अहमदाबाद: गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने दो सीटों पर कब्जा किया है जबकि यहां सबसे ज्यादा चर्चा में रही तीसरी सीट पर कांग्रेस के ‘चाणक्य’ अहमद पटेल को जीत मिली है. राज्यसभा चुनाव की वोटिंग के बाद मंगलवार को करीब 10 घंटे के हाई-वोल्टेज ड्रामे के बाद परिणाम उजागर हुए, जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को 46-46 वोट मिले, वहीं अहमद पटेल ने 44 वोटों के साथ जीत दर्ज की. राज्य की 176 सदस्यीय विधानसभा में 2 कांग्रेसी विधायकों के वोट रद्द होने के बाद जीत का आंकड़ा 43.51 पहुंचा. ऐसे में पटेल की जीत का अंतर भले ही मामूली नजर आ रहा हो, लेकिन राज्य की सियासत के हिसाब से देखें तो यह कांग्रेस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है.
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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को हराने के लिए अमित शाह बेहद आक्रामक दिखे और उन्होंने अंत तक जोर लगाया. एक वक्त तो लगा कि अमित शाह ने मानो पटेल को हराने की कसम खा ली हो. वहीं कांग्रेस ने भी उन पर अपने विधायकों को डिगाने के लिए हर तरह के साम, दाम, दंड, भेद अपनाने के आरोप लगाये. इस खींच-तान के बाद आये नतीजों से एक बात तो साफ है कि लड़ाई में कांग्रेस ही विजेता बनकर उभरी.
आपको बता दें कि गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसी वजह से आम तौर पर बिना किसी शोर-शराबे के निपट जाने वाले राज्यसभा चुनाव में इस बार काफी ड्रामा दिखा. राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ये सारी कवायद राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने के लिए किया हालांकि इस लड़ाई में कांग्रेस ही विजेता बनकर उभरी, जो उसके लिए संजीवनी जैसी है.
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यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि गुजरात के कद्दावर नेताओं में शंकरसिंह वाघेला ने राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. वाघेला की इस घोषणा के समय कांग्रेस ने इसे ज्यादा तरजीह न देते हुए कहा था कि उनके जाने से पार्टी को कोई खास नुकसान नहीं होगा लेकिन मंगलवार को मतदान के पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने उन्हें पुरानी बात याद दिलाते हुए अहमद पटेल के पक्ष में मतदान करने को कहा था हालांकि वाघेला पर इसका कोई प्रभाव नहीं दिखा.
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अंदर मची फूट ने पार्टी को वाघेला कैंप की शक्ति का वक्त रहते एहसास करा दिया. ऐसे में पार्टी के पास इस नुकसान की भरपाई के लिए अब थोड़ा वक्त बचा है. दरअसल कांग्रेस इस बार राज्य में पाटीदारों, दलितों और दूसरे पिछड़े तबकों के भीतर सरकार के प्रति असंतोष को भुनाते हुए भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने की उम्मीद संजोए बैठी है. ऐसे में अब अहमद पटेल की इस जीत ने कांग्रेस के अंदर एक उम्मीद जगा दी है.