नरेंद्र मोदी कैबिनेट पुनर्गठन से जुड़ा सबसे बड़ा सवाल कल देश का रक्षामंत्री कौन बनेगा?
नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी कैबिनेट का रविवार सुबह दस बजे विस्तार होना है. इसके लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं, लेकिन अंदरखाने भाजपा व संघ के शिखर नेताओं की बैठकें जारी हैं. और, इन बैठकों में कैबिनेट विस्तार से जुड़े इस सवाल का ही प्रमुखता से जवाब तलाशा जा रहा है कि […]
नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी कैबिनेट का रविवार सुबह दस बजे विस्तार होना है. इसके लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं, लेकिन अंदरखाने भाजपा व संघ के शिखर नेताओं की बैठकें जारी हैं. और, इन बैठकों में कैबिनेट विस्तार से जुड़े इस सवाल का ही प्रमुखता से जवाब तलाशा जा रहा है कि देश का रक्षामंत्री कौन बनेगा. यही सबसे बड़ा सवाल है. इसके अलावा दूसरे सवाल कम महत्वपूर्ण हैं कि किन्हें कौन-सा मंत्रालय दिया जायेगा. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि कल रात गृहमंत्री राजनाथ सिंह के घर पर पर सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और नितिन गडकरी की बैठक में सबसे बड़ा सवाल यही था कि रक्षामंत्री किसे बनाया जाये. अरुण जेटली तीन दिन पहले कह चुके हैं कि वे ज्यादा दिन रक्षामंत्री के प्रभार में नहीं रहेंगे. वे खुद को वित्त मंत्रालय में फोकस्ड कर काम करना चाहते हैं और इसके लिए जरूरी है कि उनकी अतिरिक्त जिम्मेवारी हल्की की जाये.
जेटली ने मोदी सरकार के शुरुआती दिनों में भी रक्षा मंत्रालय को अतिरिक्त प्रभार के रूप में संभाला और बाद के दिनों में भी संभाल रहे हैं. बीच में मनोहर पर्रिकर इस अति महत्वपूर्ण पद पर थे.ध्यान रहे कि अहमपदोंकेलिए प्रतिभाशाली, प्रभावी व कद्दावर राजनीतिक शख्सियतों से पूर्व की सरकारें भी दो-चार होती रही हैं. अटल बिहारी वाजपेयी को भी परिस्थितिवश जब भी विदेश, वित्त, रक्षा मंत्रालय में फेरबदल करना पड़ा तो उनके पास तीन नाम जार्ज फर्नांडीस, जसवंत सिंह और यशवंत सिन्हा के अलावा दूसरे विकल्प नहीं मिलते थे. डाॅ मनमोहन सिंह को भी वित्त, विदेश,गृह मंत्रालय में बदलाव के लिए कम ही विकल्प दिखते थे. बाद के सालों में उन्होंने सुशील कुमार शिंदे को गृह व सलमान खुर्शीद को विदेश मंत्रालय में तैनात किया. कह सकते हैं कि ऐसी ही स्थितियों से मोदी सरकार का भी साबका पड़ा है, जब रक्षामंत्री चयन को लेकर गहन मंथन जारी है और अब भी सस्पेंस बना हुआ है.
अमित शाह की अनिच्छा और उनसे जुड़ी उम्मीदें
भाजपा अध्यक्ष के रूप में अमित शाह एक ऐसे कद्दावर शख्स हैं जो रक्षामंत्रीपदके लिए उपयुक्त ठहरते हैं. मीडिया में यह चर्चा जोर भी पकड़ी, लेकिन अमित शाह ने मंत्री बनने की खबरों को मजबूती से खारिज किया है. इंडियन एक्सप्रेस ने अमित शाह के करीबी के हवाले से एक रिपोर्ट में लिखा है कि शाह 2019 के लोकसभा चुनाव तक सरकार में शामिल नहीं होना चाहते हैं. क्योंकि वे संगठन में सक्रिय रह कर पूरी तरह से स्वयं को अप्रैल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर फोकस करना चाहते हैं और अध्यक्ष के रूप में अभी उनका जनवरी 2019 तक कार्यकाल है. हालांकि गुजरात के गृहमंत्री के रूप में वे मोदी के सेकेंड इन कमांड रहे हैं और उन्हें शासन का अनुभव है. इस नाते वे रक्षामंत्री पद के लिए उचित दावेदार हैं.
गडकरीसेभी उम्मीदें, पर परिवहन का क्या होगा?
रक्षामंत्री पद के लिए सरकार के अंदर से किसी अहम शख्स के नाम की बात की जाये तो इसके लिए नितिन गडकरी उपयुक्त ठहरते हैं. परिवहन मंत्री के रूप में नितिन गडकरी ने बीते तीन सालों में देश की आधारभूत संरचना के लिए शानदार काम किया है. इस मंत्रालय में उनकी जरूरत मोदी व पार्टी भी महसूस करती है, बल्कि रेल सहित उन्हें पूरे परिवहन सेक्टर का प्रभार दिये जाने की भी चर्चा है. कहा जा रहा है कि गडकरी परिवहन के काम को ही और आगे बढ़ाना चाहते हैं और वे रक्षा मंत्रालय में जाने के बहुत इच्छुक नहीं हैं. हालांकि पार्टी इस बातपरविचार कर रही है कि गडकरी को रक्षामंत्रालय में लाकर परिवहन में किसी नये शख्स को आगे बढ़ाया जाये.
ओम माथुर की क्या हो सकती है भूमिका?
भाजपा संगठन में अमित शाह के बाद अभी सबसे वरिष्ठ शख्स ओम प्रकाश माथुर हैं. ओम प्रकाश माथुर 1972 से संघ के प्रचारक हैं और पार्टी के सबसे वरिष्ठ महासचिव हैं. राजस्थान से आने वाले 65 वर्षीय ओम प्रकाश माथुर के पास संगठन का लंबा अनुभव है और हाल में उनके प्रभार में उत्तरप्रदेश में भाजपा विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की. उम्र में बड़ा होने व लंबा राजनीतिक अनुभव रखने वाले ओमप्रकाश माथुर का अमित शाह भी काफी सम्मान करते हैं.
ओम माथुर संभवत: भाजपा संगठन में अभी इकलौते महासचिव हैं, जो कोई बात अमित शाह को भी पूरे अधिकार के साथ कह सकने की स्थिति में होते हैं. कहा जाता है कि अंतिम समय में ओम माथुर ने ही उत्तरप्रदेश में मनोज सिन्हा केबजाय किसी और को सीएम बनाने व दो डिप्टी सीएम बनाने का फार्मूला इजाद किया था और इसके लिए उन्होंने मोदी-शाह से सीधी औरतर्क के साथ बात की थी. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भी उनके प्रभार में लड़ा गया था, जहां फडणवीस की उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी करवायी. माथुर को संघ-भाजपा के गलियारे में ओमजी भाईसाहब के नाम से जाना जाता है. अपने राजनीतिक अनुभवों के आधार पर सरकार में उनकी अहम दावेदारी तो बनती है, लेकिन उनके पास शासन का व्यापक अनुभव नहीं है.
ऐसे में अब देश का अगला रक्षामंत्री कौन बनेगा इस बड़े सवाल पर अब भी संशय है.