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भारत की एकमात्र महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के नाम यह भी है रिकॉर्ड

भारत का राष्ट्रपति देश का संवैधानिक प्रधान होता है, उन्हें देश का पहला नागरिक माना जाता है. साथ ही राष्ट्रपति तीनों सेना के प्रमुख भी होते हैं. भारत की आजादी से लेकर 2017 तक भारत को 14 राष्ट्रपति मिले. राष्ट्रपति की सूची पर अगर हम ध्यान दें, तो पायेंगे कि मात्र एक ही महिला इस […]

भारत का राष्ट्रपति देश का संवैधानिक प्रधान होता है, उन्हें देश का पहला नागरिक माना जाता है. साथ ही राष्ट्रपति तीनों सेना के प्रमुख भी होते हैं. भारत की आजादी से लेकर 2017 तक भारत को 14 राष्ट्रपति मिले. राष्ट्रपति की सूची पर अगर हम ध्यान दें, तो पायेंगे कि मात्र एक ही महिला इस पद पर आसीन हुई हैं, जिनका नाम प्रतिभा देवी पाटिल था, जो देश की 12वीं राष्ट्रपति बनीं थीं. भारत के राष्ट्रपतियों की क्रमानुसार सूची इस प्रकार है- डॉ राजेंद्र प्रसाद, सर्वपल्ली राधाकृष्ण, जाकिर हुसैन, वीवी गिरि, मोहम्मद हिदायतुल्लाह, वीवी गिरि, फकरूद्दीन अली अहमद,बसप्पा दानप्पा जट्टी, फिर नीलम संजीव रेड्डी, ज्ञानी जैल सिंह, आर वेंकटरमण, शंकर दयाल शर्मा, केआर नारायणन, एपीजे अब्दुल , प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी और अब रामनाथ कोविंद.

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हर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में कुछ ऐसे फैसले लेता है, जिसकी पूरे देश में चर्चा होती है. राष्ट्रपति के रूप में प्रतिभा देवी पाटिल की चर्चा इसलिए भी होती है क्योंकि वे देश की पहली महिला राष्ट्रपति थीं. उनका कार्यकाल 25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012 तक रहा. उनके कार्यकाल की चर्चा इसलिए भी अधिक होती है, क्योंकि उन्होंने कई ऐसे फैसले किये जिनपर विवाद हुआ.

पाटिल ने लगभग 35 गुनाहगारों की फांसी को उम्रकैद में बदला
प्रतिभा पाटिल ने अपने कार्यकाल में लगभग 35 मुजरिमों की फांसी को उम्रकैद में बदला. इसे एक रिकॉर्ड माना गया, क्योंकि फांसी की इतनी सजा को किसी राष्ट्रपति ने उम्रकैद में नहीं बदला था. जब इन फैसलों पर सवाल उठा तो राष्ट्रपति कार्यालय ने यह कहकर फैसले का बचाव किया कि मुजरिमों की अपील पर सोचते हुए तथा गृहमंत्रालय से बात करके राष्ट्रपति ने यह निर्णय लिया था.

सरकारी पैसे के गलत उपयोग का भी लगा आरोप
प्रतिभा पाटिल पर यह आरोप भी लगा कि उन्होंने विदेश यात्रा के लिए सरकारी पैसों का दुरुपयोग किया. आरोप है कि जब वे विदेश यात्रा पर होती थीं, तो उनके परिवार के 11 सदस्य उनके साथ जाते थे. जिसपर अतिरिक्त खर्च आता था, लेकिन विदेश मंत्रालय ने इसपर कहा कि परिवार के सदस्यों का उनके साथ जाना अव्यवहारिक नहीं है. रिटायरमेंट के बाद भी उन्होंने पुणे में जिस तरह सरकारी खर्च से अपने लिये बंगला बनवाया वह भी विवाद का कारण बना.

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