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राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के परिवार की कुछ संपत्तियों की होगी कुर्की, आयकर विभाग ने जारी किये आदेश

नयी दिल्ली : आयकर विभाग ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद और उनके परिवार के खिलाफ बेनामी सौदा जांच के सिलसिले में कुछ संपत्तियों के खिलाफ अंतिम कुर्की आदेश जारी किया है. जांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में कथित रूप से शामिल कंपनी एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ यह आदेश जारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 11, 2017 11:10 PM

नयी दिल्ली : आयकर विभाग ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद और उनके परिवार के खिलाफ बेनामी सौदा जांच के सिलसिले में कुछ संपत्तियों के खिलाफ अंतिम कुर्की आदेश जारी किया है. जांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में कथित रूप से शामिल कंपनी एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ यह आदेश जारी किया गया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रसाद के रिश्तेदार इस कंपनी की अचल संपत्तियों के लाभार्थी हैं.

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उन्होंने बताया कि दक्षिणी दिल्ली की न्यूफ्रेंड्स कॉलोनी में एक संपत्ति की मालकिन यह कंपनी है. इस साल जून में बेनामी विनिमय (रोकथाम) अधिनियम, 2016 के तहत कुर्की का अंतरिम आदेश जारी किया गया था और अब उचित वैधानिक कार्यवाही के बाद इस आदेश की पुष्टि की गयी है. उन्होंने बताया कि जिन अन्य संपत्तियों को जून में अंतरिम रूप से कुर्क किया गया था, उन मामलों में भी ऐसी ही कार्यवाही होगी.

विभाग ने इससे पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री प्रसाद, उनकी पत्नी एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बेटे एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, बेटियां चंदा, रागिनी यादव और सांसद मीसा भारती, दामाद शैलेश कुमार को संपत्तियों की कुर्की का नोटिस जारी किया था. कर विभाग ने दिल्ली और बिहार में करीब एक दर्जन भूखंड एवं भवन कुर्क किया था, जिनमें पालम विहार में फार्महाउस एवं जमीन, दक्षिण दिल्ली की न्यू फ्रेंडस कॉलोनी में एक भवन, पटना के फुलवारी शरीफ में 256.75 डेसीमल क्षेत्रफल के नौ भूखंड आदि शामिल हैं. फुलवारीशरीफ में इस जमीन पर शॉपिंग मॉल बन रहा था.

विभाग ने कहा है कि बेनामी संपत्तियों का बिक्रीनामा मूल्य करीब 9.32 करोड़ रुपये है, जबकि कर अधिकारियों ने उनका बाजार मूल्य 170-180 करोड़ रुपये आंका है. प्रसाद परिवार ने कहा है कि ये मामले उनके खिलाफ राजनीतिक बदले की भावना का नतीजा है. इस कानून में बेनामी संपत्तियां अंतिम अभियोजन के उपरांत बिना किसी मुआवजे के सरकार द्वारा जब्त कर लेने का प्रावधान है.

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