साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करेंगे पीएम मोदी

नयी दिल्ली : शहरों के साथ गांव के विकास की जरुरत को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिये सहकारिता को मधुमक्खी पालन, समुद्री खरपतवार के उत्पादन जैसे नये क्षेत्रों में प्रवेश करना चाहिए. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2017 1:41 PM

नयी दिल्ली : शहरों के साथ गांव के विकास की जरुरत को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिये सहकारिता को मधुमक्खी पालन, समुद्री खरपतवार के उत्पादन जैसे नये क्षेत्रों में प्रवेश करना चाहिए. प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या किसान थोकमूल्य के आधार पर खरीदे और खुदरा मूल्य के आधार पर अपने उत्पाद बेचे?

सहकारिता आंदोलन के प्रणेताओं में शामिल लक्ष्मण राव ईनामदार के जन्मशती समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि ग्रामीण जीवन में आधुनिक संदर्भ में कृषि क्षेत्र के विकास की दिशा हम सहकारिता के माध्यम से तय कर सकते हैं. साल 2022 में किसानों की आय दोगुनी कैसे हो ? ऐसी कौन कौन सी चीजों को जोड़े और किन गलत आदतों को छोडें ताकि कृषि को आधुनिक संदर्भ में आगे बढाया जा सके. यह महत्वपूर्ण विषय है. उन्होंने कहा कि शहर का विकास हो, लेकिन गांव पीछे नहीं छूटे. यह ध्यान रखने की जरुरत है. इसके लिये सम्यक विकास की आवश्यकता होती है, समान अवसर की आवश्यकता होती है. सम्यक विकास और समान अवसर के मूल में सहकारिता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में किसानों की कई समस्याएं हैं लेकिन एक बात देखें कि किसान जो खरीदता है, वह खुदरा मूल्य (रिटेल) के आधार पर और अपने उत्पाद थोक मूल्य के आधार पर. यह उल्टा हो सकता है क्या ? किसान खरीदे थोक मूल्य के आधार पर और अपने उत्पाद को खुदरा मूल्य के आधार पर बेचे. हमें इस पर विचार करना चाहिए. ऐसा होगा तब उसे (किसान को) कोई लूट नहीं पायेगा, कोई बिचौलिया उसे काट नहीं पायेगा. मोदी ने इस संदर्भ में डेयरी उद्योग का उदाहरण दिया और कहा कि डेयरी उद्योग की विशेषता यह है कि यहां किसान थोक मूल्य के आधार पर खरीदता है और बेचता भी थोक मूल्य के आधार पर है. इसमें सहकारिता का मंत्र है और किसानों को आय के साथ सुविधाएं भी मिलती हैं.

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प्रधानमंत्री ने कहा, डेयरी उद्योग सहकारिता के आधार पर आगे बढा. क्या हम दूसरे क्षेत्र में ऐसी सहकारिता वाली व्यवस्था खडी नहीं कर सकते हैं. अभी अनेक ऐसे विषय और क्षेत्र हैं जहां सहकारिता ने कदम नहीं रखा है. अनगिनत ऐसे क्षेत्र हैं जहां सहकारिता की हवा नहीं पहुंची है. ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां एक पीढी को खपना पडेगा तब हम उसे खड़ा कर सकते हैं. उन्होंने इस संदर्भ में यूरिया को नीम लेपित करने के लिये नीम की फली एकत्र करने और उसे फैक्टरी तक पहुंचाने के लिये सहकारिता को पहल करने, शहद पैदा करने के लिये मधुक्रांति और मुछआरों द्वारा समुद्र के किनारे समुद्री खरपतवार के उत्पादन करने में सहकारिता पहल का सुझाव दिया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारिता हमारे देश के स्वभाव में है. यह उधार में ली गयी व्यवस्था नहीं है. यह देश के चिंतन, स्वभाव और व्यवहार के अनुरुप व्यवस्था है. ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिये सहकारिता बहुत बडा योगदान कर सकती है. सहकारिता आंदोलन में हाल के समय में उत्पन्न खामियों की ओर इशारा करते हुए मोदी ने कहा कि कालक्रम में व्यवस्थाओं में दोष आते ही हैं. कुछ व्यवस्थाएं कालवाह्य हो जाती हैं. सहकारिता क्षेत्र से जुडे हर किसी को आत्मचिंतन करते रहना चाहिए. कहीं ऐसा तो नहीं समझ रहे हैं कि सहकारिता एक ढांचा हैं, या कानूनी व्यवस्था है. अगर हम यह समझे कि यह केवल संविधान और नियम के दायरे और चौखट में बांधी हुई व्यवस्था है, तब तो गलत हो जायेगा. उन्होंने कहा कि इतना बडा देश है तब नियमों, व्यवस्थाओं की जरुरत होगी। क्या करें और क्या नहीं करें.. यह भी जरुरी है. लेकिन सहकारिता केवल इससे नहीं चलती है. सहकारिता केवल एक व्यवस्था नहीं बल्कि एक भावना है. इसके लिये संस्कार की जरुरत होती है.

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मोदी ने कहा कि इसलिये वकील साहब (लक्ष्मण राव ईनामदार) कहते थे कि बिना संस्कार, नहीं सहकार. आज नजर आता है कि यह भावना कहीं न कहीं ढांचे में खो गयी है. इसलिये सहकारिता की भावना को ताकत देने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन का आधार ग्रामीण क्षेत्र रहा है, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है. इसके साथ ही शहरी क्षेत्र में सहकारिता खडी हुई और शहरी बैंकिंग सहकारिता खड़ी हुई. इसके बाद इसके रंग रुप बदलने लगे, ताने बाने बिखरने लगे, शंका कुशंकाओं का दायरा बढता गया. लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्र में सहकारिता का पवित्र एहसास होता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान को लगता है कि उसके लिये सहकारिता सही रास्ता है और सहकारिता आंदोलन के लिये समय देने वालों को लगता है कि गांव, गरीब और किसान के लिये कुछ किया है.

लक्ष्मण राव इनामदार का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि मेरे लिये उनका जीवन नित्य प्रेरणा का स्रोत रहा है. मैंने उनके मार्गदर्शन में काम किया है. उनका सादगीपूर्ण जीवन, फिर भी स्वयं को चित्र में नहीं आने देना तथा साथी आगे बढे, साथियों की ताकत आगे बढ़े इस महान परंपरा के वाहक के रुप में उन्होंने अपना जीवन खपाया.

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