अबू सलेम को उम्रकैद : साइकिल का पंक्चर बनाते हुए ”सलिमवा” कैसे बन गया अंडरवर्ल्ड डॉन?
मुंबई : 1993 मुंबई बम धमाके मामले के दोषियों को गुरुवार को मुंबई की टाडा विशेष अदालत ने सजा सुनायी. स्पेशल टाडा कोर्ट इस मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम समेत पांच दोषियों को सजा सुनायी. जिस अबू को अदालत ने सजा सुनायी है उसका बचपन भी काफी रोमांच से भरा हुआ था. बचपन में […]
मुंबई : 1993 मुंबई बम धमाके मामले के दोषियों को गुरुवार को मुंबई की टाडा विशेष अदालत ने सजा सुनायी. स्पेशल टाडा कोर्ट इस मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम समेत पांच दोषियों को सजा सुनायी. जिस अबू को अदालत ने सजा सुनायी है उसका बचपन भी काफी रोमांच से भरा हुआ था. बचपन में आजमगढ़ की गलियों में कंचा खेलकर पला-बढ़ा ‘सलिमवा’ वर्तमान में अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम के नाम से फेमस है. आजमगढ़ से 35 किलोमीटर दूर स्थित कस्बा सरायमीर अंडरवर्ल्ड की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम है और हो भी क्यों नहीं यहीं की गलियों में कंचा खेलकर पला बढ़ा एक साधारण सा लड़का अब डॉन बन चुका है. ‘जी हां’ यहां हम आपको बता रहे हैं अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम के बारे में जिसे बचपन में सब सलिमवा के नाम से बुलाते थे.
अबू सलेम को उम्रकैद की सजा, अदालत परिसर में हंस रहा था डॉन फिर हुआ खामोश
1960 के दशक में पठान टोला के एक छोटे से घर में वकील अब्दुल कय्यूम के यहां दूसरे बेटे अबू सलिम का जन्म हुआ. वकील होने के कारण अब्दुल कय्यूम का इलाके में खासा नाम था, लेकिन एक सड़क हादसे में हुई मौत के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गयी. घर की खराब माली हालत देख अबू सालिम को यहीं एक साइकिल पंक्चर ठीककरनेकी दुकान में नौकरी करनी पड़ी. वह काफी दिनों तक यहां मोटरसाइकिल और साइकिल के पंक्चर ठीक करने का काम करता रहा. कुछ दिनों तक नाई का भी काम अबू ने किया और लोगों की दाढ़ी भी बनायी.
इतने में अबू के परिवार का पालन पोषण नहीं हो पा रहा था जिससे ऊबकर उसने दिल्ली का रुख कर लिया और वहां पर ड्राइवर की नौकरी करने लगा. दिल्ली से वह मुंबई पहुंचा और कुछ दिनों तक डिलीवरी ब्वॉय के रूप में काम करने के बाद वह दाऊद के छोटे भाई अनीस इब्राहीम के संपर्क में आ गया. अनीस से मुलाकात के बाद अबू सलेम की जिंदगी बदलने लगी.
अनीस से मुलाकात के बाद शुरू हुई ‘सलिमवा’ की डॉन अबू सलेम बनने की कहानी. 12 मार्च 1993 मुंबई में अलग जगहों पर 12 बम विस्फोट हुए, जिसमें करीब 257 लोगों की मौत हो गयी और 713 अन्य लोग घायल हुए. इस बम ब्लास्ट में अबू सलेम का नाम उछला. धमाके के बाद पूरे सरायमीर को शक की निगाह से देखा जाने लगा. मां सालों तक बीड़ी बना कर खर्च चलाती थी. उस मां ने अपनी आखिरी सांस तक अबू सलेम को मुंबई अंडरवर्ल्ड से जुड़ने और 1993 के सीरियल बम धमाकों में शामिल होने के लिए माफ नहीं किया. मां की मौत के बाद अबू सलेम आजमगढ़ आया था. स्थानीय लोगों की मानें तो उस वक्त अबू सलेम काफी डरा हुआ लग रहा था. एक भी मिनट वह मुंबई पुलिस के जवानों की आंखों से ओझल नहीं हुआ. उसे यूपी पुलिस पर भी भरोसा नहीं था. उसके खिलाफ आजमगढ़ में भी दहेज उत्पीड़न का एक मामला चल रहा है.
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आपको बता दें कि अबू सलेम पुर्तगाल से 11 नवंबर, 2005 को भारत प्रत्यर्पित किए जाने तक वह फरार था. तब से लेकर अब तक विभिन्न मामलों में उस पर मुकदमा चल रहा है और मुंबई तथा ठाणे की जेलों में बंद रहा है. अबू पर जेल में दो बार जानलेवा हमला हो चुका है.