अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद बोलीं मेधा, अनशन अभी भी जारी
इंदौर: नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने आज यहां एक निजी अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कहा कि सरदार सरोवर बांध से मध्यप्रदेश में विस्थापित होने वाले हजारों लोगों के उचित पुनर्वास की मांग को लेकर उनका अनिश्चितकालीन अनशन पिछले 14 दिन से लगातार जारी है. मेधा और 11 अन्य अनशनकारियों को […]
इंदौर: नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने आज यहां एक निजी अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कहा कि सरदार सरोवर बांध से मध्यप्रदेश में विस्थापित होने वाले हजारों लोगों के उचित पुनर्वास की मांग को लेकर उनका अनिश्चितकालीन अनशन पिछले 14 दिन से लगातार जारी है. मेधा और 11 अन्य अनशनकारियों को प्रशासन ने सात अगस्त की शाम धार जिले के चिखल्दा गांव के आंदोलन स्थल से जबरन उठाकर इंदौर, बडवानी और धार के अस्पतालों में भर्ती करा दिया था. इलाज के बाद सेहत में सुधार होने पर नर्मदा बचाओ आंदोलन की 62 वर्षीय प्रमुख को आज दोपहर इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गयी.
अस्पताल से व्हील चेयर पर बाहर आयीं मेधा ने संवाददाताओं से कहा, अलग-अलग अस्पतालों में ड्रिप के जरिये हम अनशनकारियों के शरीर में दवाइयां पहुंचायी गयीं. लेकिन मैंने और 11 अन्य अनशनकारियों ने अब तक अन्न ग्रहण नहीं किया है. हमारी मांग है कि विस्थापितों के उचित पुनर्वास के इंतजाम पूरे होने तक उन्हें अपनी मूल बसाहटों में ही रहने दिया जाये और फिलहाल बाँध के जलस्तर को ना बढाया जाये. मेधा ने आरोप लगाया कि प्रदेश की नर्मदा घाटी में पुनर्वास स्थलों का निर्माण अब तक पूरा नहीं हो सका है. ऐसे कई स्थानों पर पेयजल की सुविधा भी नहीं है. लेकिन प्रदेश सरकार हजारों परिवारों को अपने घर-बार छोड़कर ऐसे अधूरे पुनर्वास स्थलों में जाने के लिए कह रही है. यह स्थिति विस्थापितों को कतई मंजूर नहीं है और ज्यादातर विस्थापित अब भी घाटी में डटे हैं.
उन्होंने कहा कि उचित पुनर्वास के मामले में दायर एक विशेष अवकाश याचिका (एसएलपी) पर कल आठ अगस्त को उच्चतम न्यायालय में सुनवायी के दौरान बांध विस्थापितों को न्याय की उम्मीद थी. लेकिन सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में इस विषय में पहले से लंबित मुकदमे के मद्देनजर फिलहाल हस्तक्षेप करना मुनासिब नहीं समझा और एसएलपी खारिज कर दी. उच्च न्यायालय में इस मुकदमे में 10 अगस्त को अगली सुनवाई होनी है.
मेधा ने कहा, हम बांध विस्थापितों की ओर से न्यायपालिका से इंसाफ की गुहार करते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ट्विटर पर किये गये इस हालिया दावे को गलत बताया कि सरदार सरोवर बांध परियोजना के विस्थापितों के पुनर्वास के मामले में नर्मदा पंचाट के विभिन्न फैसलों का पालन किया गया है.
मेधा ने कहा, प्रदेश सरकार विस्थापितों के पुनर्वास के मामले में केवल घोषणाओं, आंकडों और बयानों का खेल खेल रही है. उन्होंने अपनी आगे की रणनीति के खुलासे से इनकार करते हुए कहा कि बांध विस्थापितों के उचित पुनर्वास की मांग को लेकर जारी आंदोलन का भावी स्वरुप जल्द ही तय किया जायेगा.
नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख ने आरोप लगाया कि चिखल्दा गांव में उन्हें और 11 अन्य अनशनकारियों को प्रशासन ने पुलिस की मदद से सात अगस्त को अनशन स्थल से जबरन उठा दिया और उनके निहत्थे समर्थकों पर बेवजह बल प्रयोग किया. मेधा ने यह आरोप भी लगाया कि अनशन से उठाये जाने के बाद उन्हें इंदौर के एक निजी अस्पताल में इलाज की आड़ में अवैध हिरासत में रखा गया.