InternationalLiteracyDay : देश में आज भी हर सौ में से 26 लोग अनपढ़
8 सितंबर यानी विश्व साक्षरता दिवस. हमेशा की तरह आज भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज भी विश्व में हर सौ में से 16 लोग अनपढ़ हैं. यानी समाज के अंतिम पंक्ति तक शिक्षा की रोशनी नहीं पहुंची है. साक्षरता के मामले में भारत […]
8 सितंबर यानी विश्व साक्षरता दिवस. हमेशा की तरह आज भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज भी विश्व में हर सौ में से 16 लोग अनपढ़ हैं. यानी समाज के अंतिम पंक्ति तक शिक्षा की रोशनी नहीं पहुंची है. साक्षरता के मामले में भारत की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है. देश में हर सौ में से 26 लोग निरक्षर (अनपढ़) हैं. साक्षरता दिवस के मौके पर सिर्फ आयोजन की खानापूर्ति करने की बजाय समाज के आखिरी व्यक्ति को साक्षर करने की चुनौती है.
विश्व में 84 फीसदी हैं साक्षर
शिक्षा ही वह बुनियाद है, जिसकी बदौलत आप समाज में रोशनी बिखेर सकते हैं. यह ऐसा धन है, जिसे कोई चुरा नहीं सकता है. बल्कि बांटने से बढ़ता ही है. विश्व में साक्षरता दर 84% ही है यानी हर 100 में से 16 लोग अनपढ़ और निरक्षर हैं. हालांकि नेपाल, पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में साक्षरता दर काफी कम है. चीन की साक्षरता दर 93.3% है.
देश की साक्षरता दर 74 फीसदी
भारत में औसत साक्षरता दर और भी कम यानी 74% ही है. केरल को छोड़ दिया जाए तो देश के अन्य राज्यों की हालत औसत है, जिसमें से बिहार और उत्तर प्रदेश में तो साक्षरता दर 70 फीसदी से भी कम है. स्वतंत्रता के समय वर्ष 1947 में देश की केवल 12 प्रतिशत आबादी साक्षर थी. बाद में वर्ष 2007 तक यह प्रतिशत बढ़कर 68 हो गया और 2011 में यह बढ़कर 74% हो गया लेकिन फिर भी यह विश्व के 84% से बहुत कम है. 2001 की जनगणना के अनुसार 65 प्रतिशत साक्षरता दर के साथ ही देश में 29 करोड़ 60 लाख निरक्षर हैं, जो आजादी के समय की 27 करोड़ की जनसंख्या के आसपास हैं.
साक्षरता का अर्थ
साक्षरता सिर्फ किताबी शिक्षा प्राप्त करने तक ही सीमित नहीं होती बल्कि साक्षरता का तात्पर्य लोगों में उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता लाकर सामाजिक विकास का आधार बनाना है. साक्षरता गरीबी उन्मूलन, लिंग अनुपात सुधारने, भ्रष्टाचार और आतंकवाद से निपटने में मददगार है.
1966 में मना पहला विश्व साक्षरता दिवस
कम साक्षरता होने से किसी देश को कितना नुकसान उठाना पड़ता है इसका सबूत वहां की विकास दर से ही पता चलता है. विश्व में साक्षरता के महत्व को ध्यान में रखते हुए ही संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 17 नवंबर, 1965 को 8 सितंबर का दिन विश्व साक्षरता दिवस के लिए निर्धारित किया था. 1966 में पहला विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया था और तब से हर साल इसे मनाए जाने की परंपरा जारी है.
इस बार की थीम है डिजिटल दुनिया में शिक्षा
प्रत्येक वर्ष एक नए उद्देश्य के साथ विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता है. इस बार की थीम है डिजिटल दुनिया में शिक्षा.आज की तकनीकी दुनिया को ध्यान में रखते हुए UNESCO ने 2017 में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम "डिजिटल दुनिया में शिक्षा" रखी है. वर्ष 2015 का विषय-वस्तु था "साक्षरता एवं सतत सोसायटी" एवं 2016 का विषय-वस्तु था "इतिहास पढ़ें और भविष्य लिखें".
साक्षरता दर बढ़ाने में मिड डे मील ने निभाई अहम भूमिका
सरकार साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मील योजना, प्रौढ़ शिक्षा योजना एवं राजीव गांधी साक्षरता मिशन समेत कई अभियान चलाये गए, मगर सफलता आशा के अनुरूप नहीं मिली. इनमें से मिड डे मील देश में साक्षरता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई. इसकी शुरूआत तमिलनाडु से हुई,जहां 1982 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एम.जी. रामचंद्रन ने 15 साल से कम उम्र के स्कूली बच्चों को प्रति दिन निःशुल्क भोजन देने की योजना शुरू की थी.
झारखंड में हर सौ में से 24 लोग अनपढ़
झारखंड निर्माण के वक्त राज्य की साक्षरता दर महज 53.6 फीसदी थी. एक दशक बाद बढ़कर 66.41 फीसदी हो गयी. आज प्रदेश की साक्षरता दर 76 प्रतिशत है. राज्य की 550 पंचायतें पूर्ण साक्षर हो गयी हैं. वर्ष 2020 तक झारखंड को पूर्ण साक्षर करने का लक्ष्य रखा गया है.
झारखंड की साक्षरता दर है 76 प्रतिशत
साक्षरता को लेकर राज्य में साक्षर भारत अभियान चलाया जा रहा है. वर्ष 2001 में जहां साक्षरता दर मात्र 53.6 फीसदी थी, वह वर्ष 2011 में बढ़कर 66.41 प्रतिशत हो गयी है. वर्तमान में राज्य की साक्षरता दर लगभग 76 फीसदी है.
550 पंचायतें हुई हैं पूर्ण साक्षर
स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के अनुसार वर्ष 2014-15 में चार लाख, वर्ष 2015-16 में 13 लाख एवं वर्ष 2016-17 में 15 लाख लोगों को साक्षर किया गया है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने चरणबद्ध तरीके से पंचायतों को पूर्ण साक्षर करने का लक्ष्य रखा है. इसके तहत अब तक लगभग 550 पंचायत को पूर्ण साक्षर बनाया गया है. अगले चरण में 500 और पंचायतों को पूर्ण साक्षर करने का लक्ष्य रखा गया है.
रांची में 3.95 लाख हुए साक्षर
रांची जिले में 3.95 लाख लोग साक्षर हुए हैं. यह आंकड़ा अगस्त 2010 से मार्च 2017 तक का है. इनमें पांचवीं कक्षा के ड्रॉपआउट बच्चों से लेकर नवसाक्षर शामिल हैं. इनमें अधिकतर 15 साल से अधिक उम्र वाले लोग हैं. इनमें 2.40 लाख महिलाएं हैं. वहीं 1.55 लाख पुरुष हैं.
ये हैं शत प्रतिशत साक्षरता वाले प्रखंड व पंचायतों के नाम तमाड़ (नुमपीड़ी, उलिलोहर व कुरकुट्टा), बुंडू(गभडेया व तैमारा), नामकुम(आरा व टाटी पश्चिमी), सोनाहातु(गलऊ व हारिन), सिल्ली(लोटा, पतराहातु बंता जाम दक्षिणी), अनगड़ा (नवागढ़ ), बुढ़मू(मक्का व बुकबुक्का), रातु(बानापीड़ी व टुंडूल दक्षिणी), मांडर (लोयो व झिंझरी), चान्हो(बलसोकरा व सोंस ), बेड़ो(बेड़ो व ईट्टा), लापुंग(सापुकेरा व मालगो), कांके(मेसरा पश्चिमी, कांके दक्षिणी व अरसंडे ), ओरमांझी(ओरमांझी, करमा व चुट्टूपालू ).