इंदौर : नाटकीय घटनाक्रम में भाजपा से हाथ मिलाने वाले नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए राज्यसभा सांसद और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री ने विधानसभा में विश्वासमत नहीं, बल्कि विश्वासघात मत हासिल किया है. दिग्विजय ने इंदौर प्रेस क्लब में संवाददाताओं से कहा, ‘यह व्यक्ति (नीतीश) पहले कहता था कि मिट्टी में मिल जाउंगा, पर भाजपा से हाथ नहीं मिलाउंगा. अब इस व्यक्ति ने भाजपा से हाथ मिलाकर बिहार की जनता को धोखा दिया है. लेकिन बिहार की जनता क्रांतिकारी है और वह नीतीश को जरुर सबक सिखायेगी.’
उन्होंने कहा, ‘नीतीश ने विधानसभा में विश्वासमत नहीं, बल्कि विश्वासघात मत हासिल किया है. बिहार के ताजा घटनाक्रम के बाद भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा भी बेपर्दा हो गया है.’ दिग्विजय ने एक सवाल पर यह जताने की कोशिश की कि नीतीश के भाजपा के पाले में जाने से वर्ष 2019 के आम चुनावों में विपक्षी एकता पर कोई असर नहीं पडेगा. उन्होंने कहा, ‘भारत का प्रजातंत्र और जनता बहुत परिपक्व है. इसलिए (वर्ष 2019 के आम चुनावों को लेकर) अभी से कोई अनुमान लगाना उचित नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे देश का कोई मुस्लिम युवा कभी अल-कायदा में भर्ती नहीं हुआ था. लेकिन युवा आज आईएसआईएस में क्यों भर्ती हो रहे हैं….क्योंकि वर्ष 2014 के बाद से उनके मन में यह बात आ रही है कि उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दबाव में कृष्णा-गोदावरी बेसिन के गैस ब्लॉक में गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (जीएसपीसी) की 80 फीसद हिस्सेदारी खरीदने का फैसला किया है.
दिग्विजय ने कहा कि जीएसपीसी पर 20,000 करोड़ रुपये की देनदारी है. लेकिन इसके बावजूद ओएनजीसी जैसी मजबूत कंपनी को जीएसपीसी की हिस्सेदारी खरीदने पर विवश किया गया जो कथित तौर पर ‘भ्रष्टाचार का नमूना’ है. उन्होंने जीएसटी के मौजूदा स्वरुप पर सवाल उठाते हुए कहा कि कर की अलग-अलग दरों और कारोबारियों के लिए इसके पालन की जटिलताओं के कारण नयी कर प्रणाली सफल नहीं हो सकेगी.
दिग्विजय ने आरोप लगाया कि सरदार सरोवर बांध के कारण आने वाली डूब के इलाके में रह रहे मध्यप्रदेश के करीब 16,000 परिवारों का अब तक पुनर्वास नहीं किया गया है. लेकिन प्रदेश सरकार ने इन्हें डूब क्षेत्र से हटाने के लिए 31 जुलाई की समय-सीमा तय कर दी है. उन्होंने मांग की कि बांध प्रभावितों को डूब क्षेत्र से हटाये जाने की समय-सीमा में दो-तीन माह का इजाफा किया जाना चाहिए.