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डोकलाम संवेदनशील मुद्दा, बार-बार बयान देने की जरूरत नहीं, सेना को और मारक बनायेंगे : जेटली

नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने डोकलाम में भारत-चीन के बीच तनातनी का मसला सुलझने की अहमियत पर बयान देने से इनकार करते हुए बुधवार को कहा कि यह एक ‘संवेदनशील’ मुद्दा है और सरकार पहले ही अपना रुख साफ कर चुकी है. जेटली ने एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा कि […]

नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने डोकलाम में भारत-चीन के बीच तनातनी का मसला सुलझने की अहमियत पर बयान देने से इनकार करते हुए बुधवार को कहा कि यह एक ‘संवेदनशील’ मुद्दा है और सरकार पहले ही अपना रुख साफ कर चुकी है. जेटली ने एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा कि विदेश मंत्रालय इस मुद्दे पर पहले ही सरकार का रुख स्पष्ट कर चुका है.

रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे जेटली से जब पूछा गया कि डोकलाम में गतिरोध का सुलझना क्या भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है, इस पर उन्होंने कहा, ‘मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए बार-बार बयान देने की जरूरत नहीं है.’ थलसेना की लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए बल में बड़े सुधार करने के सरकार के फैसले का ऐलान करते हुए जेटली ने कहा कि इस कवायद का किसी खास घटना से कोई संबंध नहीं है और यह डोकलाम का मुद्दा सामने आने से बहुत पहले से चल रहा था.

जेटली ने कहा, इस सुधार में तकरीबन 57,000 अधिकारियों और अन्य की फिर से तैनाती और संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करना शामिल है. रक्षा मंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद शायद पहली बार सेना में इस तरह की बड़ी और ‘दूरगामी प्रभाव’ वाली सुधार प्रक्रिया शुरू की जा रही है. यह पूछे जाने पर कि क्या यह कवायद डोकलाम प्रकरण के बाद की जा रही है, जेटली ने कहा, ‘यह किसी घटना विशेष की वजह से नहीं है. यह डोकलाम से काफी पहले से चल रहा है.’ सुधार पहल की सिफारिश लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेकटकर (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षतावाली समिति ने की थी. समिति को सेना की लड़कू क्षमता को बढ़ाने और सशस्त्र बलों के रक्षा खर्च का पुनर्संतुलन स्थापित करने की शक्ति दी गयी थी ताकि ‘टीथ टू टेल रेशियो’ को बढ़ाया जा सके. ‘टीथ टू टेल रेशियो’ से आशय हर लड़ाकू सैनिक (टूथ) के लिए रसद और समर्थन कर्मी (टेल) की मात्रा से है.

जेटली इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या डोकलाम की घटना के मद्देनजर सुधार की प्रक्रिया शुरू की गयी. बीते 16 जून से ही डोकलाम में भारत और चीन के बीच गतिरोध की स्थिति बनी हुई थी. यह गतिरोध उस वक्त शुरू हुआ जब भारतीय थलसेना के जवानों ने विवादित इलाके में चीनी थलसेना को सड़क बनाने से रोक दिया था. विदेश मंत्रालय ने 28 अगस्त को घोषणा की कि राजनयिक संवाद के बाद दोनों देश गतिरोध की जगह से अपनी-अपनी सेनाएं हटाने पर सहमत हुए हैं.

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