जेटली ने दिया संकेत : अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने मोदी सरकार करेगी उपाय, रोजगार पर होगा जोर
नयी दिल्ली : केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिये गये फैसलों की जानकारी देने मीडिया के सामने आये वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आज एक बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार अतिरिक्त कदम उठाएगी. उन्होंने कहा कि इसकी घोषणा प्रधानमंत्री से चर्चा के बाद की जाएगी. जेटली ने एक […]
नयी दिल्ली : केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिये गये फैसलों की जानकारी देने मीडिया के सामने आये वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आज एक बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार अतिरिक्त कदम उठाएगी. उन्होंने कहा कि इसकी घोषणा प्रधानमंत्री से चर्चा के बाद की जाएगी. जेटली ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वे अभी इस प्रेस कान्फ्रेंस में इसका एलान करने की स्थिति में नहीं हैं. वित्तमंत्री अरुण जेटली का यह बयान कल शाम दो घंटे से अधिक समय तक रेलमंत्री पीयूष गोयल,वाणिज्य मंत्रीसुरेश प्रभु, नीति आयोग उपाध्यक्ष राजीव कुमार सहित आर्थिक मामलों के विभिन्न विभागों के सचिवों व दूसरे मंत्रालयों केअफसरों के साथ हुई बैठक से जुड़ी है और उसी समय सरकार ने ऐसे कदम उठाने का मन बनाया, जिसका अाज औपचारिक एलान किया गया.
अर्थव्यवस्था में सुस्ती मोदी सरकार के लिए चिंता का सबसे बड़ा कारण है. एसबीआइ के रिसर्च में सुस्ती को वास्तविक बताया गया है और इसके आगे जारी रहने की आशंका व्यक्त की गयी है. यह सुस्ती तब और अहम हो जाती है, जब मात्र डेढ़ साल बाद देश में आम चुनाव होने हैं. रोजगार व मैन्युफैक्चरिंग दो ऐसे सेक्टर हैं, जहां मोदी सरकार का परफार्मेंस कमजोर रहा है.
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पिछले दिनों जीडीपी के आंकड़े आये थे, जिसमें जबरदस्त गिरावट दर्ज की गयी. यह गिरावट सबसे ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ह्रास के कारण आया है. आर्थिक मामलों के जानकार इसका कारण नोटबंदी को बताते हैं, जबकि सरकार का तर्क रहा है कि जीएसटी को लेकर कायम अनिश्चितता के कारण मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट आयी है. जून सेक्टर में जीडीपी 5.7 प्रतिशत थी, जिसमें अकेले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का ग्रोथ इस अवधि में पिछले वर्ष की तुलना में 10.7 से गिरकर 1.2 प्रतिशत हो गयी थी. जीडीपी के नंबर में गिरावट के साथ भारत ने सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा चीन के हाथों खो दिया.
बड़ी संख्या में नौकरियां सृजित करने की चुनावी घोषणा के साथ सत्ता में आयी नरेंद्र मोदी सरकार की इस मुद्दे पर आलोचना हो रही है. सरकार ने कौशल विकास के जरिये बड़ी संख्या में रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा था, लेकिन मंत्रालय इस लक्ष्य को पाने में विफल रहा और इस कारण पिछले दिनों राजीव प्रताप रूडी को इस मंत्रालय से बाहर जाना पड़ा एवं धर्मेंद्र प्रधान को इस मंत्रालय की जिम्मेवारी सौंपी गयी, जो पहले से पेट्रोलियम मंत्रालय भी देख रहे हैं. मोदी सरकार को उम्मीद है कि तेज-तर्रार प्रधान चुनाव तक कौशल विकास के जरिये कुछ नया करिश्मा दिखा सकते हैं.
सूत्रों का कहना है कि मोदी सरकार ग्रामीण भारत एवं मध्यम वर्ग की परेशानी दूर करने के लिए राहत पैकेज देगी और यह रोजगार सृजन वाले क्षेत्रों, मैन्युफैक्चरिंग, एक्सपोर्ट पर फोकस होगा. जेटली ने आज खुले तौर पर इसके संकेत दे ही दिया है. जेटली अभी संबंधित सचिवों के साथ दो-तीन दौर की और बैठकें करेंगे, जिसके बाद इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं बैठक लेंगे और उसमें अंतिम फैसला लिया जायेगा. अामबजट से पूर्व सरकार राहत पैकेज का एलान कर सकती है.