पीएफ की कटौती के लिये मूल वेतन में भत्तों को जोडने का प्रस्ताव खारिज
नयी दिल्ली : सरकार ने भविष्य निधि कटौती के लिये मूल वेतन में को जोडने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया और इस बारे में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) जल्दी ही अधिसूचना जारी कर सकता है. सरकार का यह फैसला ईपीएफओ के 5 करोड से अधिक अंशधारकों के लिये झटका है. सूत्र के अनुसार, […]
नयी दिल्ली : सरकार ने भविष्य निधि कटौती के लिये मूल वेतन में को जोडने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया और इस बारे में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) जल्दी ही अधिसूचना जारी कर सकता है. सरकार का यह फैसला ईपीएफओ के 5 करोड से अधिक अंशधारकों के लिये झटका है.
सूत्र के अनुसार, ‘‘ईपीएफओ को श्रम मंत्रालय से पत्र मिला है जिसमें मूल वेतन के साथ को जोडने के प्रस्ताव पर कदम नहीं बढाने को कहा गया है. ईपीएफओ जल्दी ही इस बारे में अधिसूचना जारी करेगा.’’ विशेषज्ञों के अनुसार इस कदम से ईपीएफओ की योजनाओं के अंतर्गत आने वाले संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की बचत में वृद्धि होती. इससे कर्मचारियों के हाथ में थोडा कम वेतन आता लेकिन उनकी बचत बढ जाती. दूसरी तरफ नियोक्ताओं पर वित्तीय बोझ बढता.
ईपीएफओ ने 30 नवंबर 2012 परिपत्र जारी कर भविष्य निधि कटौती के मकसद से ‘मूल वेतन’ को फिर से परिभाषित किया था. इसमें कहा गया था, ‘‘वे सभी भत्ते जो आवश्यक एवं समान रुप से कर्मचारियों को भुगतान किये जाते हैं, उन्हें मूल वेतन माना जाएगा.’’ ईपीएफओ ने इसके साथ ही भविष्य निधि जमाओं में कंपनियों के योगदान के बारे में पूछताछ को सात साल तक पुराने मामलों तक सीमित रखने का सुझाव दिया था.
हालांकि, अधिसूचना को स्थगित करते हुए ईपीएफओ ने मामले पर विचार के लिये एक समिति गठित की और आगे के कदम के लिये श्रम मंत्रालय को सिफारिश की. समिति ने ईपीएफओ की ईपीएफ योजना के तहत सामाजिक सुरक्षा लाभ बढाने के विचार का समर्थन किया था.
वर्ष 2012 के परिपत्र को ठंडे बस्ते में डाले जाने का यह भी मतलब है कि ईपीएफओ भविष्य निधि कटौती के बारे में नियोक्ताओं से कर्मचारियों की तरफ से कितनी भी अवधि के बारे में सूचना मांग सकता है.