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CabinetReshuffle : टिप्पणी कर ट्विटर पर ट्रोल हुए राजदीप, चर्चा में आये डॉ मनमोहन और राहुल

रांची : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में हुए सबसे बड़े फेरबदल के बाद ट्विटर पर यूपीए सरकार में लगातार दो बार प्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा करनेवाले मनमोहन सिंह और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी चर्चा में आ गये हैं. दरअसल, वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के एक ट्वीट ने इन दोनों को चर्चा में ला दिया. […]

रांची : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में हुए सबसे बड़े फेरबदल के बाद ट्विटर पर यूपीए सरकार में लगातार दो बार प्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा करनेवाले मनमोहन सिंह और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी चर्चा में आ गये हैं. दरअसल, वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के एक ट्वीट ने इन दोनों को चर्चा में ला दिया.

सरदेसाई ने ट्वीट किया, ‘बाबू आदेश का पालन करने के लिए ट्रेंड किये जाते हैं, नेता सबसे पहले अपना आधार खुद बनाना चाहते हैं. क्या नेता से बेहतर मंत्री साबित होंगे बाबू?’ मोदी मंत्रिमंडल में कई पूर्व आइएएस और आइपीएस अधिकािरयों को शामिल किये जाने के बाद सरदेसाई ने यह ट्वीट किया.

सरदेसाई के ट्वीट की कुछ लोगों ने सराहना की. कहा कि उन्होंने बिल्कुल सही विश्लेषण किया है. लेकिन, सरदेसाई के इन विचारों का विरोध करनेवाले ज्यादा निकले. किसी ने उन्हें कांग्रेस का पिछलग्गू बताया, तो किसी ने उन्हें अपना काम यानी पत्रकारिता ठीक से करने की नसीहत दे डाली.

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इसी बहस में लोगों ने भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लपेट लिया. सरदेसाई के ट्वीट पर पीवी बावजी ने छूटते ही पूछा, ‘क्यों घड़ियाल की तरह रो रहे हो? अपना काम करो. तुम भूल गये कि तुम लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हो और देश की सेवा करने की बजाय इटली के एक परिवार की सेवा में जुटे हो.’

मुरली पी मिथुन ने प्रधानमंत्री के फैसले को जायज ठहराने की कोशिश की. उन्होंने लिखा, ‘सरकार के फैसले का उद्देश्य अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण नहीं, सुशासन है. निश्चित रूप से नेताअों में टैलेंट का अभाव है और इस कमी को दूर करने के लिए जो भी कदम उठाये जायें, उसकी सराहना होनी चाहिए.

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मनीष झा ने बेहद व्यक्तिगत टिप्पणी की. कहा, ‘आज भी राजदीप अपने बेडरूम में राहुल के डायपर रखते हैं. उन्हें लगता है शायद कभी उन्हें मदर माइनो की जगह राहुल का डायपर बदलने का मौका मिल जाये.’ वहीं मनोरंजन साहू कहते हैं, ‘बाबू कभी भी नेता बन सकते हैं, लेकिन नेता कभी बाबू नहीं बन सकते. क्या आप इस बात को समझते हैं? ऐसा लगता है कि आप महान बाबू को भूल गये, जो लगातार दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे.’

डॉ राहुल खैरनार ने मनमोहन सिंह पर हमला करनेवालों को जवाब दिया. कहा, ‘प्रधानमंत्री बनने से पहले वह देश के वित्त मंत्री थे. उससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे. वह ऐसे ही प्रधानमंत्री नहीं बन गये.’

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राजदीप सरदेसाई के ट्वीट पर दीप्ति तिवारी ने गंभीर टिप्पणी की. दीप्ति ने लिखा, ‘जब तक यूपीए थी, तब तक समझ में नहीं आया कि बाबू किसलिए ट्रेंड हैं. जब एनडीए की सरकार आयी, तब नौटंकी शुरू हो गयी. सब के सब सिविल सर्वेंट्स से जलते रहते हो. तभी ऐसी इंसल्टिंग (बेइज्जत करनेवाली) बातें करते हो. तुम जैसे बिके हुए लोग नहीं समझ सकते. आइएएस बनने की इच्छा रखनेवाले कुछ नाकाम लोग पत्रकार बन जाते हैं और पूरे सिस्टम को गाली देते रहते हैं.’

वह लिखती हैं, ‘अब तक तो यूपीए सरकार से पैसे खाये. याद नहीं है बिहार में राजद-जदयू गठबंधन की सरकार में दूसरी कक्षा पास शिक्षा मंत्री बना था. तब तुम जैसों ने भौंकना नहीं था.’ वहीं रवींद्र ने लिखा, ‘भूल गये उस बाबू को, जिसे न राज्य का मंत्री बनाया गया, न कैबिनेट मंत्री, सीधे देश का प्रधानमंत्री बना दिया गया?

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