लोग क्यों देते हैं वोट?
देश के लोग वोट क्यों देते हैं? किसी बदलाव के लिए या सरकार को बदलने के लिए? क्या लोग इसलिए वोट देते हैं कि वे महंगाई से परेशान हैं और उससे छुटकारा पाना चाहते हैं. क्या वे भ्रष्टाचार के विरोध में अपने गुस्से का इजहार करते हैं? या वे वोट इसलिए देते हैं कि इसके […]
देश के लोग वोट क्यों देते हैं? किसी बदलाव के लिए या सरकार को बदलने के लिए? क्या लोग इसलिए वोट देते हैं कि वे महंगाई से परेशान हैं और उससे छुटकारा पाना चाहते हैं. क्या वे भ्रष्टाचार के विरोध में अपने गुस्से का इजहार करते हैं? या वे वोट इसलिए देते हैं कि इसके पीछे उनका जातीय-धार्मिक आग्रह काम करता है.
धनबल और बाहुबल के प्रभाव में आकर क्या वे बूथों तक जाते हैं? या वे वोट इसलिए देने जाते हैं कि इस प्रक्रिया में शामिल होकर उन्हें अपने अस्तित्व का बोध होता है. कहा जा रहा है कि समाज बदल रहा है. राजनीति भी बदल रही है.
अगर ऐसा ही है तो देश के सामने खड़े मुद्दों पर एक गंभीर सामाजिक विमर्श का अहसास होता और उससे जो जनादेश निकलता, वह लोगों की आकांक्षाओं-सपनों का कस्टोडियन होता. सामाजिक मुद्दों, राजनीतिक दलों के व्यवहार और हमारे हर चुनाव के बाद दूर होते खुशहाली की उम्मीदों के बीच इस लोकतंत्र का सफरनामा लिखा जा रहा है.