गुरुवार को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की दूसरी पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें समर्पित एक स्मारक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया.
डॉक्टर कलाम के गृहनगर रामेश्वरम में जहां दो साल पहले मिसाइल मैन के पार्थिव शरीर को दफनाया गया था,उस पवित्र स्थान पर बने इस स्मारक को ‘कलाम स्मारक’के नाम से जाना जायेगा. इस स्मारक का निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने किया है.
इस स्मारक के प्रवेश द्वार पर राष्ट्र-ध्वज को स्थान दिया गया है. अंदर जाने पर लकड़ी से बनी वीणा बजाते हुए डॉ कलाम की एक मुस्कुराती प्रतिमा आगंतुक का स्वागत करती है.
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डीआरडीओ ने यहां डॉ कलाम द्वारा विकसित लंबी दूरी की मिसाइल ‘अग्नि’ की एक विशालकाय डमी भी लगायी है. इसके साथ यहां डॉक्टर कलाम से जुड़ी कई सारी चीजें हैं.
डॉ कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित करते इस स्मारक के जरिये उनके जीवन के पलों को सजीव करने की कोशिश की गयी है. यह स्मारक भारत की विविधता और विभिन्न संस्कृतियों को प्रतिबिंबित करता है.
राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट की तर्ज पर तैयार इस स्मारक को बनाने के लिए चेटीनाड लकड़ी का उपयोग हुआ है. साथ ही चारों कोनों में मेमोरियल हॉल बनाये गये हैं, जिनमें कलाम के राष्ट्रपति रहने के दौरान उनका भाषण, वैज्ञानिक के रूप में उनके काम के अलावा शिलांग में उनके आखिरी भाषण को दर्शाया गया है.
यहां यह जानना गौरतलब है कि फिलहाल इस स्मारक का पहला चरण ही बनकर तैयार हुआ है, जिसके निर्माण में लगभग 50 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. दूसरे चरण में यहां एक पुस्तकालय, नक्षत्र भवन और सभागार बनाया जाना है.
इसके साथ ही कुछ और रॉकेट्स और मिसाइलों की प्रतिकृतियां भी प्रदर्शित की जायेंगी. दूसरे चरण का काम अगले दो साल में पूरा होना है. डॉ कलाम स्मारक स्थल को कुछ इस तरह से विकसित किया जा रहा है, ताकि यहां आकर हर कोई कुछन कुछ सीख सके.