केरल में संघ-भाजपा और माकपा कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष के मुद्दे पर लोकसभा में नोंकझोंक
नयी दिल्ली : केरल में सत्तारुढ माकपा को आरएसएस-भाजपा के लोगों की राजनीतिक हत्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराने के भाजपा सांसदों के आरोपों पर माकपा ने गुरुवार को पलटवार किया और इस विषय पर दोनों सदनों के सदस्यों के बीच नोंकझोंक होने पर स्पीकर ने सदन की बैठक को करीब 20 मिनट के लिए स्थगित […]
नयी दिल्ली : केरल में सत्तारुढ माकपा को आरएसएस-भाजपा के लोगों की राजनीतिक हत्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराने के भाजपा सांसदों के आरोपों पर माकपा ने गुरुवार को पलटवार किया और इस विषय पर दोनों सदनों के सदस्यों के बीच नोंकझोंक होने पर स्पीकर ने सदन की बैठक को करीब 20 मिनट के लिए स्थगित कर दिया.
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शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए माकपा के पी करुणाकरण ने कल भाजपा के प्रह्लाद जोशी और मीनाक्षी लेखी द्वारा लगाये गये आरोपों का जिक्र किया और कहा कि सत्तारुढ भाजपा के सदस्यों ने केरल के मुख्यमंत्री और पार्टी के राज्य सचिव पर हिंसा के संबंध में आरोप लगाये. करुणाकरण ने कहा कि सदन में उन लोगों का नाम लेकर आरोप लगाना, जो अपना पक्ष रखने नहीं आ सकते, गलत है. इस पर भाजपा के सदस्यों को विरोध दर्ज कराते हुए देखा गया. शोर-शराबे के बीच जब करुणाकरण अपनी बात नहीं रख पा रहे थे तो माकपा के सदस्य भी अपनी सीटों से उठकर आगे आने लगे. दोनों तरफ के सदस्यों के बीच नोंकझोंक की स्थिति बनने पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बैठक को करीब 20 मिनट के लिए 12:30 बजे तक स्थगित कर दिया.
दोपहर 12:30 बैठक पुन: शुरू होने पर स्पीकर ने कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनकी बात रखने का अवसर दिया. इस बीच माकपा के सदस्य विरोध दर्ज कराते हुए आसन के समीप आ गये. वामपंथी दल के मोहम्मद सलीम को यह कहते सुना गया कि उनके नेता करणाकरण भाजपा सांसदों के प्रतिवाद के चलते अपनी बात पूरी नहीं कर पाये थे, इसलिए उन्हें बात पूरी करने का मौका दिया जाये.
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अध्यक्ष ने सिंधिया की बात पूरी होने के बाद करणाकरण को अपनी बात पूरी करने की अनुमति दी. करुणाकरण ने कहा, ‘ ‘मैं कोई विवादास्पद बात नहीं कर रहा हूं. केरल में मुख्यमंत्री ने भाजपा-आरएसएस और माकपा के नेताओं की बैठक बुलाकर बात की. हम हमेशा शांति चाहते हैं. ‘ ‘ वह आगे भी कुछ कहना चाह रहे थे लेकिन उनकी बात सुनी नहीं जा सकी. गौरतलब है कि कल लोकसभा में शून्यकाल के दौरान भाजपा के प्रह्लाद जोशी और मीनाक्षी लेखी ने सदन में इस विषय को उठाया था और केरल में राजनीतिक हत्याएं होने का आरोप लगाया था. माकपा समेत वामदलों के सदस्यों ने तब इसका विरोध किया, दूसरी ओर भाजपा सदस्य अपने स्थान से इस विषय को उठाते देखे गये.