नयी दिल्लीः जिस रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने पर आतंरिक सुरक्षा को लेकर दक्षिण आैर दक्षिण पूर्व एशियार्इ देशों के लोग सशंकित हैं, उन रोहिंग्या मुसलमानों का रूह म्यांमार में सिर्फ एक नाम सुनने के बाद ही कांप जाता है. आज भारत समेत कर्इ देशों के लोगों के मन में यह सवाल जोरों से घर कर रही है कि आखिर क्या वजह है कि म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमान पलायन कर रहे हैं?
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मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, पिछले दो हफ्ते के दौरान म्यांमार से करीब 2.70 लाख रोहिंग्या मुसलमान पलायन कर चुके हें. इनमें से 60 हजार से अधिक एेसे रोहिंग्या मुसलमान हैं, जिन्होंने बांग्लादेश में शरण ले लिया है. वहीं, करीब 40 हजार के आसपास रोहिंग्या मुसलमान भारत में शरण लिये हुए हैं.
रोहिंग्या शरणार्थियों पर भारत सरकार का रुख
इन रोहिंग्या मुसलमानों में से कुछ के संबंध आतंकवादी संगठनों से होने की वजह से भारत सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके साफ कर दिया है कि वह इसी वजह से म्यांमार से पलायन होने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को शरण नहीं दे रही है. इसके साथ ही, सरकार के स्तर पर यह भी कहा जा रहा है कि आतंकवादी संगठनों से संबंध होने की वजह से ही पहले से यहां शरणार्थी के तौर पर रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार वापस जाने को कहा जा रहा है.
पलायन पर उठ रहे कर्इ सवाल
इन सबके इतर, खबर यह भी आ रही है कि आखिर रोहिंग्या मुसलमान भारत से म्यांमार जाना क्यों नहीं चाहते या फिर वहां जो रोहिंग्या रह रहे हैं, वे पलायन कर दूसरे देशों की शरण में क्यों जा रहे हैं? सबके मन में यही सवाल घर कर रहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार में जुल्म ढाने के पीछे असली वजह क्या है?
पलायन के पीछे बौद्ध भिक्षु विराथू का घसीटा जा रहा नाम
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, म्यांमार में एक ही एेसा व्यक्ति है, जिससे रोहिंग्या मुसलमानों की डर से हाड़ कांपती है आैर यह आदमी बौद्ध भिक्षु अशीन विराथू हैं. अभी हाल ही में म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों के पलायन को लेकर इंडोनेशिया में हुए प्रदर्शन के दौरान बौद्ध भिक्षु अशीन विराथू की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था. म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमान विराथू को कट्टरपंथी बौद्ध भिक्षु मानते हैं.
14 साल की उम्र में बौद्ध बन गये थे विराथू
दरअसल, इस समय दुनिया भर के मीडिया की सुर्खियों में बने रहने वाले बौद्ध भिक्षु अनीश विराथू का जन्म वर्ष 1968 में म्यांमार के मंडल्ये के पास एक गांव में हुआ था. मीडिया में आ रही खबरों में यह बताया जा रहा है कि विराथू ने बौद्ध भिक्षु बनने के लिए 14 साल की उम्र में ही स्कूल छोड़कर गुरुआें की शरण गह ली थी.
17 साल पहले मुसलमानों के खिलाफ आंदोलन में शामिल हो गये थे विराथू
बताया यह भी जा रहा है कि म्यांमार में जब वर्ष 2001 में मुसलमानों के खिलाफ अभियान ‘969’आंदोलन (तीन अंकों वाली 969 संख्या को भगवान बुद्ध का प्रतीक माना जाता है.) चलाया जा रहा था, तब अशीन विराथू उसमें शामिल हो गये थे. बताया यह भी जा रहा है कि वर्ष 2013 में एक धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने को लेकर उन्हें 25 साल की सजा भी सुनायी गयी थी, लेकिन इसके कुछ दिन बाद ही राजनीतिक कैदियों की रिहार्इ के समय उन्हें भी कैद से मुक्त कर दिया गया था.
रोहिंग्याआें के पलायन का अहम कारण
मीडिया में यह भी कहा जा रहा है कि इस समय म्यांमार में करीब 80 फीसदी आबादी बौद्ध धर्म के अनुयायियों की है, जबकि चार से पांच फीसदी आबादी मुसलमानों की है. यहां जब कभी भी सांप्रदायिक दंगा हाेता है, तो सबसे अधिक नुकसान रोहिंग्या मुसलमानों का होता है.
क्या है दूसरी वजह
मीडिया की खबरों में म्यांमार के बौद्धों में घृणा का दो सबसे बड़ी वजह बतायी जा रही है. उसमें यह है कि वर्ष 2012 में एक बौद्ध लड़की के साथ तथाकथित तौर पर किसी रोहिंग्या मुसलमान ने रेप कर दिया था. बाद में यह विवाद इतना बढ़ गया कि दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे. दूसरी जो सबसे अहम वजह बतायी जा रही है, वह यह कि म्यांमार के सैनिक रोहिंग्या मुसलमानों पर बर्बरतापूर्ण जुल्म ढाते हैं. इस कारण इन लोगों ने गोलबंद होकर वहां की सैन्य टुकड़ियों पर हमला करना शुरू कर दिया. इन्हीं दो अहम कारणों से म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों को तड़ीपार करने का सिलसिला शुरू कर दिया गया.