छत्रपति मर्डर केस: जिन्होंने खोली थी राम रहीम के करतूतों की पोल, घर के बाहर हुई थी हत्या

रामचंद्र छत्रपति, पत्रकार, जिन्होंने बाबा राम रहीम का मामला उजागर किया था. उन्होंने बीमा लेने से इंकार कर दिया था. उनकी मौत से तकरीबन तीन माह पहले ही सरकार ने सभी पत्रकारों का बीमा कराने का आदेश जारी किया था. रामचंद्र छत्रपति ही वो पहले पत्रकार थे जिन्होंने अपने अखबार के जरिये राम रहीम के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2017 10:51 AM

रामचंद्र छत्रपति, पत्रकार, जिन्होंने बाबा राम रहीम का मामला उजागर किया था. उन्होंने बीमा लेने से इंकार कर दिया था. उनकी मौत से तकरीबन तीन माह पहले ही सरकार ने सभी पत्रकारों का बीमा कराने का आदेश जारी किया था.

रामचंद्र छत्रपति ही वो पहले पत्रकार थे जिन्होंने अपने अखबार के जरिये राम रहीम के खिलाफ 15 वर्ष पहले साध्वी के साथ यौन शोषण का मामला उजागर किया था. अपने सांध्य दैनिक अखबार ‘पूरा सच’ में वो अक्सर राम रहीम से जुड़ी करतूतें प्रकाशित किया करते थे. उनके अखबार में गुरमीत सिंह के आने के बाद डेरे की संपत्तियों में गुणात्मक इजाफा होने और उसकी तड़क-भड़क देखकर अनुयायियों की संख्या बढ़ने की बात छपी. कोई सार्वजनिक चढ़ावा स्वीकार नहीं करने के बावजूद संपत्ति में ऐसी वृद्धि पर छत्रपति ने खबरें जमा करनी शुरू की. उन्होंने पाया कि आसपास के गांवों के लोग या तो अपनी जमीन डेरे को बेच रहे हैं या दान दे रहे हैं. हर वक्त हजारों लोग चौदह-पंद्रह घंटे बिना मजदूरी लिए काम कर रहे हैं. लोग ऊपरी तौर पर इसे आस्था का मामला समझ रहे थे लेकिन मामला सिर्फ आस्था का नहीं था. उन्होंने अपनी खोजबीन पर आधारित कई तथ्यपूर्ण खबरें अपने अखबार में प्रकाशित की.

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फिर चाहे वह डेरे के लोगों द्वारा आस-पड़ोस के लोगों को धमकाकर या तंग करके जमीन बेचने की खबर हो, अनुयायियों की जीप से कुचलकर एक बच्ची के कुचले जाने के बाद अनुयायियों द्वारा पीड़ित परिवार को धमकाने का मामला हो, तारों में हुक लगाकर सालाना सत्संग के समय शहर को चमकाने की खबर हो या फिर किसी साध्वी के यौन-शोषण की सनसनीखेज खबर, सभी को उन्होंने अपने अखबार में प्रमुखता से जगह दी. उनके खबरों की प्रमाणिकता इतनी ठोस होती थी कि इसके बारे में डेरा अनुयायियों के पास कोई भी कोई तर्क या खंडन नहीं होता था. इसी क्रम में उन्होंने अपने अखबार में वही चिट्ठी छाप दी थी जो साध्वी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, चीफ जस्टिस पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट सहित कई लोगों को भेजी थी.

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20 अक्तूबर, 2002 को सिरसा में ‘पूरा सच’ के बैनर तले विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. योगेंद्र यादव इसमें मुख्य वक्ता थे. आभार व्यक्त करने के लिए जब छत्रपति मंच पर आये तब उन्होंने कहा था कि ‘न जाने क्यों मेरे अन्य पत्रकार साथी बेबाकी के साथ नहीं लिख पा रहे हैं. उनके पास सामर्थ्य है शक्ति है, और वो वक्त जल्दी ही आयेगा जब मेरे साथी पत्रकारों कि कलम भी बेबाकी के साथ चलेगी.’ 24 अक्तूबर, 2002 को जब वो अपने कार्यालय का कार्य निपटा कर अपने घर आ चुके थे, तब डेरा के विरोध में खुल कर आने के कारण राम रहीम के लोगों ने उनपर गोलियां चलवा दी. गोली लगने के बाद वो 28 दिनों तक अस्पताल में मौत से लड़ते रहे. इस दौरान पुलिस को दिये गये अपने स्टेटमेंट में उन्होंने राम रहीम का नाम भी लिया लेकिन पुलिस ने राम रहीम का नाम केस में नहीं डाला. गोली लगने से पहले उन्होंने डेरे की आमदनी के स्रोतों का भंडाफोड़ करने की बात कही थी.

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साध्वी ने 2002 में वाजपेयी को पत्र लिखा था

1. चिट्ठी में किसी का नाम नहीं था. सिर्फ आरोप लगाये गये थे कि सिरसा के डेरा सच्चा सौदा में पांच साल से साध्वी के रूप में रह रही है.

2. इसमें कहा कि डेरा में साध्वियों का यौन शोषण किया जा रहा है.

3. चिट्ठी में दो जगह की साध्वी का भी जिक्र था जिनके भी यौन उत्पीड़न किया गया.

4. सहायता की गुहार लगाते हुए लिखा गया मैं नाम-पता लिखूंगी तो मेरी हत्या कर दी जायेगी.

5. जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराने और साध्वियों का मेडिकल जांच की मांग की गयी थी.

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