लखनऊ:लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस अब मुस्लिम वोटों को साधने में अपने अल्पसंख्यक एजेंडे को परवान चढ़ाने में जुट गई हैं. इस एजेंडे के तहत दोनों पार्टियों का मकसद जहां आम मुसलमानों के बीच अपनी-अपनी सरकारों की योजनाओं के प्रचार-प्रसार कर अपनी पैठ बनाना है, वहीं मुस्लिम बुद्धिजीवियों को भी यह संदेश देना है कि वही उनकी असल हितैषी पार्टियां हैं. सपा और कांग्रेस का यह रूप मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास पर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा के बाद आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान दिखा.
यहां मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केन्द्र सरकार से मुस्लिम आरक्षण के लिए संसद में संविधान संशोधन विधेयक लाने की मांग की और कहा कि इस मामले में सपा केंद्र का साथ देने को तैयार है. वहीं अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री के रहमान ने कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है, जैसे ही अदालत का निर्णय आता है, केन्द्र सरकार वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में किए गए अपने वादों के अनुसार आगे का कदम उठाएगी. रहमान ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का उल्लेख किया.
तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी प्रदेश सरकार द्वारा मुस्लिम समाज के लिए चलाई जा रही योजनाएं गिनाई. पत्रकारों की मौजूदगी में सूबे के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आजम खां ने मुसलमानों के आरक्षण को सच्चर समिति की सिफारिशों की रूह (आत्मा) बताते हुए कहा कि केन्द्र सरकार संसद में इस संबंध में प्रस्ताव लेकर आये और फिर देखे कि कौन सा दल इसके हक में है अथवा कौन इसके विरोध में. उन्होंने कहा कि भाजपा को भी मुसलमानों का वोट दिल्ली की सत्ता के लिए चाहिए. उन्होंने यूपी में अल्पसंख्यकों को तामील में आगे लाने के लिए छात्रवृति योजना के बारे में बताया.
इसी के बाद केन्द्रीय मंत्री रहमान खां ने आरक्षण को मुसलमानों का हक बताते हुए कहा कि कर्नाटक और केरल में पहले ही मुसलमानों को आरक्षण मिल रहा है. आंध्र प्रदेश में आरक्षण का मामला अदालत ने तकनीकी खामियों के आधार पर निरस्त किया है, न कि संवैधानिक आधार पर. उन्होंने कहा कि मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और जैसे ही अदालत का निर्णय आ जाता है, केन्द्र सरकार 2009 के लोकसभा चुनाव में किये गये अपने वादों के अनुसार आगे का कदम उठायेगी. रहमान ने कहा कि आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में समाज के पिछड़े तबकों के लिए संविधान में आरक्षण की व्यवस्था है, मगर जब इस आधार पर अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने की पहल होती है तो इसे धार्मिक रंग दे दिया जाता है, जो उचित नहीं है.
इसे सामाजिक तबके के रुप में देखा जाना चाहिए, धार्मिक तबके के रुप में नहीं. उन्होंने मुसलमानों की आर्थिक,सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति में सुधार लाने के लिए सच्चर आयोग की सिफारिशों को उनके मंत्रालय ने ईमानदारी से लागू किये जाने की बात दोहराते हुए कहा कि 72 में से 69 सिफारिशें केन्द्र सरकार ने स्वीकार कर ली हैं, जिनमें से 66 पर अमल हो रहा है. रहमान ने कहा कि जिन तीन सिफारिशों पर अभी अमल नहीं हुआ है उनके लिए अल्पसंख्यकों के वास्ते समान अवसर आयोग के गठन का शीघ ही विधेयक लाया जायेगा तथा राष्ट्रीय डेटा बैंक तथा वैविध्य सूचकांक (डाइवर्सिटी इंडेक्स) लागू किये जाने की दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं.
रहमान खां ने यूपी में केन्द्र सरकार पोषित अल्संख्यक कल्याण योजनाओं के क्रि यान्वयन की समीक्षा बैठक का जिक्र करते हुए रहमान ने कहा कि हमारा मकसद खामियां निकालना नहीं होता बल्कि क्रियान्वयन को और बेहतर बनाना होता है. उन्होंने बताया कि राज्य को अल्पसंख्यक कल्याण परियोजनाओं के लिये केन्द्र सरकार से मिली 1100 करोड़ रुपए की धनराशि में से लगभग 72 प्रतिशत का उपयोग हो चुका है.
उन्होंने साथ ही कहा कि यह संतोषजनक है मगर इसमें और गति लाने की जरूरत है. वक्फ कानून को सख्त बनाए जाने की तैयारी केन्द्रीय मंत्री ने वक्फ सम्पत्तियों के संरक्षण के लिये वक्फ कानून को सख्त बनाए जाने की तैयारी के बारे में बताते हुए कहा कि केन्द्र सरकार इन सम्पत्तियों के समुचित सदुपयोग के लिये राष्ट्रीय वक्फ विकास निगम का गठन करने जा रही है. जिसके लिये 500 करोड़ रुपए की राशि रखी जाएगी. इस धन से वक्फ सम्पत्तियों को इस तरीके से विकसित किया जाएगा कि उन्हें व्यावसायिक दृष्टि से उपयोगी बनाकर आय अर्जित करने का जरिया बनाया जा सके.
।।राजेन्द्र कुमार।।