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व्यापमं घोटाले से जुड़े एक और शख्‍स ने की खुदकुशी, पढ़ें क्या है मामला और कैसे घोटाला आया सामने

भोपाल : मध्य प्रदेश के चर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले के मुख्य आरोपियों से एक प्रवीण यादव के खुदकुशी करने की खबर है. जानकारी के अनुसार उसने अपने घर मुरैना में खुदकुशी की है. आपको बता दें कि व्यापमं घोटाले का खुलासा होने के बाद बड़ी संख्या में पीएमटी में गड़बड़ियां प्रकाश में आयी […]

भोपाल : मध्य प्रदेश के चर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले के मुख्य आरोपियों से एक प्रवीण यादव के खुदकुशी करने की खबर है. जानकारी के अनुसार उसने अपने घर मुरैना में खुदकुशी की है. आपको बता दें कि व्यापमं घोटाले का खुलासा होने के बाद बड़ी संख्या में पीएमटी में गड़बड़ियां प्रकाश में आयी थी. मामले को लेकर एसटीएफ (विशेष कार्य बल), एसआईटी (विशेष जांच दल) पहले ही जांच कर चुकी है. वर्तमान में सीबीआइ (केंद्रीय जांच दल) मामले की जांच कर रहा है. गौर हो कि इस मामले में अब तक 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

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क्या है व्यापमं
व्यापमं भर्ती घोटाला मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला माना जाता है, जिसमें कई बड़े नाम सामने आये. मामले में कुछ लोग तो सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं. आरोप है कि साठगांठ कर मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले में फर्जीवाड़ा कर भर्तियां की गयी. इस घोटाले के अंतर्गत सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार कर नौकरियां ऐसे बांटी गयी जैसे रेवड़ियों बांटी जा रही हो. दरअसल, मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल का काम मेडिकल टेस्ट जैसे पीएमटी प्रवेश परीक्षा, इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा व शैक्षिक स्तर पर बेरोजगार युवकों के लिए भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन कराना है.

कब सामने आया घोटाला
व्यापमं घोटाले का खुलासा 2013 में तब हुआ, जब पुलिस ने एमबीबीएस की भर्ती परीक्षा में बैठे कुछ फर्जी छात्रों को अरेस्ट किया, ये छात्र दूसरे छात्रों के नाम पर परीक्षा दे रहे थे. बाद में पता चला कि प्रदेश में सालों से एक बड़ा रैकेट चल रहा है, जो फर्जीवाड़ा कर छात्रों को एमबीबीएस में इसी तरह प्रवेश दिलाता है. छात्रों से पूछताछ के दौरान डॉ. जगदीश सागर का नाम सामने आया, सागर को पीएमटी घोटाले का सरगना बताया गया. जगदीश सागर पर आरोप है कि वह पैसे लेकर फर्जी तरीके से मेडिकल कॉलेजों में छात्रों का प्रवेश करवाता था, जिससे उसने करोड़ों की संपत्ति बनायी.

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कई बड़े नाम शामिल हैं घोटाले में
डॉ. जगदीश सागर से पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह इतना बड़ा नेटवर्क है, जिसमें मंत्री से लेकर अधिकारी और दलालों का पूरा गिरोह काम कर रहा है. पूछताछ में यह सामने आया कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापमं का ऑफिस इस काले धंधे केंद्र था. सागर ने पूछताछ के क्रम में बताया कि परिवहन विभाग में कंडक्टर पद के लिए 5 से 7 लाख, फूड इंस्पेक्टर के लिए 25 से 30 लाख और सब इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए 15 से 22 लाख रुपये वसूले जाते थे.

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