डेरा समर्थकों के उत्पात के बाद, 17 शवों की जेब में रात भर बजते रहे मोबाइल
पंचकूला और सिरसा में पसरी असहज करने वाली चुप्पी, जनजीवन प्रभावित पंचकूला/सिरसा : डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को रेप के मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद हरियाणा में फैली हिंसा में 36 लोगों की मौत हुई है. पंचकूला में 30 लोगों की मौत हो गयी. इनमें 17 की लाश पंचकूला […]
पंचकूला और सिरसा में पसरी असहज करने वाली चुप्पी, जनजीवन प्रभावित
पंचकूला/सिरसा : डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को रेप के मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद हरियाणा में फैली हिंसा में 36 लोगों की मौत हुई है.
पंचकूला में 30 लोगों की मौत हो गयी. इनमें 17 की लाश पंचकूला सिविल अस्पताल में रखी गयी है. अब तक इनमें से महज एक की पहचान हुई है. अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, मृतकों की जेब में रखे फोन लगातार बज रहे थे. स्टाफ को आदेश दिया गया था कि वह फोन कॉल न रिसीव करें, क्योंकि ऐसा करने से कर्फ्यू के बावजूद अस्पताल में लोगों की भीड़ लग जायेगी. नाम न बताने की शर्त पर एक डॉक्टर ने कहा कि इन 17 लोगों की मौत गोली लगने से हुई है.
इनमें से कुछ पत्थर लगने की वजह से घायल भी हुए थे. मरने वालों की गर्दन, छाती और पीठ में गोली लगी है. लाशों की पहचान होने के बाद इनका पोस्टमॉर्टम किया जायेगा. इनमें से ज्यादातर ग्रामीण हैं, जिनके पास पहचान का कोई दस्तावेज नहीं है. माना जा रहा है कि मरने वालों में ज्यादातर संख्या डेरा समर्थकों की है. इमर्जेंसी वार्ड के अंदर 100 से ज्यादा लोग स्ट्रेचर पर रखे गये हैं.
इधर, शनिवार को पंचकूला और सिरसा में असहज करने वाली चुप्पी पसरी हुई है. यहां सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं. सेना फ्लैग मार्च कर रही है. सिरसा में रविवार की सुबह 11 बजे तक कर्फ्यू में ढील दिया गया है. दोनों शहरों में शांति रही, लेकिन लोग अपनी घरेलू जरूरतों के लिए भटकते नजर आये. यहां स्कूल-कॉलेज, पेट्रोल पंप, दुकानें और एटीएम तक बंद हैं. दूध, सब्जी औरखाद्यान्न की किल्लत हो गयी है. दूध की आपूर्ति नहीं होने से बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं. दूध और सब्जियों की आपूर्ति बंद होने से जनजीवन प्रभावित है.
गुरमीत राम रहीम सिंह को दोषी करार दिये जाने के बाद हुई हिंसा से निपटने में मनोहर लाल खट्टर सरकार बुरी तरह विफल रही है. इसलिए खट्टर को हरियाणा के मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बने रहना चाहिए. यह खट्टर की दूसरी विफलता है. इससे पहले जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान वह कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहे थे.
एस सुधाकर रेड्डी, महासचिव, भाकपा
धारा 144 के तहत पहले कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी. सड़कों पर सशस्त्र पुलिस की एहतियाती तैनाती वहां क्यों नहीं की गयी. राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल की ही होती है. सरकार की यह पूर्ण विफलता है और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हटाया जाना चाहिए.
शशि थरूर, कांग्रेस नेता
वोट की राजनीति करने के लिए हरियाणा की भाजपा सरकार के इस प्रकार के शर्मनाक समर्पण की जितनी भी निंदा की जाये, वह कम होगी. शुक्रवार को हरियाणा में जो हिंसा का तांडव हुआ, उसके लिए केवल और केवल मनोहर लाल खट्टर सरकार जिम्मेदार है. ऐसी सरकार को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए.
मायावती, बसपा प्रमुख
खट्टर बने रहेंगे सीएम
हाइकोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बावजूद भाजपा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को उनके पद से हटाने के मूड में नहीं है. हालांकि,खबरें आयीं थीं कि पार्टी आलाकमान और खुद प्रधानमंत्री नाराज हैं, लेकिन पार्टी के सूत्रों ने साफ कर दिया कि खट्टर को लेकर पार्टी में कोई नाराजगी नहीं है. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने हरियाणा के प्रभारी डॉ अनिल जैन और महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से बात कर हालात की जानकारी ली.