सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, कुछ शर्तों के साथ मौलिक अधिकार हो सकती है निजता

नयी दिल्ली : केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार माना जा सकता है लेकिन इससे जुड़े कई पहलुओं को मौलिक अधिकार श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं, इस विवादित मुद्दे को 2015 में वृहद पीठ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2017 10:58 PM

नयी दिल्ली : केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार माना जा सकता है लेकिन इससे जुड़े कई पहलुओं को मौलिक अधिकार श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं, इस विवादित मुद्दे को 2015 में वृहद पीठ के पास उस समय भेजा गया था जब केंद्र ने शीर्ष अदालत द्वारा 1950 और 1960 में सुनाये गये उन दो फैसलों के मुद्दे को रेखांकित किया था जिसमें कहा गया कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है.

अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार हो सकता है लेकिन यह संपूर्ण नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि निजता मौलिक अधिकार हो सकता है और यह सीमित अधिकार होना चाहिए क्योंकि यह विविध पहलुओं को छूता है और स्वतंत्रता के अधिकार की श्रेणी है. हर पहलू या श्रेणी को मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता.

उन्होंने कहा कि निजता का अधिकार समरुप अधिकार नहीं हो सकता. यह संपूर्ण नहीं है बल्कि यह सीमित अधिकार है. निजता एक श्रेणी हो सकती है जिसे स्वतंत्रता के अधिकार के तहत माना जा सकता है. केंद्र की ओर से ये टिप्पणियां उस समय की गयी जब पीठ ने अटार्नी जनरल से सवाल किया कि सरकार का इस सवाल पर क्या रुख है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं.

इस दौरान आपातकाल का जिक्र आने पर पीठ ने कहा, ‘नसबंदी देश की गरीब जनता पर किया गया सबसे खराब परीक्षण है.’ वेणुगोपाल ने आपातकाल को ‘देश के इतिहास में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना’ बताया और कहा, ‘हम सभी को आशा है कि यह फिर कभी नहीं होगा.’ इस मामले में दलीलें पूरी नहीं हो पायी और अटार्नी जनरल कल अपनी दलीलें फिर शुरू करेंगे.

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