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राज्यसभा में भाजपा सांसदों की अनुपस्थिति से शाह गुस्से में, पिछड़ा आयोग बिल पारित कराने में हुई थी किरकिरी

नयी दिल्ली : राज्यसभा में पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन के लिए मोदी सरकार को सोमवार को 123वां संविधान संशोधन बिल पारित करवाने में फजीहत झेलनी पड़ी. राज्यसभा में पहले से कमजोर स्थिति में रही भाजपा को ऐसी परिस्थिति का सामना अपने सांसदों की अनुपस्थिति के कारण करना पड़ा.अगरउसकेसभी सांसदसदनमेंपिछड़ावर्ग आयोग गठनसंबंधी बिलपारित करवाने के […]

नयी दिल्ली : राज्यसभा में पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन के लिए मोदी सरकार को सोमवार को 123वां संविधान संशोधन बिल पारित करवाने में फजीहत झेलनी पड़ी. राज्यसभा में पहले से कमजोर स्थिति में रही भाजपा को ऐसी परिस्थिति का सामना अपने सांसदों की अनुपस्थिति के कारण करना पड़ा.अगरउसकेसभी सांसदसदनमेंपिछड़ावर्ग आयोग गठनसंबंधी बिलपारित करवाने के दौरान मौजूदहोते तो विपक्षकेसामने उसेझुकनानहीं पड़ता और न ही यहसुननपड़ता कि सरकार के लिए यह शर्मनाक स्थितिहै. भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने सांसदों की अनुपस्थिति को गंभीरता से लिया है और सूत्रों का कहना है कि पार्टी अनुपस्थित सांसदों से सफाई मांग सकती है. संसदीय कार्य मंत्रीअनंतकुमार ने आज कहा कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कल राज्यसभा में पार्टी सांसदों की अनुपस्थिति को गंभीरता से लिया है और सदस्यों को कहा है कि ऐसा दोहराया नहीं जाये. उन्होंने सांसदों को हिदायत दी है कि फिर इसे दोहराया नहीं जाये.

कल क्या हुआ था कल राज्यसभा में

पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए सामाजिक अधिकारित मंत्री थावर चंद गहलोत द्वारा पेश संशोधन विधेयक पर कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह, बीके हरिप्रसाद और हुसैन दलवई ने सदस्य संख्या तीन से बढ़ा कर पांच करने का संशोधन पेश किया. गहलोत ने विपक्ष को भरोसा दिलाया किउनकेइस सुझाव को पिछड़ा वर्ग आयोग की नियमावली में शामिल किया जायेगा. लेकिन, विपक्ष ने इस संशोधन की मांग पर उपसभापति पीजे कुरियन से मत विभाजन की मांग कर परेशानी बढ़ा दी. मतदान में संशोधन के पक्ष में 75 व विराेध में 54 मत पड़े. ऐसे में राज्यसभा में सुझाये गये सुझावों को शामिल करते हुए विधेयक के मूल स्वरूप में इसे जोड़ कर इसे फिर लोकसभा में द्वारा मूल विधेयक में फिर से शामिल कर या नया विधेयक पारित कर फिर से इसे उच्च सदन में पारित कराने के लिए भेजा जायेगा. विपक्षी कांग्रेस के सदस्य राजीव शुक्ला ने सदन के बाहर इस स्थिति को सत्तापक्ष के लिए शर्मनाम स्थिति बताया था.

उल्लेखनीय है कि जदयू के दस राज्यसभा सदस्यों के समर्थन के साथ राज्यसभा में एनडीए के पास 78 सांसद हैं. इसमें भाजपा के पास अकेले 57 सांसद हैं. अगर उसके सांसद सदन में उपस्थित रहते तो वैसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती, जैसी कल हुई. भाजपा सरकार इससे अपने मनोनुकूल विधेयक पारित करवा लेती.

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