास करार दियाजाता रहा है. लेकिन भारत की एक छोटी सी यात्रा ने निराशा में डूबे पश्चिम की जानी-मानी शख्सीयतों के जीवन को न सिर्फ नयी दिशा दी,बल्कि उम्मीदों का जोश भरकर सफलता की इबारत लिखनेकीप्रेरणा भी दी.