दिल्ली इकोनोमिक्स सम्मेलन में सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री ने कहा-भारत के समक्ष नौकरियों का सृजन बड़ी चुनौती

नयी दिल्ली : सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री थर्मन षणमुगरत्नम ने भारत में तेजी से रोजगार सृजन के लिए अविलंब श्रम सुधारों को बढ़ाने की जरूरत बतायी है, ताकि देश में उपलब्ध भारी श्रम बल जनसांख्यिकीय लाभ के बजाय संकट में तब्दील नहीं हो. उन्होंने यहां दिल्ली इकोनोमिक्स सम्मेलन में कहा, ‘भारत की सबसे बड़ी चुनौती नौकरियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 22, 2017 10:36 PM

नयी दिल्ली : सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री थर्मन षणमुगरत्नम ने भारत में तेजी से रोजगार सृजन के लिए अविलंब श्रम सुधारों को बढ़ाने की जरूरत बतायी है, ताकि देश में उपलब्ध भारी श्रम बल जनसांख्यिकीय लाभ के बजाय संकट में तब्दील नहीं हो. उन्होंने यहां दिल्ली इकोनोमिक्स सम्मेलन में कहा, ‘भारत की सबसे बड़ी चुनौती नौकरियों का सृजन है. यह आनेवाले समय की असल चुनौती है, क्योंकि भारत पहले ही ढेर सारा वक्त गंवा चुका है, काफी वक्त निकल चुका है, क्योंकि आपके पास कानून है, आपके पास रोजगार कानून है, जो रोजगार विरोधी है. ‘उन्होंने कहा कि श्रमोन्मुखी गतिविधियों के लिए अवसर आनेवाले वर्षों में तंग होने जा रहे हैं और यदि भारत अगले कुछ सालों में श्रम क्षेत्र में बड़े एवं अविलंब बदलाव नहीं करता है तो देश के सामने असल समस्या खड़ी हो जायेगी.

षणमुगरत्नम ने कहा कि कुशल श्रमिकों की कमी के संदर्भ में नीति नियंताओं की ओर से ठोस कार्रवाई की जरूरत है अन्यथा जनसांख्यिकीय लाभांश आनेवाले समय में जनसांख्यिकीय संकट बन सकता है. उन्होंने कहा कि पूंजी निवेश प्रोत्साहन और कौशल सृजन निवेश के दौरान एक संतुलन बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘कौशल और नौकरियों के बीच संबंध बड़ा गहरा होता है. भारत ने कौशल के संदर्भ में कई कदम उठाये हैं, लेकिन नौकरियों के साथ संबंध कमजोर है.’ उन्होंने बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए राजनीतिक समर्थन जुटाने के भारत के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, यह अपने आप में काफी प्रभावी है कि भारत में किस प्रकार से बदलाव आ रहा है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के प्रयास किये जा रहे हैं.

षणमुगरत्नम ने कहा, ‘जीएसटी न केवल आर्थिक एवं राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में काफी प्रभावी है, बल्कि अच्छी अर्थव्यवस्था के प्रति राजनीतिक समर्थन हासिल करना हाल के वर्षों में भारत में एक सीख रही है. ‘सिंगापुर उप-प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए अपनी वीजा व्यवस्था का बचाव करने का प्रयास किया कि उसका एक तिहाई श्रमबल पहले ही विदेशी है और लोगों के प्रवाह पर नियंत्रण के संबंध में उन्होंने कहा कि बिना किसी नीतिगत ढांचे के सीमा को खुला रखना नासमझी भरा कदम होगा.

षणमुगरत्नम का यह बयान काफी अहम है, क्योंकि भारतीय आइटी कंपनियां इस समूचे क्षेत्र में अपने ग्राहकों को सेवापूर्ति के लिए उसे द्वार के तौर पर इस्तेमाल करती हैं. टीसीएस, एचसीएल, इंफोसिस, विप्रो समेत सभी बड़ी भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों की सिंगापुर में मौजूदगी है. सिंगापुर भारतीय प्रौद्योगिकी कर्मियों को वीजा जारी करने में रुढ़िवादी कदम अपना रहा है, ऐसे में कंपनियों के लिए अपनी श्रमशक्ति बनाये रखना लगातार मुश्किल हो रहा है.

षणमुगरत्म ने कहा कि 55 लाख जनसंख्या में 35 लाख सिंगापुरी नागरिक हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारे कार्यबल में एक तिहाई पहले से ही विदेशी हें, ऐसे में यदि अपने रोजगार बाजार में लोगों के प्रवाह पर नियंत्रण से संबंधित किसी नीतिगत ढांचे के बगैर आपकी सीमा खुली रहती है तो यह नासमझीवाला कदम होगा. यह गलत राजनीति होगी और गलत आर्थिक भी होगी.’ इसी बीच, उन्होंने नागपुर में जल बचत पहल और 24 घंटे जलापूर्ति करनेवाली कंपनी विश्वराज इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की प्रशंसा की. इस पर कंपनी के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक अरुण लखानी ने कहा कि हमें खुशी है कि हमारे प्रयास और काम को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है. यह पहचान न केवल हमें, बल्कि नागपुर के लोगों को प्रोत्साहित करता है जिन्होंने इस शहर में 24 घंटे जलापूर्ति में योगदान दिया है. इस कंपनी की नागपुर में ओरेंज सिटी वाटर परियोजना है जिससे सभी बाशिंदों को 24 घंटे जलापूर्ति होती है.

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