विधायकों की सुरक्षा को देखते हुए एयरपोर्ट के बाहर रविवार सुबह 8 बजे से ही भारी पुलिसबल की तैनाती की गयी थी. इसके अलावा, पार्टी और यूथ कांग्रेस के कई नेता भी हवाई अड्डे के बाहर मौजूद थे. विधायकों के एयरपोर्ट पहुंचने से पहले ही प्राइवेट ट्रैवल ऐजेंसी की दो बसें एयरपोर्ट के बाहर खड़ी थी. विधायक जैसे ही बाहर निकले, पुलिसवाले उन्हें बसों में बिठाने लगे. फिर विधायकों को अहमदाबाद से लगभग 77 किलोमीटर दूर स्थित आणंद के ‘निजानंद’ रिज़ॉर्ट ले जाया गया. वोटिंग तक ये विधायक यहीं रहेंगे. इस बीच, भाजपा ने भी अपनी तैयारियों को आखिरी रूप देना शुरू कर दिया है. इसके लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह शनिवार की रात ही अहमदाबाद पहुंच गये थे. यहां उन्होंने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित राज्य के पार्टी नेताओं के साथ बैठक की. वह खुद पार्टी की ओर से राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार हैं.
रास चुनाव से बदला राज्य का राजनीतिक समीकरण
बता दें कि भाजपा ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अलावा हाल ही में कांग्रेस से बागी हुए बलवंत सिंह राजपूत को राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है. भाजपा ने राजपूत को मैदान में उतार कर कांग्रेस के उम्मीदवार और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के लिए सीधी चुनौती पेश कर दी है. सूत्रों ने बताया कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जीतूभाई वघानी, राज्य के पार्टी मामलों के प्रभारी भूपेंद्र यादव और गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा और अन्य नेताओं ने रविवार सुबह अमित शाह से मुलाकात की. भाजपा ने कहा कि शाह रक्षाबंधन के लिए अहमदाबाद आये हैं और उनका कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं है. हालांकि, पार्टी सूत्रों ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने रविवार की बैठक में नेताओं के साथ चुनाव से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की. सोमवार को भी ऐसी कई बैठकें होने की उम्मीद है.
ज्ञात हो, गुजरात कांग्रेस के मजबूत नेता शंकरसिंह वाघेला के नाटकीय ढंग से पार्टी छोड़ने और पार्टी के छह विधायकों के इस्तीफे के बाद हर प्रतिदिन नये समीकरण सामने आ रहे हैं. इससे 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 51 हो गयी है. कांग्रेस ने 44 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है, जिन्हें एक हफ्ते पहले बेंगलुरु भेजा गया था. सात विधायक बेंगलुरु में ही मौजूद हैं, लेकिन उन्होंने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले है. वहीं, यूपीए की सहयोगी रही एनसीपी ने साफ कर दिया है कि उसक दो विधायक राज्यसभा चुनाव किसी भी दल को वोट नहीं देंगे. एनसीपी के इस ऐलान से कांग्रेस की मुश्किले और बढ. गयी है. भाजपा की ओर से बलवंत सिंह राजपूत को मैदान में उतारने के बाद एनसीपी के दो और जेडीयू के एक विधायक की अहमियत काफी बढ़ गयी है.