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IRNSS-1H के लिए काउंटडाउन शुरू, पहली बार प्राइवेट कंपनियां भी सैटेलाइट प्रोजेक्ट में शामिल

श्रीहरिकोटा : इसरो आज देश का आठवां नेविगेशन सैटेलाइट IRNSS-1H (इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइटसिस्टम -1H) लॉन्च करेगा. यह इसरो का आठवां नेविगेशन सैटेलाइट है. इस प्रोजेक्ट की सबसे अहम बात कि इसमें पहली बार प्राइवेट कंपनियां भी शामिल हुई है.IRNSS-1H की असेंबलिंग और टेस्टिंग में निजी कंपनियों ने मदद की है. अब तक निजी कंपनियां […]

श्रीहरिकोटा : इसरो आज देश का आठवां नेविगेशन सैटेलाइट IRNSS-1H (इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइटसिस्टम -1H) लॉन्च करेगा. यह इसरो का आठवां नेविगेशन सैटेलाइट है. इस प्रोजेक्ट की सबसे अहम बात कि इसमें पहली बार प्राइवेट कंपनियां भी शामिल हुई है.IRNSS-1H की असेंबलिंग और टेस्टिंग में निजी कंपनियों ने मदद की है. अब तक निजी कंपनियां का काम केवल सामान आपूर्ति तक ही सीमित था. इस सैटेलाइट के निर्माण में 25 प्रतिशत योगदान प्राइवेट कंपनियों के एक ग्रुप ने दिया. इस ग्रप का नेतृत्‍व बेंगलुरु की अल्‍फा डिजाइन टेक्नोलॉजिज नाम की कंपनी कर रही है. इस समूह का छह कंपनियां शामिल हैं. हालांकि इस दौरान इसरो के वैज्ञानिकों ने मदद की.

इस सैटेलाइट को शाम सात बजे के करीब श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी 39 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया जाएगा. इसे पीएसएलवी-सी 39 की मदद से अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा.इसरो के मुताबिक, आईआरएनएसएस-1 ए की एटॉमिक क्लॉक्स बंद पड़ गयी है, जो भारतीय स्पेस मिशन में बड़ी समस्या साबित हो सकती है. इससे पहले रशियन ग्लोनास और यूरोपियन स्पेस एजेंसी के प्रोग्राम में भी यही दिक्कत आयी थी.

1425 किलो वजनी IRNSS-1H अंतरिक्ष में मौजूद IRNSS-1A की जगह लेगा. 2013 में लॉन्‍च किए गएIRNSS-1A की तीन एटॉमिक घडि़यों ने काम करना बंद दिया था. इसके चलते नए सैटेलाइट को लॉन्च करने की जरूरत पड़ी. इन एटॉमिक घड़ियों से ही सही लोकेशन की जानकारी मिलती है.

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