सियासी पार्टियों को कहां से मिलता है पैसा
चुनाव में चंदा अबूझ पहेली है. पार्टियों या प्रत्याशियों के पास कहां से पैसा आता है, यह उनको चुननेवाले ही नहीं जानते. उन्हें जानने का अधिकार भी नहीं हैं क्योंकि राजनीतिक दल आरटीआई की हद में नहीं आते. पार्टियों के आयकर रिटर्न को खंगालने पर भी घालमेल नजर आता है. कॉरपोरेट घरानों से मिले सैकड़ों […]
चुनाव में चंदा अबूझ पहेली है. पार्टियों या प्रत्याशियों के पास कहां से पैसा आता है, यह उनको चुननेवाले ही नहीं जानते. उन्हें जानने का अधिकार भी नहीं हैं क्योंकि राजनीतिक दल आरटीआई की हद में नहीं आते. पार्टियों के आयकर रिटर्न को खंगालने पर भी घालमेल नजर आता है. कॉरपोरेट घरानों से मिले सैकड़ों डोनेशन ऐसे हैं जिनका न पैन नंबर है और न पता.
हालांकि कुछ कॉरपोरेट हाउस ने इलेक्शन फंडिंग के लिए अलग से कोष बना रखा है. लेकिन चुनाव में खर्च होने वाले धन की तुलना में वह बहुत ही छोटा हिस्सा है. विदेशी कंपनियों या वैसी कंपनियों जिनका मालिकाना हक विदेशी कंपनियों के पास है, से चंदा लेने पर प्रतिबंध है. फिर भी कांगे्रस और भाजपा ने चंदा लिया. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग को जांच करने को कहा हैं.
* चंदे में छुपा है बिजनेस हाउस का हित
– कॉरपोरेट डोनेशन
वर्ष 2004-05 से 2011-12 के बीच राष्ट्रीय पार्टियों को चंदे में मिले पैसे का 87 फीसदी कारपोरेट घरानों की तरफ से आये.
– 2004-05 से 2011-12 के बीच
राष्ट्रीय पार्टियों को चंदा- 435.87 करोड़
कारपोरेट घरानों से मिला – 78.89 करोड़
– कुल प्राप्त चंदा 87%
किसे कितना मिला
* भाजपा 192.47 करोड़
* कांग्रेस 172.25 करोड़
* किस क्षेत्र से सबसे ज्यादा चंदा
निर्माण 595 डोनेशन 99.71 करोड़
रियल इस्टेट 340 डोनेशन 24.10 करोड़
* वैसे चंदा देनेवाले जिन्होंने अपना पैन नंबर नहीं दिया
कांग्रेस – 301 दानदाता ऐसे हैं जिन्होंने पार्टी को 25.28 करोड़ रुपये दिए, लेकिन अपना पैन नंबर नहीं दिया.
भाजपा – 273 दानदाता ऐसे हैं जिन्होंने कांग्रेस पार्टी को 22.53 करोड़ रुपये दिए, लेकिन अपना पैन नंबर नहीं दिया.
* राष्ट्रीय पार्टियों को चंदा देनेवाले बड़े कॉरपोरेट हाउस
दल संस्था पैसा
कांग्रेस जेनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट (आदित्य बिरला ग्रुप) 36.41 करोड़
भाजपा जेनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट (आदित्य बिरला ग्रुप) 26.57 करोड़
राकांपा अंबुजा सीमेंट 1 करोड़
हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कं. ली. 1 करोड़
इनफिना फाइनांस ली. 1 करोड़
सीपीएम 108 कारपोरेट/बिजनेस हाउस से मिला चंदा 1.78 करोड़
सीपीआइ 13 कारपोरेट डोनर 10 लाख
* विदेशों से धन लेने में कांग्रेस-भाजपा एक
विदेशी चंदा
कानून के अनुसार विदेशी कंपनियों या वैसी कंपनियों जिनका मालिकाना विदेशी कंपनियों के पास है, से राजनीतिक
पार्टियां चंदा नहीं ले सकती हैं. कानूनी रोक के बावजूद दो सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों (कांग्रेस और भाजपा) ने विदेशों से चंदा लिया.
वर्ष 2003-04 से 2011-12 के बीच
किसे कितना मिला
* कांग्रेस 9.83 करोड़
* भाजपा 19.42 करोड़
कांग्रेस
* स्टरलाइट इंडस्ट्रीज 6 करोड़
* सेसा गोवा ली. 2.78 करोड़
* (दोनों वेदांता ग्रुप की कंपनी है)
भाजपा
* पब्लिक एंड पॉलिटिकल
अवेयरनेस ट्रस्ट 14.50 करोड़
* मद्रास अल्यूमिनियम
कंपनी 3.50 करोड़
खास बात : वेदांता ग्रुप दोनों पार्टियों को चंदा देने वाली सबसे बड़ी विदेशी कंपनी है.
कहां खर्च होता है पैसा
2004-05 से 2011-12 के बीच कांगे्रस, भाजपा और राकंपा की आय का बड़ा हिस्सा चुनाव अभियान, प्रचार और विज्ञापनों पर खर्च हुआ.
कांग्रेस
1168.71 करोड़
57.28 फीसदी
भाजपा
428.53 करोड़
42.55 फीसदी
राकांपा
99.90 करोड़
51.54 फीसदी
वही इस दौरान बसपा ने आय का 60.24% (165.22 करोड़ रुपये)
हिस्सा अचल संपत्ति खरीदने के लिए खर्च किया.