नयी दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने गुरुवारको दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में अन्य सभी तरीकों का इस्तेमाल करने के बाद अब अपराध मनोविज्ञान विधि से जांच शुरू करना चाहती है. दिल्ली पुलिस को जांच की नयी विधि का प्रयोग करने की मंजूरी देते हुए हालांकि, न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति चंद्र शेखर की पीठ ने नाराजगी जतायी कि तीन साल पुराने इस मामले की जांच को अब भी खींचा जा रहा है. पुलिस ने कहा कि इस विधि से जांच में अधिकतम आठ सप्ताह का समय लगेगा और इसमें कुछ लोगों से निजी पूछताछ शामिल की जायेगी. पीठ ने कहा कि जांच 2014 में शुरू हुई थी तथा अब 2017 में पुलिस किसी और तरीके से जांच करना चाहती है.
अदालत ने पुलिस से पूछा, क्या किसी जांच एजेंसी को जांच को इतने लंबे समय तक खींचना चाहिए? पीठ ने यह भी आशा जतायी कि अंतिम रिपोर्ट सौंपने में और देरी नहीं होगी, क्योंकि सुनंदा के बेटे शिव मेनन ने अदालत में याचिका दायर करके जो कुछ हो रहा है उस पर अत्यंत चिंता जतायी है. जांच एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि कुछ लोगों से व्यक्तिगत तौर पर पूछताछ से जुड़े जांच के नये तरीके का इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा है कि कोई भी सबूत छूट ना पाये. इसके बाद पीठ ने पुलिस से दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने के लिए कहा जिसमें यह बताया जाये कि जांच को पूरा होने में लगभग कितना समय लगेगा.
सुनवाई के दौरान भाजपा नेता सुब्रह्मणयम स्वामी ने कहा कि इंडियन प्रीमियर लीग के नजरिये से भी इस मामले की जांच की जानी चाहिए. सुब्रह्मणयम ने सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में अदालत की निगरानी में एसआइटी से जांच कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को इस मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए. बहरहाल, अदालत ने इससे इनकार करते हुए कहा कि वह उचित समय पर इस पर विचार करेगी.
अदालत ने कहा, हम इस समय किसी भी तरह मामले को भटकाना नहीं चाहते. अदालत ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 26 अक्तूबर की तारीख तय की. दक्षिणी दिल्ली स्थित एक पांच सितारा होटल में 17 जनवरी 2014 की रात को सुनंदा पुष्कर अपने कमरे में रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत मिली थीं.