निठारी कांड: कोर्ट ने सुरेंद्र कोली और पंढेर को सुनायी फांसी की सजा, जानें कब क्या हुआ
नयी दिल्ली : साल 2006 के बहुचर्चित निठारी कांड मामले में सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए सुरेंद्र कोली और पंढेर को फांसी की सजा दी है. मामले में शनिवार को ट्रायल कोर्ट ने कारोबारी मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके घरेलू नौकर सुरिंदर कोली को 20 साल की पिंकी सरकार की हत्या […]
नयी दिल्ली : साल 2006 के बहुचर्चित निठारी कांड मामले में सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए सुरेंद्र कोली और पंढेर को फांसी की सजा दी है. मामले में शनिवार को ट्रायल कोर्ट ने कारोबारी मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके घरेलू नौकर सुरिंदर कोली को 20 साल की पिंकी सरकार की हत्या का दोषी पाया था.
आपको बता दें कि पंढेर और कोली पर लड़की को अगवा करने, उसका बलात्कार करने और फिर उसकी जान लेने का आरोप था. पुलिस ने 29 दिसंबर, 2006 को नोएडा के निठारी स्थित पंढेर के घर से 19 कंकाल बरामद किये गये थे. पंढेर और कोली के खिलाफ 16 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किये गये थे जबकि साक्ष्य के अभाव में तीन मामलों को बंद कर दिया गया था.
निठारी कांड मामले में कब क्या हुआ जानें
29 दिसंबर 2006: दिल्ली से सटे नोएडा में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल प्राप्त हुए थे.
29 दिसंबर 2006: मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरिंदर कोली को पुलिस ने गिरफ़्तार किया.
30 दिसंबर 2006: सीबीआइ को अपनी खोजबीन के दौरान मानव हड्डियों के कुछ हिस्से और 40 ऐसे पैकेट मिले जिनमें मानव अंगों को भरकर नाले में फेंका गया था.
निठारी कांड: सुरेंद्र कोली को वापस ले जाया गया डासना जेल
31 दिसंबर 2006: दो पुलिस कांस्टेबल को बर्खास्त किया गया.
5 जनवरी 2007: पंढेर और कोली को पुलिस नार्को टेस्ट के लिए गांधीनगर ले गयी.
10 जनवरी 2007 – सीबीआइ ने पंढेर और कोली से पूछताछ की. पूछताछ के कुछ ही दिनों के बाद सीबीआइ की टीम जांच करने के लिए निठारी पहुंचे. पंढेर के घर के आसपास और भी हड्डियां बरामद टीम को मिली.
25 जनवरी 2007: पंढेर और कोली के साथ ग़ाज़ियाबाद की एक अदालत परिसर में उस वक्त मारपीट की गयी जब सीबीआइ उन्हें पेश करने के लिए अदालत लायी थी.
7 अप्रैल 2007: पिंकी के कंकाल की शिनाख़्त उसके सलवार सूट और चप्पलों के माध्यम से हुई. बाद में कोली ने उसके बालों के क्लिप को भी पहचान लिया.
8 फ़रवरी 2007: कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआइ कस्टडी में भेज दिया गया.
मई 2007: सीबीआइ ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में रिम्पा हलदर के अपहरण, बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था. दो महीने बाद अदालत की फटकार के बाद सीबीआइ ने पंढेर को मामले में सह-अभियुक्त बनाया था.
13 फ़रवरी 2009: विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 वर्षीय रिम्पा हलदर के अपहरण, बलात्कार और हत्या का दोषी क़रार दिया और मौत की सज़ा सुनायी. मामले में ये पहला ऐसा फैसला था.
11 सितंबर 2009: इलाहाबार हाईकोर्ट ने एक मामले में मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी किया और सुरिंदर कोली की मौत की सजा बरकरार रखी.
4 मई 2010: सीबीआइ की एक विशेष अदालत ने सुरिंदर कोली को सात वर्षीय आरती की हत्या का दोषी करार दिया.
28 अक्तूबर 2014: सुरिंदर कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इसी वर्ष मार्च में कोली को रिम्पा हलदर की हत्या का दोषी ठहराते हुए उन्हें मौत की सज़ा सुनायी थी.
12 सितंबर 2014 से पहले सुरिंदर कोली को फांसी दी जानी थी लेकिन वकीलों के समूह ‘डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप’ ने कोली को मृत्युदंड दिये जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया.
12 सितंबर 2014: सुप्रीम कोर्ट ने सुरिंदर कोली की फांसी की सज़ा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगा दी.
28 जनवरी 2015: रिम्पा हलदर हत्या मामले में सुरिंदर कोली की फांसी की सज़ा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उम्र क़ैद में बदल दिया.
22 जुलाई 2017 :गाजियाबाद की एक विशेष अदालत ने सनसनीखेज निठारी हत्याकांड से जुडे एक मामले में कारोबारी मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को दोषी ठहराया. मामले में 24 जुलाई को यानी आज सुनायी जानी थी.