लोकतंत्र के रण में उतरे राजस्थान में पांच पूर्व सैन्य अधिकारी

जयपुर : वीरों की भूमि राजस्थान की पच्चीस सीटों के लिए 17 और 24 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव में सेना में अपनी ताकत दिखा चुके पांच सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी झुंझुनूं, सीकर और बाडमेर में चुनावी महासंग्राम में कूदे हैं. पूर्व सैन्य अधिकारियों ने मतदाताओं को बदलाव का भरोसा भरोसा दिलाते हुए कहा है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2014 11:39 AM

जयपुर : वीरों की भूमि राजस्थान की पच्चीस सीटों के लिए 17 और 24 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव में सेना में अपनी ताकत दिखा चुके पांच सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी झुंझुनूं, सीकर और बाडमेर में चुनावी महासंग्राम में कूदे हैं. पूर्व सैन्य अधिकारियों ने मतदाताओं को बदलाव का भरोसा भरोसा दिलाते हुए कहा है कि उनकी जीत ही लोकतंत्र में वास्तविक बदलाव सुनिश्चित करेगी.

सैन्य अधिकारियों का वास्तविक बदलाव के दावे का पिटारा चुनाव परिणाम घोषित होने पर खुलेगा, बहरहाल पांचों सैन्य अधिकारी लोकतंत्र के रण में खुद की जीत को सुनिचित करने के लिए कडी धूप में मत देने की अपील के साथ मतदाताओं से रुबरु हो रहे हैं. सेना में लेफ्टिनेंट जनरल और मेजर रहे पूर्व सैन्य अधिकारियों ने चुनाव में जीत का बिगुल बजाने के लिये एडी चोटी का जोर लगा रखा है.

पूर्व सैन्य अधिकारियों को आम चुनाव में उतारने में भारतीय जनता पार्टी ने बाजी मारी है, वहीं कांग्रेस ने किसी पूर्व सैन्य अधिकारी को चुनाव मैदान में नहीं उतारा है. भाजपा ने बाडमेर से पूर्व कर्नल सोना राम को बाडमेर से तथा पूर्व मेजर राज्यवर्धन सिंह को जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. आम आदमी पार्टी ने सेना के दो सेवानिवृत अधिकारियों को चुनाव मैदान में उतारा है.

आम आदमी पार्टी के टिकट पर झुंझुनू से उम्मीदवार पूर्व उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राज कादयान का मानना है कि उनके प्रयासों से सेना में लम्बित एक रैंक ,एक पेंशन की जीत ही लोकसभा चुनाव में उनकी जीत सुनिश्चित करेगी. सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में कदम रखने वाले मेजर डा सुरेन्द्र कुमार पूनिया आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार टिकट पर सीकर लोकसभा सीट से चुनाव लड रहे हैं.

शेखावटी क्षेत्र की सीकर और झुंझनूं लोकसभा क्षेत्रों में एक लाख से ज्यादा परिवारों का सेना से सीधा संबंध है. पूर्व सेना उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राज कादयान ने कहा, आम आदमी हों या सेना से सेवानिवृत्त, चुनावी मुद्दे एक जैसे ही होते हैं लेकिन उनका समाधान सकारात्मक तरीके से कैसे किया जाता है यह महत्वपूर्ण है. मैं इस क्षेत्र के लिये पीने का पानी, औद्योगिक विकास, मेडिकल कालेज, और क्षेत्र को देश के सभी रेल मार्गों से सम्पर्क जैसे मुद्दों को प्राथमिकता में रखता हूं.

कादयान ऐसे क्षेत्र से उम्मीदवार हैं जिस क्षेत्र से पांच बार अपनी जीत का परचम लहरा चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला के निधन के बाद उनकी पुत्रवधू राजबाला को कांग्रेस ने ओला परिवार के वर्चस्व को बनाये रखने के लिये उम्मीदवार बनाया है. उन्होंने कहा कि दोनों मुख्य राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों ने ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं जो भ्रष्ट हैं या जोडतोड की राजनीति करने वाले हैं क्योंकि उनका उद्देश्य केवल जीत हासिल करना है. उनका मकसद केवल बांटकर राज करना है. कादयान का मुकाबला कांग्रेस की राजबाला ओला, भाजपा के विधायक संतोष अहलावत, और निर्दलीय उम्मीदवार राजकुमार शर्मा से है.

विशिष्ट सेवा मेडल पुरस्कार विजेता मेजर सुरेन्द्र पूनिया ने कहा कि 12 वर्ष तक फौज में नौकरी करने के बाद राजनीति में आने का मकसद जनता की आवाज उठाना और वास्तविक बदलाव लाने का है. उन्होंने कहा कोई भी गरीबों और किसानों के दर्द की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है. जो इनके लिये किया गया है वह पर्याप्त नहीं है, हमें सकारात्मक रुप से ध्यान देने की जरुरत है.

उन्होंने कहा, सीकर लोकसभा क्षेत्र में 54 हजार परिवार ऐसे हैं जिनका कोई न कोई सदस्य भारतीय सेना में है या सेवानिवृत्त हो चुका है. पूनिया को भाजपा के बागी और निर्दलीय उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष मेहरिया कडी टक्कर दे रहे हैं. भाजपा ने सुमेधानंद, कांग्रेस ने प्रताप सिंह जाट, और माकपा ने पूर्व विधानसभा सदस्य अमरा राम को चुनाव मैदान में उतारा है.

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