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सुनंदा पुष्कर मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को दिया दो हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का आदेश

नयी दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से बुधवार को निर्देश दिया कि वह कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में दो सप्ताह बाद जांच की स्थिति के बारे में अवगत कराये. न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की पीठ ने यह निर्देश उस वक्त दिया, जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल […]

नयी दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से बुधवार को निर्देश दिया कि वह कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में दो सप्ताह बाद जांच की स्थिति के बारे में अवगत कराये. न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की पीठ ने यह निर्देश उस वक्त दिया, जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने कहा कि अदालत पुलिस की अब तक की जांच का अवलोकन कर सकती है. जैन ने यह भी कहा कि अदालत मामले से जुड़े दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से चैम्बर में बात कर सकती है, क्योंकि मामले की जांच में पुलिस की तरफ से कोई ढिलाई नहीं बरती गयी है.

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उन्होंने दावा किया कि विलंब व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रिपोर्ट मिलने में देरी की वजह से हुआ है. इस पर पीठ ने कहा कि जांच को देखना या निगरानी करना उचित नहीं होगा, लेकिन वह निश्चित तौर पर जानना चाहेगी कि जांच आज किस स्तर पर है. अदालत ने कहा कि निश्चित तौर पर यह अनंत नहीं हो सकती. इसने कहा कि हमें आपकी रिपोर्ट देखने में कोई झिझक नहीं है, लेकिन जांच की निगरानी करना एक बुरी आदत है.

सुनंदा 17 जनवरी, 2014 की रात दक्षिणी दिल्ली स्थित एक पांच सितारा होटल के कमरे में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत मिली थीं. अदालत ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी. उसने कहा कि इस दौरान अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल को खुद जांच की स्थिति देखनी चाहिए. पीठ ने कहा कि यदि दो सप्ताह बाद जांच के घटनाक्रम पर आपके पास भिन्न रिपोर्ट हो तो ठीक है, नहीं तो हम इसे देखेंगे. इसमें जाने से पहले हम दो सप्ताह का इंतजार करेंगे और देखेंगे कि आप किस चीज के साथ आये हैं.

सुनंदा की मौत के मामले में अदालत की निगरानी में सीबीआई नीत एसआईटी जांच की मांग को लेकर याचिका दायर करने वाले भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि वह एसआईटी से दिल्ली पुलिस को निकाले जाने की मांग नहीं कर रहे हैं. स्वामी ने कहा कि विभिन्न रिपोर्टों में संकेत दिया गया है कि सुनंदा की मौत स्वाभाविक नहीं थी, लेकिन वैज्ञानिक रिपोर्ट हासिल करने में देरी जांच से छेड़छाड़ का प्रयास है. इस बीच, थरूर के सौतेले बेटे शिव मेनन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने अदालत में कहा कि जांच एजेंसी को मामले में समयबद्ध जांच का निर्देश दिया जाना चाहिए.

पाहवा ने कहा कि मेनन ने मामले में वाद दायर किया था, क्योंकि उसे नहीं लगता कि उसकी मां की मौत के मामले में उससे अधिक कोई और चिंतित होगा. उन्होंने आगे कहा कि मेनन को स्वामी की याचिका और इस संबंध में अन्य दस्तावेजों की प्रति हासिल करने का अधिकार है.

पीठ पाहवा के तर्क से सहमत हुई और स्वामी के साथ याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता इश्करन सिंह भंडारी को निर्देश दिया कि वह उसे प्रतियां उपलब्ध कराएं. स्वामी और भंडारी ने आरोप लगाया है कि जांच में अत्यधिक विलंब हुआ है, जो न्यायिक प्रणाली पर एक धब्बा है. हाईकोर्ट ने एक अगस्त को सुनंदा की मौत के कारणों का पता लगाने में विलंब को लेकर दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाया था.

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