नयी दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज कहा कि आईआईएम में काफी सरकारी हस्तक्षेप है और हमारी सरकार इसे दूर करने की दिशा में पहल कर रही है. जावड़ेकर ने लोकसभा में आज भारतीय प्रबंध संस्थान विधेयक 2017 को विचार के लिये पेश किया जिसके माध्यम से ये संस्थायें के डिग्री और पीएचडी की उपाधि प्रदान कर सकेंगे.
मंत्री ने कहा कि अभी तक आईआईएम केवल सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और फेलोशिप प्रदान करते हैं. इसके पारित होने के बाद वे डिग्री और पीएचडी की उपाधि प्रदान कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि आईआईएम में काफी सरकारी हस्तक्षेप है और हमारी सरकार इसे दूर करने की दिशा में पहल कर रही है. इस विधेयक में इस प्रकार के प्रावधान किये गये हैं.
उल्लेखनीय है कि इस विधेयक में ऐसे प्रावधान है कि आईआईएम अब अपने छात्रों को डिग्री दे सकेंगे. सोसायटी होने के कारण प्रतिष्ठित आईआईएम वर्तमान में डिग्री देने को अधिकृत नहीं हैं और प्रबंधन में पीजी डिप्लोमा और फेलो प्रोग्राम की डिग्री देते हैं. हालांकि इन पाठ्यक्रमों को कमश: एमबीए और पीएचडी के बराबर माना जाता है, लेकिन समानता वैश्विक रूप से स्वीकार्य नहीं है, खासकर फेलो प्रोग्राम के लिए.
विधेयक में संस्थानों को पूर्ण स्वायत्ता दी गयी है, जिसमें पर्याप्त जवाबदेही भी होगी. विधेयक में जिस ढांचे का प्रस्ताव है उसमें इन संस्थानों का प्रबंधन बोर्ड से संचालित होगा, जहां संस्थान के अध्यक्ष और निदेशक बोर्ड द्वारा चुने जायेंगे. बयान में कहा गया है कि बोर्ड में विशेषज्ञों और पूर्ववर्ती विद्यार्थियों की ज्यादा भागीदारी होगी. मंत्री ने कहा कि यह उच्च शिक्षा के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार की दूरदृष्टि को दर्शाता है.