हाइकोर्ट ने तमिलनाडु विधानसभा में शक्ति परीक्षण पर स्थगन की अवधि बढ़ायी

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु विधानसभा में शक्ति परीक्षण पर लगायी गयी रोक की अवधि अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दी. तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल द्वारा सोमवार को दिनाकरन खेमे से जुड़े अन्नाद्रमुक के 18 विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2017 7:28 PM

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु विधानसभा में शक्ति परीक्षण पर लगायी गयी रोक की अवधि अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दी. तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल द्वारा सोमवार को दिनाकरन खेमे से जुड़े अन्नाद्रमुक के 18 विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम दुराईस्वामी ने यह आदेश दिया. विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने पर कोई स्थगन नहीं है.

न्यायाधीश ने 14 सितंबर को दिये गये अपने आदेश में शक्ति परीक्षण पर बुधवार तक के लिये रोक लगायी थी. न्यायाधीश ने यह भी निर्देश दिया कि बागी विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने की वजह से जो 18 विधानसभा सीटें खाली हुई हैं उनके लिए कोई चुनावी अधिसूचना भी जारी नहीं की जायेगी. अयोग्य ठहराये गये 18 में से आठ विधायकों ने दल बदल कानून के तहत अपने खिलाफ हुई कार्रवाई को मंगलवारको अदालत में चुनौती दी थी. उन्होंने अपनी अलग-अलग याचिकाओं में स्पीकर पी धनपाल के आदेश पर हमला बोला और इस आदेश को अनाधिकृत एवं अवैध बताया. याचिकाओं में मांग की गयी कि स्पीकर, सरकारी प्रमुख सचेतक एस राजेंद्रन, मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी और विधानसभा सचिव को निर्वाचित प्रतिनिधियों के तौर पर उनके अधिकारों में हस्तक्षेप करने से रोका जाये.

राजेंद्रन की याचिका पर कदम उठाते हुए स्पीकर ने सोमवार को दलबदल विरोधी कानून और संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत 1986 में बने अयोग्यता संबंधी नियमों के तहत 18 विधायकों को अयोग्य करार दे दिया था. ये विधायक अन्नाद्रमुक के नेता टीटीवी दिनाकरण के समर्थक थे. विधायकों ने 22 अगस्त को राज्यपाल सी विद्यासागर राव से मुलाकात करके मुख्यमंत्री में अविश्वास जताया था. इसके बाद मुख्य सचेतक स्पीकर के पास गये थे.

दिनाकरन ने विधायकों को अयोग्य करार दिये जाने की निंदा करते हुए कहा था कि वे स्पीकर के कदम को कानूनी तौर पर चुनौती देंगे. याचिकाकर्ताओं के नाम हैं पी वेटरीवल, एनजी प्रतिबान, पी पलानीअप्पन, जयंती पदमनाभन, सेंथिल बालाजी, आर मुरुगन, आर बालसुब्रमणि और एस मुथैया. उन्होंने स्पीकर द्वारा पारित किये गये अयोग्यता संबंधी आदेश को अनाधिकृत, अवैध और अधिकार क्षेत्र से परे बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की. उन्होंने अदालत से यह भी कहा कि वह 18 सितंबर के विवादित आदेश के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाये और उन्हें मौजूदा सरकार पर विश्वास मत के साथ-साथ विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दे. 18 विधायकों को अयोग्य करार दिये जाने के साथ ही 234 सदस्यीय विधानसभा में महज 215 निर्वाचित सदस्य रहे गये हैं. एक सीट पहले से ही खाली है.

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