नयी दिल्ली : ‘तीन तलाक’ के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सरकार ने ऐतिहासिक करार दिया, लेकिन इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए एक नये कानून की शीर्ष अदालत की सलाह को वस्तुत: खारिज कर दिया. सरकार ने कहा है कि घरेलू हिंसा से निबटनेवाले कानून समेत वर्तमान कानून पर्याप्त हैं. नये कानून की जरूरत नहीं है.
इसे भी पढ़ें : सिमडेगा में भी चोटीकटवा की अफवाह, महिला का बाल काटने का मामला प्रकाश में आया
विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘सरकार इस मुद्दे पर संरचनात्मक एवं व्यवस्थित तरीके से विचार करेगी. प्रथम दृष्टया में फैसले को पढ़ने से स्पष्ट होता है कि पांच सदस्यीय पीठ में बहुमत ने इसे असंवैधानिक और अवैध बताया है.’ विधि मंत्री दो न्यायाधीशों की ओर से तीन तलाक के खिलाफ कानून लाने का पक्ष लिये जाने पर सरकार के रुख के बारे में संवाददाताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे.
यह पूछे जाने पर कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को किस प्रकार से लागू किया जायेगा और आदेश के अनुपालन के लिए कानून की जरूरत क्यों नहीं है, सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगर कोई पति एक बार में तीन तलाक बोलता है, तब विवाह समाप्त नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद अगर कोई पति एक बार में तीन बार तलाक बोलता है, तब उसे वैध नहीं माना जायेगा. विवाह के प्रति उसकी जवाबदेही बनी रहेगी, पत्नी ऐसे व्यक्ति को पुलिस के समक्ष ले जाने और घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराने के लिए स्वतंत्र है.
इसे भी पढ़ें : LIVE : राजद की महारैली, महागठबंधन में टूट के बाद कितनी कमज़ोर हुआ राजद?
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में मंगलवार को मुस्लिम समुदाय में प्रचलित एक बार में ‘तीन तलाक’ कह कर तलाक देने की 1400 साल पुरानी प्रथा खत्म करते हुए इसे पवित्र कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ और इससे इस्लामिक शरीया कानून का उल्लंघन करने सहित अनेक आधारों पर निरस्त कर दिया.
महिलाओं को इस कानून के तहत मिलेगी राहत
- अगर कोई पति एक बार में तीन तलाक बोलता है, तब विवाह समाप्त नहीं होगा.
- सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद अगर कोई पति एक बार में तीन बार तलाक बोलता है, तब उसे वैध नहीं माना जायेगा.
- विवाह के प्रति उसकी जवाबदेही बनी रहेगी, पत्नी ऐसे व्यक्ति को पुलिस के समक्ष ले जाने और घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराने के लिए स्वतंत्र है.