हमारे देश में हर साल रक्षा बंधन मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांध कर अपनी रक्षा का वचन लेती हैं. हर भाई अपनी बहन से राखी बंधवाता हैऔरउसे वह वचनदेता है किहरमुसीबत में उसकी मदद करेगा. क्या अच्छा नहीं होता कि हर भाई अपनी बहन को यह वचन दे या हर बहन अपने भाई से यह वचन ले कि वह राह चलती किसी बहन के लिए परेशानी का कारण नहीं बनेगा. अपने जीवन में ऐसा कोई काम नहीं करेगा, जिससे किसी महिला को किसी तरह की परेशानी होगी. सारे भाई मिल कर भारत को ऐसा देश बना दें, जहां लड़कियों, युवतियों या महिलाओं को घर से बाहर निकलने में डर न लगे. उन्हें किसी अनहोनी का डर न सताये.
किसी लड़की को पुलिस की मदद के लिए गुहार न लगानी पड़े. अपनी अस्मत और जान बचाने के लिए कार की रफ्तार इतनी न बढ़ानी पड़े कि एक हल्की-सी चूक उनकी जान ले बैठे. बार-बार कार की हॉर्न न बजानी पड़े, जिससे आसपास के चालकों का ध्यान भंग हो. यह न लिखना पड़े कि ‘वह खुशकिस्मत हैं कि चंडीगढ़ पुलिस ने उनके फोन कॉल पर तत्काल कार्रवाई की और उनके साथ कोई अनहोनी नहीं हुई’.
इसे भी पढ़ें : रेप की बढ़ती घटनाओं पर रांची की लड़कियों ने कहा, लड़के भी तो हॉफ टी-शर्ट में घूमते हैं, हम तो रेप नहीं करते….
भारतीय जनता पार्टी के हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला ने नशे की हालत में 4 अगस्त की देर रात कार से घर लौट रही अकेली लड़की का पीछा किया. किसी तरह उस लड़की ने अपनी अस्मत और जान दोनों बचायी. बाद में उसने फेसबुक पर एक पोस्ट लिख कर पूरी कहानी बयां की. आप भी पढ़िये, भाजपा नेता के बेटे विकास बराला ने अपने एक दोस्त के साथ मिल कर उस लड़की के साथ-क्या क्या किया.
सेक्टर-8 मार्केट से रात 12:15 बजे घर के लिए निकली और फोन पर एक दोस्त से बात करते हुए सड़क पार करके सेक्टर-7 में घुसी ही थी कि मुझे लगा कि एक कार मेरा पीछा कर रही है. सफेद रंग की एसयूवी कार मेरी कार के साथ-साथ चलने लगी. तब तक मैं सेक्टर-7 में थी और सेक्टर-26 के सेंट जॉन्स की तरफ बढ़ रही थी.
एसयूवी में दो लड़के आधी रात को एक अकेली लड़की को छेड़ कर मजा ले रहे थे. ये लोग इस तरह से मेरा पीछा कर रहे थे कि कई बार मुझे लगा कि ये मेरी कार को ठोंक देंगे. तब तक मैं अलर्ट हो चुकी थी. इसलिए मैंने सेंट जॉन्स से राइट टर्न लेकर मध्य मार्ग लेने का प्लान किया, जो थोड़ा बिजी और सेफ माना जाता है.
इसे भी पढ़ें : बिलकिस बानो केस : पहली बार बलात्कार के मामले में छह पुलिसवालों को हुई उम्रकैद
लेकिन, राइट टर्न लेने वक्त एसयूवी ने रास्ता रोक दिया, जिससे मुझे सीधे सेक्टर-26 की सड़क लेनी पड़ी. मैंने अगले टर्न पर फिर राइट लेने की कोशिश की, लेकिन इस बार तो उन लोगों ने सीधे मेरी कार के सामने अपनी गाड़ी लगायी और पैसेंजर सीट पर बैठा लड़का उतर कर मेरी तरफ बढ़ने लगा.
मैंने तुंरत बैक गियर लगायी और इससे पहले कि वो फिर मेरे पास आते, तेजी से अगला राइट टर्न लिया. इस दौरान मैंने 100 नंबर पर फोन करके पुलिस को अपनी हालत और लोकेशन बतायी. फोन पर पुलिस ने कहा कि वे जल्दी पहुंच रहे हैं. मैं अब मेन रोड पर पहुंच चुकी थी और 15 सेकेंड से एसयूवी नहीं दिखी, तो मुझे लगा कि फोन करता देख वो भाग गये होंगे, लेकिन मैं गलत थी.
मध्य मार्ग पर मैं आगे बढ़ रही थी. इस सड़क पर 5-6 किलोमीटर तक एसयूवी मेरी कार के साथ-साथ चलती रही और हर 10-15 सेकेंड पर मेरी कार को रोकने की तरकीब लगाती रही. वो मेरी कार को बार-बार ब्लॉक करके रोकने की कोशिश कर रहे थे और मैं हर बार किसी तरह अपनी कार को निकाल कर आगे बढ़ रही थी. मेरे हाथ कांप रहे थे, कमर जकड़ रहा था, कुछ हक्की-बक्की और कुछ आंखों में आंसू लिये मैं ये सोच रही थी कि पता नहीं आज घर लौट पाऊंगी भी कि नहीं. पता नहीं कब पुलिसवाले आयेंगे या आयेंगे भी या नहीं.
इसे भी पढ़ें : #Negligence : मां को बचा न सके, बच्चे को मरा बता कर फेंकने जा रहे थे डॉक्टर
इन लड़कों ने 6 किलोमीटर तक लगातार मेरा पीछा किया और इस रोड के आखिर में ट्रैफिक लाइट के पास मेरी कार का रास्ता रोक दिया. मुझे भागने या कार निकालने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था. पैसेंजर सीट से फिर एक लड़का उतर कर मेरी तरफ बढ़ा. पता नहीं कैसे? लेकिन मैंने कार को रिवर्स गियर में डाला और राइट की तरफ दिखी थोड़ी-सी जगह से लगातार हॉर्न बजाती कार निकाली, ताकि वहां गुजर रही दूसरी गाड़ियां मेरी हॉर्न सुन कर देखें कि दिक्कत क्या है कि ये लगातार हॉर्न बजा रही है.
तब तक वो लड़का मेरी कार के पास पास आ चुका था. उसने मेरे कार के विंडो पर जोर से हाथ मारा और गेट खोलने की कोशिश की. तभी मेरी नजर एक पुलिस कार पर पड़ी. मैं लगातार हॉर्न बजा रही थी. कुछ पुलिसवाले दौड़कर आये और एसयूवीवालों को पकड़ा.
डर से कांपती मैं सीधे घरगयी और अपने पिता,जोवरिष्ठआइएएस अधिकारी हैं, को सब कुछ बताया. फिर उनके साथ एफआइआर करने वापस गयी. दोनों लड़के गिरफ्तार हो चुके थे, जो निश्चित रूप से प्रभावशाली परिवार से हैं और राजनीतिक कनेक्शन रखते हैं. चंडीगढ़ पुलिस को शुक्रिया, क्योंकि अगर उनके जवान समय पर नहीं आते, तो शायद आज मैं ये स्टेट्स नहीं लिख पाती. अगर देश के सबसे सेफ शहर में एक लड़की के साथ ऐसा हो रहा है, तो हम कहां जा रहे हैं?
इसे भी पढ़ें : #Malaria@Ramkanda : आदिवासी राज्य में मलेरिया से मर रहे आदिम जनजाति के लोग
मैं चकित हूं कि जिस शहर में हर रेडलाइट पर कैमरा लगा है और हर 200 मीटर पर पुलिसवाले हैं, वहां इन लड़कों ने कैसे सोच लिया कि ये मेरी कार में घुस सकते हैं या मुझे अपनी कार में खींच सकते हैं. सिर्फ इसलिए कि वो एक ताकतवर परिवार से हैं.
ऐसा लगता है कि मैं एक आम आदमी की बेटी ना होने की वजह से खुशकिस्मत हूं नहीं, तो इन वीआइपी लोगों के खिलाफ खड़ा होने की उनके पास क्या ताकत होती है. मैं इसलिए भी खुशकिस्मत हूं, क्योंकि मैं रेप के बाद किसी नाले में मरी नहीं पड़ी हूं. अगर ये चंडीगढ़ में हो सकता है, तो कहीं भी हो सकता है.
इसे भी पढ़ें : शिव सरोज की आत्महत्या: सीसीटीवी फुटेज के आधार पर शिव सरोज को गलत साबित करने पर तुली है पुलिस
लेडीज, अपनी सुरक्षा के लिए खुद सतर्क रहें. कोई गाड़ीवाला अगर आपको तंग कर रहा है, तो उसकी गाड़ी का नंबर नोट करिये. जैसे ही कोई पीछा करना शुरू करे, तुरंत पुलिस को फोन करिये. अपने मां-बाप को फोन करिये और उनको बताइये कि आप कहां हैं और किस हालत में हैं. सुरक्षित तरीके से जैसे भी भाग सकती हैं, भागने की कोशिश करिये.
आपकी जान सबसे बड़ी चीज है. अगर वो आपके पास आता है, तो जो भी चीज मिले, उसे हथियार बना कर खुद को बचाइये. पिछली रात तक मैं किसी भी हथियार की फैन नहीं थी, चाहे वो बंदूक हो, डंडा हो, गोल्फ स्टिक हो या चाकू. लेकिन ये आपको ज्यादा सेफ और आत्मविश्वास से भरे होने का अहसास करायेंगे.