Loading election data...

VIDEO : पितृपक्ष में कौवा को खाना खिलाने का है रिवाज, 50 रुपये दीजिए और कौवे को खाना खिलाइये

रांची : हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है. मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर धरती पर आकर लोगों को आशीर्वाद देते हैं. ये पितर पशु-पक्षियों के रूप में हमारे आसपास आते हैं. श्राद्ध तर्पण के बाद कुछ पशुओं और पक्षियों को भोजन कराने का रिवाज है. ऐसे में सोशल मीडिया में एक वीडियो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 15, 2017 5:05 PM

रांची : हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है. मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर धरती पर आकर लोगों को आशीर्वाद देते हैं. ये पितर पशु-पक्षियों के रूप में हमारे आसपास आते हैं. श्राद्ध तर्पण के बाद कुछ पशुओं और पक्षियों को भोजन कराने का रिवाज है. ऐसे में सोशल मीडिया में एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो में एक शख्स एक कौवे को पकड़े हुए है और लोग उसे भोजन करा रहे हैं. इसके एवज में वह शख्स हरेक व्यक्ति से 50 रुपये वसूल रहा है.

भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास समय का काफी अभाव हो गया है. साथ तकनीक के इस दौर में हम अपने आसपास के वातावरण को ऐसा बना चुक‍े हैं कि पशु-पक्षी लगभग लुप्‍तप्राय होते जा रहे हैं. मोबाइल टावरों के रेडिएशन से गौरेया (इस चिडि़यां) लगभग लुप्त हो चुकी है. एक अज्ञात बीमारी की वजह से कौवों पर भी आफत आयी हुई है. जंगल समाप्त हो रहे हैं, ऐसे में पक्षियों को रहने का ठिकाना नहीं मिल रहा है. शहरी क्षेत्रों में तो पक्षी कम ही देखने को मिलते हैं.

इन्हीं वजहों से कई मौकों पर भोजन कराने के लिए पशु और पक्षी हमें नहीं मिल पाते हैं. बेरोजगारी के इस दौर में इस शख्स ने कौवा को ही आमदनी का जरिया बना लिया है. इसने एक कौवे को पकड़ लिया है और लोगों की ओर से लाये गये आहार को कौवे को खिलाने का प्रयास कर रहा है. हाथों में जकड़ा हुआ बेचार कौवा भोजन की ओर देख भी नहीं रहा. लेकिन उसके चोंच को जबरन भोजन से स्पर्श कराया जा रहा है. यह शख्स एक जगह से दूसरे जगह कौवे को लेकर जाता है और भोजन कराने के एवज में एक आदमी से 50 रुपये लेता है.

हिंदू धर्म में मान्‍यता है कि गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी को पितृपक्ष में भोजन कराना चाहिए. इन्हीं पशु पक्षियों के रूप में हमारे पितर आसपास मौजूद रहते हैं. श्राद्ध के समय इनके लिए भी आहार का एक अंश निकाला जाता है, तभी श्राद्ध कर्म पूर्ण होता है. श्राद्ध करते समय पितरों को अर्पित करने वाले भोजन के पांच अंश निकाले जाते हैं – गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं के लिए. इन पांच अंशों का अर्पण करने को पञ्च बलि कहा जाता है. कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक है ,चींटी अग्नि तत्व का, कौवा वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं. इस प्रकार इन पांचों को आहार देकर हम पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. केवल गाय में ही एक साथ पांच तत्व पाए जाते हैं. इसलिए पितृ पक्ष में गाय की सेवा विशेष फलदाई होती है. मात्र गाय को चारा खिलने और सेवा करने से पितरों को तृप्ति मिलती है साथ ही श्राद्ध कर्म सम्पूर्ण होता है.

Next Article

Exit mobile version