स्मृति शेष: एक घंटे का समय लिया और पाक की टैंकों को कर दिया ध्वस्त

नयी दिल्ली: बात 1965 के भारत-पाक युद्ध की है. पाकिस्तानी टैंक लगातार भारत की ओर बढ़ रहे थे. तब अर्जन सिंह वायु सेना के चीफ थे. रक्षा मंत्रालय में सभी सेना प्रमुखों की मीटिंग बुलायी गयी. अर्जन सिंह से पूछा गया कि पाकिस्तान के टैंकों को रोकने के लिए कितना समय चाहिए? अर्जन सिंह का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 17, 2017 8:28 AM

नयी दिल्ली: बात 1965 के भारत-पाक युद्ध की है. पाकिस्तानी टैंक लगातार भारत की ओर बढ़ रहे थे. तब अर्जन सिंह वायु सेना के चीफ थे. रक्षा मंत्रालय में सभी सेना प्रमुखों की मीटिंग बुलायी गयी. अर्जन सिंह से पूछा गया कि पाकिस्तान के टैंकों को रोकने के लिए कितना समय चाहिए? अर्जन सिंह का जवाब था- सिर्फ एक घंटा. अपने वादे के मुताबिक अर्जन सिंह ने अखनूर की तरफ बढ़ रहे पाकिस्तानी टैंक और सेना के खिलाफ पहला हवाई हमला एक घंटे से भी कम समय में कर दिया. इस युद्ध में अर्जन सिंह की अहम भूमिका की आज भी मिसाल दी जाती है.

1965 में पाकिस्तान के दांत खट्टे करने वाले एयर मार्शल अर्जन सिंह नहीं रहे

1965 के युद्ध में वायु सेना में अपने योगदान के लिए उन्हें वायु सेनाध्यक्ष के पद से पद्दोन्नति देकर एयर चीफ मार्शल बनाया गया. वे भारतीय वायु सेना के पहले एयर चीफ मार्शल थे. उन्होंने 1969 में 50 साल की उम्र में अपनी सेवाओं से रिटायरमेंट ली. रिटायरमेंट के बाद उन्हें 1971 में स्विट्जरलैंड में भारतीय राजदूत नियुक्त किया गया. अर्जन सिंह पहले वायु सेना प्रमुख बने, जो चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ की रैंक तक फ्लाइंग कैटेगरी के फाइटर पायलट रहे. अपने करियर के दौरान उन्होंने 60 अलग-अलग तरह के विमानों को उड़ाया. इसमें मौजूदा दौर के नैट और वैमपायर विमानों के साथ-साथ सुपर ट्रांसपोर्टर विमान भी शामिल हैं.

#RIP #ArjanSingh : अपने करियर में अजेय रहा यह IAF 5 Star Marshal

1944 में सिंह ने भारतीय वायुसेना की नंबर एक स्क्वाड्रन का अराकन अभियान के दौरान नेतृत्व किया. 1945 में उन्होंने भारतीय वायुसेना की प्रथम प्रदर्शन उड़ान की कमान संभाली. सिंह को करियर के दौरान एक बार कोर्ट मार्शल का सामना भी करना पड़ा था. फरवरी, 1945 में केरल के एक घर के ऊपर बहुत नीची उड़ान भरी थी. उन्होंने ये कहते हुए अपना बचाव किया कि ये एक प्रशिक्षु पायलट (बाद में एयर चीफ मार्शल दिलबाग सिंह) का मनोबल बढ़ाने की कोशिश थी.

यह भी जानें

19 साल की उम्र में ली पायलट की ट्रेनिंग

जन्म : 15 अप्रैल, 1919 को पंजाब के ल्यालपुर, (अब फैसलाबाद, पाक).

शिक्षा : मांटगोमरी में, 1938 में आरएएफ कॉलेज क्रैनवेल में प्रवेश. दिसंबर, 1939 में एक पायलट अधिकारी के रूप में नियुक्त

परिवार : पिता एक डिवीजन कमांडर के एडीसी के रूप में सेवा प्रदान करते थे. दादा रिसालदार मेजर हुकम सिंह 1883 और 1917 के बीच कैवलरी से संबंधित थे. अर्जन सिंह 19 वर्ष की उम्र में पायलट ट्रेनिंग कोर्स के लिए चुने गये थे.

वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह द्वितीय विश्वयुद्ध के नायक थे और 1965 युद्ध में उनके सैन्य नेतृत्व के लिए राष्ट्र उनका आभारी है. महान वायु योद्धा और वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह के निधन पर दुखी हूं. उनके परिवार और वायुसेना समुदाय के प्रति संवेदना.

रामनाथ कोविंद, राष्ट्रपति

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