हैपी बर्थडे पीएम मोदी: परिवार के फिक्रमंद परिवारवाद के नहीं, पढ़ें कैसे देश की सेवा में जुटे हैं
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जीवन के 68वें साल में कदम रखा. इस उम्र में भी वे युवा जोश, अदम्य ऊर्जा और प्रतिबद्धता से लबरेज व्यक्तित्व के धनी हैं. प्रधानमंत्री के रूप में बीते करीब सवा तीन बरस के कार्यकाल में उन्होंने देश का नेतृत्व करने की अपनी क्षमता और कुशलता […]
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जीवन के 68वें साल में कदम रखा. इस उम्र में भी वे युवा जोश, अदम्य ऊर्जा और प्रतिबद्धता से लबरेज व्यक्तित्व के धनी हैं. प्रधानमंत्री के रूप में बीते करीब सवा तीन बरस के कार्यकाल में उन्होंने देश का नेतृत्व करने की अपनी क्षमता और कुशलता का परिचय दिया है. उनकी राजनीतिक धारा और प्रशासनिक नीतियों से किसी को मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इस हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता कि उनके कतिपय चारित्रिक गुण सार्वजनिक जीवन के मौजूदा वातावरण में उन्हें विशिष्ट बनाते हैं. विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के निर्वाचित प्रधानमंत्री होने के बावजूद उन्होंने अपने को परिवारवाद की राजनीति से बचाये रखा है. ऐसे राजनेता न सिर्फ भारत में, बल्कि समूचे दक्षिण एशिया में गिने-चुने ही हैं.
भाई-भतीजावाद ने देश के राजनीतिक परिवेश को बुरी तरह से अपने चंगुल में ले रखा है, लेकिन मोदी का परिवार आज भी मामूली आयवर्ग का है. जनता से सीधे संवाद को बढ़ावा देकर उन्होंने सरकार और नागरिकों के बीच के बड़े फासले को काफी हद तक कम किया है. पीएम बनने के बाद भी बेहद सादगी के साथ जीवन जीनेवाले नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ राजनीतिक माहौल पर सकारात्मक असर डाला है, बल्कि नयी पीढ़ी के लिए आदर्श बन कर भी उभरे हैं. गुजरात के ऐतिहासिक नगर वडनगर के गरीब परिवार में 17 सितंबर, 1950 को जन्मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं…
पीएम निवास की साज-सज्जा नहीं
यह आम परिपाटी-सी बन चुकी है कि शीर्ष पदों पर नियुक्त कोई नया व्यक्ति जब अपने आधिकारिक निवास में पहुंचता है, उसकी साज-सज्जा पर भारी रकम खर्च करता है. इस तरह के खर्च का भुगतान सरकार करती है. लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके अपवाद हैं, जबकि खुद उनके कई मंत्रियों ने अपने सरकारी दफ्तरों और आवासों को महंगी चीजों से सजाया है. मई, 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी के आधिकारिक निवास- सात, रेसकोर्स रोड- में उनके व्यक्तिगत उपयोग के लिए निर्धारित कमरों में एलइडी बल्ब लगाने और पुराने पड़ चुके एअर कंडीशनर सिस्टम को हटाने के अलावा कोई नया बदलाव नहीं किया गया है. अंगरेजी अखबार ‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को सूचना के अधिकार के तहत आवेदन देकर प्रधानमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों के आवासों पर हुए खर्च का ब्योरा मांगा था. जिसके जवाब में विभाग ने बताया है कि प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत कमरों में ट्यूबलाइटों की जगह कम बिजली से चलने और अधिक रोशनी देनेवाले एलइडी बल्ब लगाये गये हैं. इसके अलावा एसी सिस्टम इसलिए बदलना पड़ा, क्योंकि उसके इस्तेमाल की मियाद पूरी हो चुकी थी. इन दो मामूली बदलावों के अलावा किसी तरह की मरम्मत या नया निर्माण नहीं हुआ है, और न ही कोई नयी चीज लगायी गयी है.
अवकाश भी नहीं
सभी पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री अपने ज्यादातर काम आवास पर स्थित कार्यालय से ही निबटाते थे, लेकिन मोदी दिल्ली में होने पर साउथ एवेन्यू के प्रधानमंत्री कार्यालय में सुबह नौ बजे पहुंच जाते हैं. हालांकि उनकी ज्यादातर बैठकें सात रेस कोर्स रोड में ही होती हैं, जो अक्सर आधी रात तक चलती हैं. सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने एक दिन का भी अवकाश नहीं लिया है.
परिवार के फिक्रमंद परिवारवाद के नहीं
यह हमारे देश की राजनीति की एक विडंबना ही है कि ज्यादातर पार्टियों के प्रमुख नेता न सिर्फ परिवारवाद को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि अपने परिजनों और रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखते हैं. लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में विरले नेताओं की सूची में हैं. उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन और राजनीतिक जिम्मेवारियों से परिवार को हमेशा अलग रखा है. उनके धुर राजनीतिक विरोधी भी यह तोहमत नहीं लगा सकते कि बतौर मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री उन्होंने अपने किसी परिजनों को कोई बेजा फायदा पहुंचाया है. हालांकि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वे अपनी मां और नजदीकी रिश्तेदारों का नियमित रूप से हालचाल लेते रहते हैं. पिछले वर्ष सितंबर के महीने में प्रधानमंत्री की भतीजी निकुंजबेन मोदी का देहांत हो गया. वे प्रधानमंत्री के छोटे भाई प्रह्लाद मोदी की बेटी थीं और बीते 8-9 सालों उन्हें दिल की बीमारी थी. उनकी हालत गंभीर होने की खबर पाते ही मोदी ने चीन में जी-20 बैठक से लौटने पर परिवारजनों को फोन कर हाल पूछा. उन्होंने मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार और कर्मकांड पूरा होने की जानकारी ली. निकुंजबेन अपने पति, बेटा और बेटी के साथ किराये के मकान में रहती थीं. रिपोर्टों के मुताबिक उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. पति जगदीश कुमार मोदी प्राइवेट कंपनियों में कंप्यूटर मरम्मत का काम करते हैं तथा निंकुजबेन अतिरक्त आमदनी के लिए ट्यूशन और सिलाई का काम करती थीं.
आम दिनचर्या
जानकार बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मात्र चार घंटे की नींद लिया करते हैं और बाकी समय में अपने काम में जुटे रहना पसंद करते हैं. वे सुबह से लेकर रात तक देश-दुनिया की खबरों से अपडेट रहते हैं. रोज सुबह चार बजे वे बिस्तर छोड़ देते हैं और उसके बाद फिर रात को ही लेटते हैं. तड़के सुबह उठने की उनकी बहुत पुरानी आदत है. योग, व्यायाम और चहलकदमी जैसी क्रियाएं भी उन्हें भाती हैं.
सादा भोजन
उन्हें सुबह हल्के नाश्ते के साथ अदरक की चाय पीना पसंद है. मोदी कम खाते हैं और सामान्यतः उन्हें खिचड़ी, कढ़ी, उपमा, खाकरा जैसे गुजराती और उत्तर भारतीय व्यंजन भाते हैं, जिन्हें उनके रसोइये बद्री मीना द्वारा तैयार किया जाता है.