तलाकशुदा महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए बने कानून, शाह बानो की बेटी ने की मांग
इंदौर: शाह बानो की बेटी सिद्दिका खान ने मांग की है कि सरकार को तलाकशुदा महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए कानून बनाना चाहिए. सामाजिक मोर्चे के साथ अदालत के शीर्ष गलियारों तक अपनी मां के मुश्किल संघर्ष की गवाह रहीं सिद्दिका खान (70) नेबुधवारको कहा, ‘पति द्वारा लगातार तीन बार तलाक बोलकर पत्नी […]
इंदौर: शाह बानो की बेटी सिद्दिका खान ने मांग की है कि सरकार को तलाकशुदा महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए कानून बनाना चाहिए. सामाजिक मोर्चे के साथ अदालत के शीर्ष गलियारों तक अपनी मां के मुश्किल संघर्ष की गवाह रहीं सिद्दिका खान (70) नेबुधवारको कहा, ‘पति द्वारा लगातार तीन बार तलाक बोलकर पत्नी से शादी का रिश्ता खत्म करने की प्रथा को असंवैधानिक ठहरानेवाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खासकर गरीब और अनपढ़ महिलाओं को फायदा होगा.’
शाह बानो की बेटी ने कहा कि ज्यादातर तलाकशुदा महिलाओं को आज भी वे ही आर्थिक दुश्वारियां झेलनी पड़ रही हैं, जो मेरी मां ने करीब 40 साल पहले झेली थीं. इस मसले का हल यह है कि सरकार तलाकशुदा महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए मजबूत कानून बनाये.
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उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी मां ने ‘तीन तलाक’ प्रथा के खिलाफ नहीं, बल्कि तलाक के बाद उनके पिता से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए संघर्ष की राह चुनी थी. सिद्दिका 1980 के दशक के उस मुश्किल दौर को याद करते हुए बताती हैं,‘मेरीमां को 60 साल की उम्र में मेरे पिता ने तलाक दे दिया था. इसके बाद हमें जीवन-यापन में काफी परेशानियां आयीं. मेरे पिता के खिलाफ गुजारा भत्ते का मुकदमा दायर करने के बाद मेरी मां को तमाम दबावों का सामना करना पड़ा था. लेकिन वह अपने हक की लड़ाई से पीछे नहीं हटीं.’
शाह बानो का वर्ष 1992 में इंतकाल हो गया था. उनकी बेटी ने कहा, ‘जिस व्यक्ति ने ठान लिया है कि उसे अपनी पत्नी को तलाक देना ही है, वह तीन तलाक प्रथा के अलावा और किसी रास्ते से भी उसे छोड़ सकता है. लेकिन बुनियादी सवाल अब भी बरकरार है कि गरीब और अनपढ़ वर्ग की तलाकशुदा महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक हितों की हिफाजत के लिए कौन-सी कानूनी व्यवस्था होगी, जिसकी मदद से वे शादी के खत्म रिश्ते को पीछे छोड़कर अपने जीवन में आगे बढ़ सकें.
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ज्ञात हो कि अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए सिद्दिका की मां शाह बानो ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर मुस्लिम समुदाय में नजीर पेश की थी.