हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सक्रियता पर लगाम लगायेंगे भारत-जापान, आतंकवाद पर पाक को घेरा, 15 समझौतों पर करार

गांधीनगर : अपने विशेष सामरिक संबंधों को और गहरा बनाते हुए भारत और जापान ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता के बीच आपसी सहयोग को मजबूत बनाने और पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद एवं लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी समूहों समेत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति की पुरजोर वकालत की. दोनों देशों ने वैश्विक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2017 9:31 PM

गांधीनगर : अपने विशेष सामरिक संबंधों को और गहरा बनाते हुए भारत और जापान ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता के बीच आपसी सहयोग को मजबूत बनाने और पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद एवं लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी समूहों समेत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति की पुरजोर वकालत की. दोनों देशों ने वैश्विक एवं द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए नागर विमानन, कारोबार, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, खेल समेत विभिन्न क्षेत्रों में 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किये और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को मजबूत बनाने पर सहमति व्यक्त की.

प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबे ने महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों समेत विविध विषयों पर व्यापक चर्चा की. दोनों नेताओं ने कारोबार, सुरक्षा और असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को और गहरा बनाने पर भी चर्चा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत-जापान संबंध द्विपक्षीय अथवा क्षेत्रीय परिदृश्य तक सीमित नहीं है, बल्कि हमारे बीच अहम वैश्विक मुद्दों पर भी करीबी सहयोग है. दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की और मूल्यों पर आधारित इस गठजोड़ को मुक्त, निर्वाध और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र का निर्माण करने में उपयोग करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान किया जाना चाहिए और आपसी मतभेदों को बातचीत के जरिये सुलझाया जाना चाहिए जहां बड़ा या छोटा देश, सभी नौवहन और उड़ान संबंधी स्वतंत्रता का आंनद उठा सकें. संयुक्त बयान में हालांकि दक्षिण चीन सागर का जिक्र नहीं किया गया. पिछले साल संयुक्त बयान में इसका जिक्र था. जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत के बाद कहा कि हम एक जापान-भारत निवेश सहयोग रूपरेखा पर सहमत हुए हैं. हमने संयुक्त बयान पर भी हस्ताक्षर किया है जो भारत-जापान संबंधों में नये युग का सूत्रपात करता है. इसके आधार पर हम भारत-जापान के विशेष सामरिक संबंधों और वैश्विक गठजोड़ को मजबूती से आगे बढ़ायेंगे और इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र और पूरी दुनिया में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा.

एबे ने मालाबार त्रिपक्षीय नौसैनिक अभ्यास का हवाला देते हुए कहा है कि जापान-भारत-अमेरिका सहयोग को और मजबूत किया जायेगा. भारत और जापान अपने सहयोग को ऐसे समय में मजबूत बनाने की पहल कर रहे हैं जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सक्रियता बढ़ी है. दोनों देशों ने अलकायदा और पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद एवं लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की. वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो एबे ने पाकिस्तान से 2008 के मुंबई आतंकी हमले और 2016 के पठानकोट हमले समेत अन्य आतंकी हमलों को अंजाम देनेवालों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने को कहा. इसमें कहा गया है कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ की बढ़ती बुराई की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा की.

संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने इस विचार को साझा किया कि आतंकवाद सभी स्वरूपों में एक वैश्विक अभिशाप है और इसे कतई बर्दाश्त नहीं करने की भावना के साथ समन्वित वैश्विक कार्वाई के तहत पुरजोर तरीके से मुकाबला किया जाना चाहिए. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने सभी देशों से आतंकवाद के पनाहगाहों, इससे जुड़े आधारभूत ढांचे को समाप्त करने और आतंकी नेटवर्क एवं इसके वित्त पोषण के सम्पर्कों को जड़ से उखाड़ने का आह्वान किया, साथ ही सीमापार आतंकवाद के प्रवाह पर लगाम लगाने पर भी जोर दिया. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने सभी देशों से आतंकवाद के पनाहगाहों, इससे जुड़े आधारभूत ढांचे को ध्वस्त करने और आतंकी नेटवर्क एवं इसके वित्त पोषण के संपर्कों को जड़ से उखाड़ने का आह्वान किया, साथ ही सीमापार आतंकवाद के प्रवाह पर लगाम लगाने पर भी जोर दिया.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जापान ने साल 2016-17 में भारत में 4.7 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया, जो पिछले साल की तुलना में 80 फीसदी ज्यादा है. विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत-जापान ने 12वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संयुक्त आदानप्रदान कार्यक्रम सहित 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किये. मोदी ने कहा कि आपसी विश्वास और भरोसा, एक-दूसरे की चिंताओं की समझ और उच्च स्तरीय सतत संपर्क ये भारत और जापान संबंधों की खासियत है. हमारी विशेष रणनीति और वैश्विक गठजोड़ केवल द्विपक्षीय स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर भी हमारी समझ बहुत ही घनिष्ठ है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष मेरी जापान यात्रा के दौरान परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर सहयोग के लिए एक ज्ञापन तैयार हुआ था और इसके अनुमोदन के लिए मैं जापान की जनता, वहां की संसद और खासतौर पर अपने मित्र एबे का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं. उन्होंने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर हमारे सहयोग में इस समझौते ने नया आयाम जोड़ा है.

भारत और जापान में गुरुवारको जिन 15 महत्वपूर्ण समझौतों और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये उनमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संयुक्त आदान प्रदान समझौता भी शामिल है. इसके तहत जापान के संगठन एआइएसटी और भारत के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के बीच संयुक्त शोध का अनुबंद हुआ है. इसके अलावा जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा राष्ट्रीय उन्नत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के बीच सहमति पत्र पर भी हस्ताक्षर किये गये हैं. दोनों देशों ने अनुसंधान एवं शोध से जुड़ी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया है. दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय अकादमिक और खेल क्षेत्र में आदान प्रदान के लिए भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया. इसके तहत एलएनआइपीइ और निप्पन खेल विज्ञान विश्वविद्यालय के बीच सहयोग होगा. इस बारे में आशय पत्र भी किया गया.

भारत और जापान ने निवेश प्रोत्साहन का खाका तैयार किया. दोनों देशों ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए जापान-भारत विशेष कार्यक्रम पर सहयोग ज्ञापन (एमओसी) पर भी हस्ताक्षर किया. दोनों देशों ने नागर विमान क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की. इसके साथ ही भारत और जापान ने आपदा खतरा प्रबंधन के संबंध में भी सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. दोनों देशों ने भारत जापान एक्ट इस्ट फोरम को बढ़ावा देने पर भी सहमति व्यक्त की. दोनों देशों ने शीत एक्सप्रेस मेल सेवा शुरू करने के लिये भी समझौता किया.

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