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दिग्विजय सिंह की सलाह, नया कांग्रेस का हो गठन, एंटोनी कमेटी की सिफारिशों को लेकर उठाया सवाल

नयी दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आजकिये अपने ट्वीट से नयी बहस छेड़ दी है. उन्होंने ट्वीट किया है कि हमें युवालोगों और नए विचारों वाला नया कांग्रेस बनाना चहिए. उन्होंने लिखा है कि इस समय यह जरूरी है कि कांग्रेस नेतृत्व पार्टी की कार्यप्रणालीमें बदलाव करे, मुझे पूरा विश्वास है […]

नयी दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आजकिये अपने ट्वीट से नयी बहस छेड़ दी है. उन्होंने ट्वीट किया है कि हमें युवालोगों और नए विचारों वाला नया कांग्रेस बनाना चहिए. उन्होंने लिखा है कि इस समय यह जरूरी है कि कांग्रेस नेतृत्व पार्टी की कार्यप्रणालीमें बदलाव करे, मुझे पूरा विश्वास है कि राहुल गांधी इस अवसर पर आगे आकर ऐसाजरूर करेंगे. उन्होंने अपने ट्वीट में एंटोनी कमेटी या फ्यूचर चैलेंज कमेटी की रिपोर्ट के संबंधमें भी सवाल उठाया है और पूछा है कि यह कहां है?उल्लेखनीय है किएके एंटोनी कमेटी का गठन 2014लोकसभा चुनाव में पार्टीके हार के कारणों की समीक्षा और भविष्य में जीत सुनिश्चित करने के लिए उपायबताने के लिए हुआ था.

दिग्विजय सिंह ने यह ट्वीट ऐसे समय में किया है, जब कांग्रेस को केंद्र के बाद राज्यों में भी हाल का मुंह देखना पड़ रहा है. हालांकि इसमें पंजाब विधानसभा में जीत अपवाद रही है और इसके लिए ज्यादा क्रेडिट वहां के उसके स्थानीय नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह को ही जाता है. एक ओर भारतीय जनता पार्टी ने जहां अपने संगठन में पूरी तरह बदलाव कर लिया है और अमित शाह के नेतृत्व में तीसरी पीढ़ी ने संगठन का काम संभाल लिया है, वहीं कांग्रेस ऐसे बदलाव पर कशमकश में हैं. अब भी 60 साल से ऊपर के लोग सालों से न सिर्फ महासचिव के पद पर जमे बैठे हैं, बल्कि राज्यों के प्रभारी भी हैं. हालांकि कांग्रेस के पास युवा नेताओं की अच्छी और ऊर्जावान टीम है, जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितेंद्र सिंह, सचिन पायलट, जतिन प्रसाद आदि शामिल हैं.

एंटोनीकमेटीनेक्यासिफारिशकीथी?

कांग्रेस के कद्दावर नेता एके एंटोनी की अध्यक्षता में बनी एंटोनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कई अहम बातें कही थी औरभविष्य के लिए सुझाव दिये थे. कमेटी ने कहा था कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं में चुनाव के दौरान निराशा का भाव था, राज्यों में चुनाव पूर्व मजबूतगठजोड़ करने में हम विफल रहे, साथ ही भ्रष्टाचार के लगे आरोपों एवंकम्युनल पॉलराइजेशन के कारण पार्टी को सबसे बुड़े हार कामुंह देखना पड़ा. इस रिपोर्ट में बड़े नेताओं पर भी टिप्पणी की गयी थी और कहा गया था कि वे पार्टी की बजाय अपने परिवारजनों को ही जीत दिलाने में लगे हुए थे. नेताओं के बड़बोलेपन व यूपी कांग्रेसके नेताओं के अापसी झगड़े की भी निंदा की गयी थी. एंटनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में एक बड़ी बात यह कही थीकि पार्टी की तुष्टीकरण की नीतिउसके हार का महत्वपूर्ण कारण है. कमेटी ने युवा व ऊर्जावान लोगों को आगे बढ़ाने की भी बात कही थी.

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राहुल कोकांग्रेस महासचिव बनाने पर ऊहापोह

दिग्विजय सिंह चतुर राजनेता हैं और वह मौके को भांप कर ही कोई टिप्पणी करते हैं.एक वर्ग उन्हें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का राजनीतिकगुरु भी कहता है. लंबे समय से मीडिया में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के बारेमें खबरें आ रही हैं.बीच में इस आशय की खबरें आयी थीं कि 15 अक्तूबर तक राहुल गांधी को अध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकताहै. अभी वे पार्टी के उपाध्यक्ष हैं. हालांकि एक वर्ग अब भी सोनिया गांधी के नेतृत्व में विश्वास रखता है, इसका कारण सोनिया गांधी की विपक्षी पार्टियों में व्यापक स्वीकार्यता भी है. राहुल गांधी विपक्ष में बहुत अधिक स्वीकार्य नेता की छवि अभी तक नहीं बना सके हैं.

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