जासूसी कांड: उच्चतम न्यायालय में गुजरात सरकार ने पूर्व आईएएस अधिकारी पर लगाये गंभीर आरोप
नयी दिल्लीः नरेन्द्र मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि कथित जासूसी विवाद में किसी की भी निजता के अधिकार का हनन नहीं किया गया और संबंधित महिला राज्य सरकार की एजेन्सियों की कार्रवाई के प्रति आभारी है. शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में गुजरात सरकार ने यह मामला उठाने वाले निलंबित आईएएस […]
नयी दिल्लीः नरेन्द्र मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि कथित जासूसी विवाद में किसी की भी निजता के अधिकार का हनन नहीं किया गया और संबंधित महिला राज्य सरकार की एजेन्सियों की कार्रवाई के प्रति आभारी है.
शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में गुजरात सरकार ने यह मामला उठाने वाले निलंबित आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा को आडे हाथ लिया है. हलफनामे में कहा गया है कि शर्मा के खिलाफ कई आपराधिक मामले चल रहे हैं और वह अपने अधीनस्थ अधिकारियों और रिश्तेदारों की कई विवाहित महिलाओं से ‘अनैतिक संबंधों में’ संलिप्त हैं.यह हलफनामा राज्य सरकार के अवर सचिव ने दाखिल किया है. इसमें राज्य महिला आयोग के समक्ष लंबित कार्यवाही का हवाला दिया गया है जिसमें महिला अपने पिता और पति के साथ उपस्थित थी. मुख्य सचिव भी वहां मौजूद थे.
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘गुजरात सरकार के मुख्य सचिव, जो उपरोक्त कार्यवाही के दौरान मौजूद थे, से मुङो यह कहने का निर्देश मिला है कि महिला के पिता के अनुरोध पर राज्य की एजेन्सियों द्वारा उठाये गये कदमों के बारे में उसे पूरी जानकारी थी और समय से मिली मदद के लिये महिला आभारी है जो कि महिला के अनुसार परिस्थितियों के तहत बहुत जरुरी थी.’’ हलफनामे के अनुसार इस महिला का नाम लेकर झूठे, बदनाम करने वाले और मानहानिकारक प्रचार के कारण वह बहुत परेशान और अवसाद में है.यह विवाद उस समय चर्चा में आया जब दो खबरिया पोर्टल ने 2009 में एक महिला की जासूसी के सिलसिले में मोदी के सहयोगी अमित शाह और राज्य के दो प्रमुख पुलिस अधिकारियों के बीच टेलीफोन पर हुयी कथित बातचीत की सीडी जारी की थी.