आतंकी गतिविधियों में शामिल गिलानी के दामाद समेत सात लोग गिरफ्तार

श्रीनगर/नयी दिल्ली : शाह को अल्ताफ फंटूश के नाम से जाना जाता है और वह जम्मू कश्मीर पुलिस की हिरासत में था. पुलिस ने इस महीने के शुरू में ईद के तत्काल बाद उसे ऐहतियाती हिरासत में रखा था. अभियान में लगे अधिकारियों ने बताया कि शाह के अलावा गिलानी के नजदीकी सहयोगियों तहरीके हुर्यित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 24, 2017 6:52 PM

श्रीनगर/नयी दिल्ली :

शाह को अल्ताफ फंटूश के नाम से जाना जाता है और वह जम्मू कश्मीर पुलिस की हिरासत में था. पुलिस ने इस महीने के शुरू में ईद के तत्काल बाद उसे ऐहतियाती हिरासत में रखा था. अभियान में लगे अधिकारियों ने बताया कि शाह के अलावा गिलानी के नजदीकी सहयोगियों तहरीके हुर्यित प्रवक्ता अयाज अकबर और पीर सैफुल्लाह को भी एनआइए ने घाटी से गिरफ्तार किया.

उन्होंने बताया कि एनआइए ने मीरवाइज उमर फारुक के नेतृत्ववाले हुर्यित कान्फ्रेंस के नरमपंथी धड़े के प्रवक्ता शाहिद उल इस्लाम को भी गिरफ्तार किया है. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किये गये अन्य व्यक्तियों में मेहराजुद्दीन कलवाल और नईम खान (हुर्यित के गिलानी धड़े के) और फारुक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे शामिल हैं. जिन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है उनके घरों पर एनआइए अधिकारियों ने गत महीने छापा मारा था.

शाह को तहरीके हुर्यित में एक प्रभावशाली व्यक्ति माना जाता है. आतंकवादी संगठन लश्करे तैयबा के मुखौटा संगठन पाकिस्तान स्थित जमात उल दावा प्रमुख हाफिज सईद को प्राथमिकी में आरोपी के तौर पर नामित किया गया है. इसके साथ ही इसमें हुर्यित कान्फ्रेंस (गिलानी)और मीरवाइज फारुक के नेतृत्ववाले धड़ों, हिजबुल मुजाहिदीन और दुख्तरन ए मिलत का भी नाम है. एनआइए की छापेमारी अलगाववादी समूहों पर नकेल कसने के प्रयासों का हिस्सा थी जो घाटी में विध्वंसकारी गतिविधियों के लिए कथित रूप से धनराशि प्राप्त करते हैं.

एनआईए ने छापे के दौरान खाता बही, दो करोड़ रुपये नकद के साथ ही लश्करे तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन सहित प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों के लेटरहेड मिले थे. एनआइए की जांच का उद्देश्य आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के पीछे जो लोग हैं उनकी पहचान करना था. इसमें सुरक्षा बलों पर पथराव, स्कूल जलाने और सरकारी प्रतिष्ठानों को क्षति पहुंचाने की साजिश रचनेवाले भी शामिल हैं. कश्मीर में 1990 के शुरुआत में आतंकवाद बढ़ने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी केंद्रीय एजेंसी ने अलगाववादियों के वित्तपोषण के सिलसिले में छापेमारी की है.

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