मायावती ने भाजपा पर साधा निशाना, कहा- सहारनपुर घटना की आड़ में रची गयी थी हत्या की साजिश

मेरठ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने दावा किया है कि सहारनपुर घटना की आड़ में भाजपा ने उनकी हत्या की साजिश रची थी. इसीलिए सहारनपुर में मामूली विवाद को जातीय संघर्ष का रूप दे दिया गया था. अपने भाषण में भाजपा पर तीखा प्रहार करते हुए मायावती ने मेरठ में आयोजित रैली में आरोप लगाया कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 19, 2017 9:17 PM

मेरठ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने दावा किया है कि सहारनपुर घटना की आड़ में भाजपा ने उनकी हत्या की साजिश रची थी. इसीलिए सहारनपुर में मामूली विवाद को जातीय संघर्ष का रूप दे दिया गया था. अपने भाषण में भाजपा पर तीखा प्रहार करते हुए मायावती ने मेरठ में आयोजित रैली में आरोप लगाया कि सहारनपुर के शब्बीरपुर में जानकर जातीय हिंसा भड़कायी गयी, ताकि उनके रहते अगर खूनी संघर्ष हो जाये, तो दलितों के साथ ही उनकी भी हत्या कर दी जायेगी.

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उन्होंने कहा कि इस तरह बसपा को दफन करने की साजिश रची गयी थी. रैली में पहली बार मायावती के भाई आनंद और भतीजा आकाश मौजूद थे. हालांकि, दोनों ने रैली में कोई भाषण नहीं दिया, लेकिन मंच पर आकर रैली में मौजूद लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया. रैली में मायावती ने सपा का कोई जिक्र नहीं किया और कांग्रेस के प्रति भी नरमी बरती. उन्होंने भाजपा को निशाने पर लेते हुए यह भी आरोप लगाया कि ईवीएम को लेकर लग रहे आरोपों से लोगों का ध्यान हटाने और सियासी फायदे के लिए सहारनपुर में जातीय दंगे कराये गये.

बसपा प्रमुख सोमवार को यहां पार्टी के तीन मंडलों के महासम्मेलन को संबोधित कर रही थीं. इसमें 71 विधानसभा क्षेत्रों के कार्यकर्ता और समर्थक मौजूद थे. मायावती ने आरोप लगाया कि लोकसभा और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ईवीएम मशीन में गड़बड़ी करके चुनाव जीता है. बसपा कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर 11 अप्रैल को धरना प्रदर्शन भी किया था. ईवीएम गड़बड़ी को लेकर हम सुप्रीम कोर्ट गये, तो भाजपा ने इससे ध्यान हटाने के लिए एक सोची समझी साजिश के तहत सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दंगा करा दिया.

उन्होंने दावा किया कि सहारनपुर में दलितों का शोषण हुआ. 18 जुलाई को राज्यसभा में मुझे इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष ने बोलने नहीं दिया. इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ है. यही वजह है कि मैंने राज्यसभा सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर को भी दलितों और आदिवासियों के हक में कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. मायावती ने आरोप लगाया कि पदोन्नति में आरक्षण का मामला अभी तक लटका हुआ है. इसी तरह निजी क्षेत्र में आरक्षण देने का मामला भी लंबित है.

उन्होंने आरोप लगाया कि दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया. उन्होंने दावा किया कि बसपा के दबाव के चलते कांग्रेस को दलित व्यक्ति को प्रत्याशी बनाना पड़ा. मायावती ने कहा कि चुनावों के वक्त भाजपा ने वादा किया था, सरकार बनने के बाद किसानों का सभी कर्ज माफ किया जायेगा. सरकार बनने के बाद योगी ने कहा कि एक लाख का कर्ज माफ करेंगे लेकिन इसके बाद सरकार ने किसानों का एक रुपया या दो रुपया माफ किया. यह किसानों के साथ धोखा नहीं तो क्या हैं?

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