क्या डोभाल भी नहीं निकाल पायेंगे डोकलाम विवाद का हल ? पढें चीनी अखबार ने क्या कहा

नयी दिल्ली : डोकलाम में जारी विवाद के बीच भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को चीन ने आड़े हाथ लिया है. अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में डोभाल को डोकलाम में तनाव का ‘मुख्य साजिशकर्ता’ ठहराया है. लेख में ब्रिक्स की बैठक में भारतीय और चीनी एनएसए की बैठक में सुलह का रास्ता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2017 12:33 PM

नयी दिल्ली : डोकलाम में जारी विवाद के बीच भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को चीन ने आड़े हाथ लिया है. अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में डोभाल को डोकलाम में तनाव का ‘मुख्य साजिशकर्ता’ ठहराया है. लेख में ब्रिक्स की बैठक में भारतीय और चीनी एनएसए की बैठक में सुलह का रास्ता निकलने की अटकलों को भी खारिज किया गया है.

डोकलाम तनाव: चीनी सेना ने भारत को दी धमकी कहा- PLA को हिलाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन
लेख में लिखा गया है कि अजीत डोभाल के चीन दौरे को लेकर भारतीय मीडिया उम्मीदें लगा कर बैठ गया है कि इससे दोनों देशों की सेनाओं के बीच जारी गतिरोध का हल निकल आएगा. चीन इस बात पर कायम है कि दोनों पक्षों के बीच किसी भी बातचीत के लिए भारत का इस इलाके से सेना हटाना उसकी पहली शर्त है. चीन तब तक भारत से कोई बात नहीं करेगा, जब तक उनकी सेना बिना किसी शर्त चीनी क्षेत्र से पीछे नहीं हट जाती.

डोकलाम में जारी सैन्य गतिरोध पर अमेरिका ने कहा, चीन-भारत सीधी वार्ता करें

अखबार ने लिखा है कि भारत को इस भ्रम से बाहर आना चाहिए कि चीन किसी प्रकार की बातचीत करेगा. निश्चित तौर पर डोभाल का चीन दौरा भारत के अनुसार इस टकराव को खत्म करने का कोई अवसर प्रदान नहीं करेगा. ब्रिक्स के नेशनल सिक्यॉरिटी अडवाइजर्स की बैठक ब्रिक्स समिट की तैयारियों की दिशा में होने वाला रूटीन कार्यक्रम है. इस मंच पर चीन और भारत के बीच सीमा पर होने वाली झड़प को दूर करने के बारे में बात नहीं होगी. यदि डोभाल सीमा विवादों को लेकर चीन के साथ मोलभाव करने का प्रयास करते हैं तो निश्चित तौर पर निराशा ही उनके हाथ आएगी. बिना किसी शर्त भारतीय सेना का पीछे हटना चीन की पहली मांग है.

डोकलाम विवाद पर चीनी समाचारपत्र ने लिखा-चीन अपनी जमीं का ‘एक इंच’ भी नहीं खो सकता

लेख में भारतीय मीडिया को भी निशाने पर लिया गया है. कहा गया है कि ‘इंडियन मीडिया अपनी सेनाओं के पीछे हटने के सम्मानजनक तरीके ढूंढने का प्रयास कर रहा है. हमारा विश्वास है कि अगर भारत अंतरराष्ट्रीय कानूनों को मानता है तो सेनाओं को पीछे करने से उसकी शराफत नजर आएगी. चीन को अपनी सेना हटाने या सड़क निर्माण टालने के मामले में भारत के साथ सहयोग करने में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं है. भारत ने सिक्किम सेक्टर में जबरन सीमा पारकर घुस आकर सही नहीं किया है. उसे अपनी गलतियां सुधार लेनी चाहिए.

Next Article

Exit mobile version